राजस्थान में बीजेपी के एक बड़े नेता हैं. नाम है गुलाब चंद कटारिया. वसुंधरा सरकार में गृहमंत्री हैं. गृहमंत्री माने मुख्यमंत्री के बाद सबसे ताकतवर पद. इसी पद पर काबिज हैं. रहने वाले उदयपुर के हैं. सांसद भी रह चुके हैं और पिछली सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री भी.
साल के अंत में राजस्थान में चुनाव हैं, तो सक्रियता भी खासी बढ़ गई है. गृहमंत्री होने के नाते जिम्मेदारी तो पूरे राज्य की है, लेकिन उन्हें वोट तो उदयपुर की जनता देती है. लिहाजा वो अब अपनों के बीच ज्यादातर वक्त दे रहे हैं. इसी सिलसिले में वो जयपुर से ज्यादा समय उदयपुर में बिता रहे हैं. लेकिन लगता है कि उनके जिले के लोग भी उनसे खुश नहीं हैं. दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी को करारी हार मिली. और इसी के साथ मिला राजस्थान के लोगों को एक नारा, जो था-
‘मोदी तुझसे बैर नहीं, पर रानी तेरी खैर नहीं’.
ये नारा पूरे राजस्थान में लगने लगा है. अब जब जनता रानी को बख्शने के मूड में नहीं है, तो फिर वजीर की बिसात ही क्या है. इसी का नतीजा है कि गुलाब चंद कटारिया को उदयपुर में विरोध झेलना पड़ रहा है. शहर के मतदाताओं से मिलकर उनकी दिक्कतों को जानने की कवायद गुलाब चंद कटारिया को इतनी भारी पड़ी है कि उन्होंने लोगों से मिलना छोड़ दिया है. इसके लिए उन्होंने नया तरीका अख्तियार किया है और अब वो बीजेपी के कार्यकर्ताओं के जरिए शहर के हर वार्ड में बैठक कर रहे हैं. लेकिन लोग अपनी दिक्कतें बताएं किसे. मंत्री हैं, तो दिक्कतें तो सुननी ही पड़ेंगी. और यही हो रहा है. जब भी बैठक में जा रहे हैं, दिक्कतें लेकर लोग उनके पास पहुंच रहे हैं और वो हैं कि अपना आपा खो दे रहे हैं.
हालिया वाकया 6 अप्रैल का है. गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया शहर के वार्ड नंबर 10 का दौरा कर रहे थे. उस वार्ड की महिलाओं की सबसे बड़ी दिक्कत शराब के ठेके हैं, जिन्हें हटाने के लिए वो हर कोशिश कर चुकी हैं. हर विरोध के बाद भी महिलाओं की दिक्कतें दूर नहीं हुईं. रही सही कसर सरकार के फैसले ने पूरी कर दी और शराब के ठेकों के रात में खुलने का वक्त रात आठ बजे से बढ़ाकर 9 बजे कर दिया. जब महिलाओं के पास कोई चारा नहीं बचा, तो उन्होंने गुलाब चंद कटारिया से मिलने का फैसला किया. महिलाओं ने साफ तौर पर कहा कि अगर घरों के पास से शराब के ठेके नहीं हटाए गए, तो अगली बार वो उन्हें वोट नहीं देंगी. बस इतना सुनना था कि मंत्रीजी भड़क गए. कहां तो उन्हें महिलाओं की परेशानी दूर करने के लिए कोशिश करनी थी, लेकिन उल्टा उन्होंने महिलाओं पर ही चीखना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा-
‘मुझे वोट मत देना. हरा देना इस बार चुनाव में. अपने वोट कुएं में फेंक देना. मत देना हमें वोट.’
शराब के ठेके हटवाने पहुंची महिलाओं को मंत्रीजी के इस बयान की कतई उम्मीद नहीं थी. लेकिन मंत्रीजी को जो कहना था कह दिया और अपने बयान पर कायम रहे. नतीजा ये हुआ कि महिलाओं को बिना किसी नतीजे के उल्टे पांव लौटना पड़ा.
