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यूरोप के नौजवानों का लोकतंत्र से मोहभंग, ये सर्वे सरकारों के पसीने छुड़ा देगा

ग्लोबल लेवल पर भी हालात टेंशन वाले हैं. अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी, विश्व अर्थव्यवस्था में चीन का दबदबा और रूस-यूक्रेन युद्ध ने नौजवानों को ये एहसास दिलाया है कि यूरोप का रुतबा कम हो रहा है.

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Young Europeans losing faith in democracy in France, Spain and Poland poll finds
सर्वे में पोलैंड के 48 फीसदी युवा लोकतांत्रिक सरकार के पक्ष में थे. वहीं स्पेन और फ्रांस के 51-52 फीसदी युवा इस तरह की सरकार चाहते हैं. (फोटो- Grok)
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प्रशांत सिंह
4 जुलाई 2025 (Updated: 4 जुलाई 2025, 05:23 PM IST) कॉमेंट्स
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यूरोप से एक ऐसी खबर आई है, जो सुनकर आपके कान खड़े हो जाएंगे. एक ताजा सर्वे के मुताबिक यूरोप के युवा, जो कभी लोकतंत्र के झंडाबरदार माने जाते थे, अब उससे मुंह फेर रहे हैं (Young Europeans losing faith in democracy). सर्वे कहता है कि सिर्फ 57% नौजवान मानते हैं कि लोकतंत्र ही सरकार चलाने का सबसे सशक्त तरीका है. वहीं 21% का मानना है कि विशेष हालात में ‘तानाशाही भी ठीक’ है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ.

ब्रिटिश अखबार दी गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक ये सर्वे अप्रैल-मई 2025 में YouGov इंस्टीट्यूट ने Tui फाउंडेशन के लिए किया था. इसमें ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, इटली, ग्रीस और पोलैंड को मिलाकर 7 यूरोपीय देश शामिल थे. रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में 16 से 26 साल के 6,700 से ज्यादा नौजवानों से बात की गई.

सर्वेक्षण के बाद पता चला कि पोलैंड के 48 फीसदी युवा लोकतांत्रिक सरकार के पक्ष में थे. वहीं स्पेन और फ्रांस के 51-52 फीसदी युवा इस तरह की सरकार चाहते हैं. जर्मनी के 71 फीसदी युवाओं ने लोकतंत्र के फेवर में वोट किया. इन सभी देशों के हर दस में से एक युवा ने ये भी कहा कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस प्रकार की सरकार उन पर राज करती है. वहीं 14 फीसदी युवाओं ने सर्व के सवालों के जवाब नहीं दिए.

इस सर्वे पर काम करने वाले बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंटिस्ट थॉर्स्टन फास ने कहा,

"जो लोग खुद को राजनीतिक रूप से सेंटर राइट मानते हैं और आर्थिक रूप से वंचित महसूस करते हैं, उनमें लोकतंत्र के प्रति समर्थन गिरकर तीन में से केवल एक रह जाता है. लोकतंत्र अंदर और बाहर से दबाव में है.”

ग्लोबल लेवल पर भी हालात टेंशन वाले हैं. अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी, विश्व अर्थव्यवस्था में चीन का दबदबा और रूस-यूक्रेन युद्ध ने नौजवानों को ये एहसास दिलाया है कि यूरोप का रुतबा कम हो रहा है. सिर्फ 42% नौजवान ही यूरोपियन यूनियन को टॉप-3 ग्लोबल पावर मानते हैं. अमेरिका को 83% लोगों ने power trio का हिस्सा माना. उसके बाद चीन को 75% लोगों ने और रूस को 57% लोगों ने इसका हिस्सा माना.

सर्वे में पता चला कि जर्मनी, फ्रांस और इटली में महिलाएं चार वर्ष पहले की तुलना में अधिक संख्या में प्रगतिशील हुई हैं. जबकि पोलैंड और ग्रीस में युवा पुरुष इसी अवधि में अधिक रूढ़िवादी हुए हैं. युवा यूरोपीय लोगों में जलवायु संरक्षण के लिए मजबूत समर्थन के बावजूद, तीन में से सिर्फ़ एक ने कहा कि इसे आर्थिक विकास पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए. ये आंकड़ा 2021 में 44% से भी नीचे गिर गया है.

आर्थिक तंगी, बढ़ती महंगाई और सामाजिक गैर-बराबरी ने नौजवानों का भरोसा तोड़ा है. विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर लोकतंत्र को बचाना है, तो सरकारों को नौजवानों की सुननी होगी. यूरोप का ये सर्वे एक वेक-अप कॉल है. क्या लोकतंत्र सचमुच खतरे में है, या ये बस नौजवानों का गुस्सा है? आप क्या सोचते हैं, कॉमेंट करके बताइए.

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