संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा शुरू हो चुकी है. आज यानी 7 जनवरी को इस परीक्षा के मेंस के तहत पेपर-1 का एग्जाम हुआ. अब इस पेपर का निबंध सेक्शन सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वजह है कि इस बार UPSC ने जिन विषयों पर निबंध लिखने को दिए, वो दार्शनिक कलेवर के हैं. कुछ विषय तो सीधे-सीधे महान दार्शनिकों और प्रतिष्ठित रिसर्चर्स द्वारा बोले गए कथन हैं. इस वायरल पेपर की एक तरफ सराहना हो रही है, तो वहीं कुछ लोग मीम बनाकर UPSC पर तंज कस रहे हैं.
पेपर में ऐसे निबंध भी आ सकते हैं
पेपर के निबंध सेक्शन में दो खंड हैं. दोनों खंड में चार-चार टॉपिक हैं. दोनों से एक-एक टॉपिक पर निबंध लिखना है. लगभग 1000 से 1200 शब्दों में. पहले सेक्शन का पहला टॉपिक है,
‘आत्म संधान की प्रक्रिया अब तकनीकी रूप से बाहरी स्रोतों को सौंप दी गई है.’
दूसरा टॉपिक काफी जाना पहचाना है. ये अक्सर लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट पर और उनके व्हाट्सएप स्टेटस में दिख जाता है. हालांकि, इसके ऊपर 1200 शब्दों का निबंध लिख पाना शायद सबके बस की बात ना हो. टॉपिक है,
‘आप की मेरे बारे में धारणा, आपकी सोच दर्शाती है; आपके प्रति मेरी प्रतक्रिया, मेरा संस्कार है.’
तीसरा टॉपिक भी कतई दार्शनिक है,
‘इच्छारहित होने का दर्शन काल्पनिक आदर्श है, जबकि भौतिकता माया है.’
पहले खंड का चौथा और आखिरी टॉपिक महान जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक हीगेल का कथन है. जो इस प्रकार है,
‘सत् ही यथार्थ है और यथार्थ ही सत् है.’

अब आते हैं दूसरे खंड पर. दूसरे खंड का पहला टॉपिक प्रसिद्ध अमेरिकी कवि विलियम रॉस वॉलेस की एक प्रसिद्ध कविता, ‘हैंड दैट रॉक्स द क्रेडल रूल्ज द वर्ल्ड है.’ इस कविता में दुनिया में होने वाले परिवर्तनों के पीछे की वजह मातृत्व को बताया गया है और उसकी प्रशंसा की गई है. पेपर में इसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह से है,
‘पालना झुलाने वाले हाथों में ही संसार की बागडोर होती है.’
अगला टॉपिक भी एक प्रसिद्ध कथन है. इसे प्रसिद्ध अमेरिकी सॉफ्टवेयर डेवलपर विल हार्वी ने कहा था. कथन इस तरह से है,
‘शोध क्या है, ज्ञान के साथ एक अजनबी मुलाकात!’
दूसरे खंड का तीसरा टॉपिक भी एक प्रसिद्ध कथन है. इसे साम्यवाद के सबसे बड़े विचारक कार्ल मार्क्स ने कहा था. कार्ल मार्क्स फ्रेडरिक हीगेल से बहुत प्रभावित थे. कथन कुछ इस तरह से है,
“इतिहास स्वयं को दोहराता है, पहली बार एक त्रासदी के रूप में, दूसरी बार एक प्रहसन के रूप में.”
दूसरे सेक्शन का आखिरी टॉपिक है,
‘सर्वोत्तम कार्यप्रणाली से बेहतर कार्यप्रणालियां भी होती हैं.’
‘इसके लिए तो हरिद्वार जाना पड़ेगा’
अब इस पेपर को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. भरत नाम के एक यूजर ने लिखा,
“इसके लिए तो हरिद्वार जाना पड़ेगा. वहीं ऐसा ज्ञान मिल सकता है. मेरी इच्छा है कि मुझे इसके पेपर जांचने को मिलें.”
Hahahaa!!! Iske liye to Haridwar jaana padega!! Wahin aisa gyan mil sakta hai!! I wish i get to check these papers
— Bharat Sethi (@bharat715) January 7, 2022
IAS सुमन रावत ने ट्वीट किया,
“सारे टॉपिक पसंद आए.”
Loved all the topics! — Suman Rawat, IAS (@oiseaulibre3) January 7, 2022
पेपर के दार्शनिक कलेवर पर कमेंट करते हुए बिजॉय मुंशी नाम के यूजर ने ट्वीट किया,
“लगता है रूमी और जॉर्ज ऑरवेल ने मिलकर ये पेपर बनाया है.”
Looks like Rumi and George Orwell came together to set this paper.
— Bijoy Munshi (@Bijoy_Munshi) January 7, 2022
कई लोगों ने थ्री इडियट्स मूवी का मीम ट्वीट किया और UPSC से पूछा कि आखिर भाई आप कहना क्या चाहते हैं.
For me pic.twitter.com/0RnjEKxmxO — FIRDOUS YAQOOB (@YaqoobFirdous) January 7, 2022
राहुल यादव नाम के यूजर ने लिखा,
“मुख्य परीक्षा निबंध का पेपर देखकर ‘जगत मिथ्या है’ और ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ वाली फीलिंग आ रही है.”
#UPSC
मुख्य परीक्षा निबंध का पेपर देखकर ‘जगत मिथ्या है’ और ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ वाली फ़ीलिंग आ रही. pic.twitter.com/tQnNpMMVYC— RAHUL YADAV (@RAHULYA43241755) January 7, 2022
डॉक्टर केवी नाम के यूजर ने ट्वीट किया,
“सारे टॉपिक्स सोचने पर मजबूर करने वाले हैं. दुनिया के कई सारे मौजूदा मुद्दे इसमें छिपे हुए हैं.”
Questions are thought provoking..! So many real time issues in this world are hidden in it… — Dr Geo K V. (@geo_pkd) January 7, 2022
इस बीच कई लोगों ने टॉपिक्स के हिंदी अनुवाद पर भी सवाल उठाए. सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी अनुवाद का मुद्दा छाया रहा है. हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी लगातार ये शिकायत करते आए हैं कि प्रश्नों का अंग्रेजी भाषा से हिंदी भाषा में अनुवाद काफी तकनीकी तौर पर किया जाता है, जिसकी वजह से प्रश्न अपना अर्थ खो देते हैं और समझ नहीं आते.
वीडियो- UPSC की तैयारी में हिंदी मीडियम कठिन राह क्यों? IPS विनय तिवारी ने समझा दिया