ये चुनावी साल है और मंत्रीजी वोटरों को इस हनक के साथ जवाब दे रहे हैं. लेकिन ये पहला मौका नहीं है, जब गुलाब चंद कटारिया ने ऐसा बयान दिया है. उनके कई बयान ऐसे हैं, जो अगर वोटरों को याद आ जाएं, तो फिर वोट देने से पहले वो कई बार सोचेंगे. पहले उन बयानों को पढ़िए-
1. हम जब पदों पर आ जाते तो फूल कर कुप्पे हो जाते हैं. अपने कार्यकर्ताओं को भूल जाते हैं. हम भूल जाते हैं कि हमें जिताने वाले कार्यकर्ता ही हैं. हमें उनकी इज्जत करना नहीं आता. ये नहीं सोचते कि ये कार्यकर्ता ही ताकत हैं. इनका मान-सम्मान करना हमारा दायित्व है लेकिन हम दायित्व को नहीं निभाते.
2. पहलू खां गोतस्कर था. जिस दिन ये घटना हुई, उसके पास गायों को दूसरे राज्य में ले जाने के लिए ज़रूरी कागजात नहीं थे. ऐसे में उसे गोतस्कर ही माना जाएगा.
3.कोई भी सरकार या मंत्री यह दावा नहीं कर सकता कि उनके राज में अपराध नहीं होगा. अपराध पूरी तरह नहीं मिटाया जा सकता. भगवान राम के राज में भी सीता का अपहरण हुआ था.
4.सरकार के पास इतने पुलिसवाले नहीं हैं कि वो उन्हें हर जगह खड़ा कर सकें और बलात्कार जैसी घटनाओं को रोक सकें. इसके लिए लोगों को ही जागरूक रहना होगा.
5. आनंदपाल एनकाउंटर के समय मैं सो रहा था. मुझे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने फोन करके पूरी जानकारी दी और साथ में बधाई भी दी.
6. उदयपुर में मुस्लिम वार्डों को छोड़ दें, तो हर जगह बीजेपी की जीत तय है.
7. संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मवात को देशभर में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. राजस्थान ने तो फिल्म को प्रतिबंधित कर दिया है, अब जरूरत है कि देशभर में इस पर पाबंदी लगे. इस फिल्म से हमारी संवेदनाएं आहत हुई हैं.
8. क्या कांग्रेस ने 100 साल में एक भी बच्चा ऐसा नहीं पैदा किया है जो योग्य ना हो. इंदिरा के बेटे राजीव हुए, राजीव के बेटे राहुल और अब अगर राहुल गांधी शादी नहीं कर सके तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं.
9. पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को फेल नहीं करने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून की व्यवस्था विदेशियों का षड्यंत्र है. इस व्यवस्था से देश की प्रतिभाएं निखरने से पहले ही खत्म हो जाएंगी. जब कोई फेल ही नहीं होगा तो फिर क्यों पढ़ेगा?
10.मनमोहन सिंह जब अमेरिका जाते थे तो एयरपोर्ट पर रिसीव करने के लिए ऐरे-गेरे नत्थू खैरे मंत्री आते थे. अब पीएम नरेन्द्र मोदी जाते हैं तो खुद राष्ट्रपति ओबामा लेने आते हैं.
इनमें से बहुत से बयान पुराने भी हैं. इसके अलावा भी वो और बयान दे चुके हैं. लेकिन अगर वो इसी तरह से बयान देते रहे, तो उन्हें याद रखना चाहिए कि ये साल चुनाव का है. अगर वोटरों को इनमें से दो-चार बयान भी याद आ गए, तो उन्होंने महिलाओं से जो कहा था कि मुझे हरा देना, वो हकीकत में तब्दील हो जाएगा.
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