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बिल फाड़ा, 12 घंटे हुई बहस, आधी रात को लोकसभा में पास हो गया वक्फ बिल, अब राज्यसभा की बारी

लोकसभा में वक्फ बिल बुधवार को पारित कर दिया गया. कांग्रेस और सपा समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया. AIMIM सांसद Asaduddin Owaisi ने तो बिल की मुखालफत करते हुए सांकेतिक तौर पर उसे फाड़ दिया.

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Waqf Bill cleared in lok sabha
वक्फ बिल लोकसभा में पास
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राघवेंद्र शुक्ला
3 अप्रैल 2025 (Published: 08:15 AM IST) कॉमेंट्स
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तकरीबन 12 घंटे की बहस, सवाल-जवाब, हंगामा, आरोप-प्रत्यारोप और वोटिंग के बाद वक्फ बिल (Waqf Amendment Bill 2025) देर रात लोकसभा में पास हो गया. बिल पर बहस के लिए 8 घंटे का समय तय किया गया था. लेकिन, लोकसभा में डिबेट के दौरान कई बार समय बढ़ाया गया. तकरीबन 12 घंटे की बहस के बाद रात को एक बजे वोटिंग का नंबर आया. इस दौरान बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े जबकि 232 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया. बहस के दौरान विपक्ष ने बिल में कई संशोधन सुझाए लेकिन ध्वनिमत से सभी ऐसे प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया. अब गुरुवार को यह बिल राज्यसभा में पेश होना है. मोदी सरकार की असली परीक्षा यहीं होनी है.

क्या हुआ लोकसभा में

बुधवार की दोपहर 12 बजे के आसपास केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा में पेश किया. संशोधित बिल में कई विवादित प्रावधान थे, जिसे लेकर विपक्षी दलों ने आपत्तियां जताईं. बिल में कहा गया है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में 2 गैर-मुस्लिम सदस्यों का होना जरूरी है. यह भी शर्त है कि कम से कम 5 साल तक इस्लाम की प्रैक्टिस करने वाला व्यक्ति ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकता है। कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं है, यह कलेक्टर से ऊपर रैंक का एक अधिकारी तय करेगा. इसके अलावा वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार भी नए बिल में दिया गया है.

विपक्ष ने किया विरोध

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों ने सदन में इस बिल का विरोध किया. कांग्रेस ने कहा कि यह अल्पसंख्यकों को बदनाम करने और उनके अधिकारों को छीनने वाला बिल है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतीकात्मक तौर पर बिल को सदन में फाड़ दिया. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश कानून के साथ महात्मा गांधी ने ऐसा ही किया था. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने रिजिजू को जवाब देते हुए कहा कि वक्फ बिल संविधान पर हमला है. इसका मकसद संविधान को कमजोर करना और भारतीय समाज को विभाजित करना है.

उन्होंने कहा कि साल 2023 में अल्पसंख्यक आयोग की 4 बैठकें हुईं. फिर भी वक्फ संशोधन विधेयक की जरूरत की कोई बात नहीं हुई.उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या यह बिल अल्पसंख्यक  मंत्रालय ने तैयार किया है या किसी अन्य विभाग ने. शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी बिल का विरोध किया. कौर ने कटाक्ष करते हुए कहा,

जिस पार्टी का संसद में एक भी मुस्लिम सदस्य नहीं है, वह आज मुसलमानों को कैसे याद कर रही है? जो पार्टी ध्रुवीकरण पर निर्भर है, उसे आज मुसलमानों की याद कैसे आ गई?

अकाली सांसद कौर ने आगे कहा,

अगर आपकी मंशा अच्छी होती तो आप अयोध्या के राम मंदिर ट्रस्ट में भी एक मुस्लिम सदस्य को शामिल करते। आप हर अल्पसंख्यक को तोड़ रहे हैं। आप टुकड़े-टुकड़े गैंग हैं।

सरकार ने दिया जवाब

वहीं, सरकार ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यह बिल संपत्ति और उसके प्रबंधन के बारे में है. धर्म के बारे में नहीं है. भाजपा ने कहा कि वक्फ बिल को तमाम लोगों के परामर्श के बाद तैयार किया गया है. गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक भी इसका समर्थन कर रहे हैं. विधेयक पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए. उन्होंने प्रॉपर्टीज की एक लंबी लिस्ट गिनाई, जिसके बारे में कहा गया कि ये वक्फ को दे दी गई थीं. इसमें मंदिरों, अन्य धर्मों, सरकार और अन्य लोगों की जमीनें शामिल थीं. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि अगर 2013 में वक्फ एक्ट में संशोधन नहीं किया गया होता तो इस बिल को लाने की कोई जरूरत नहीं होती. 2013 में तुष्टीकरण के लिए रातों-रात वक्फ संशोधन कानून बनाया गया था. इससे दिल्ली के लुटियंस जोन में 123 संपत्तियां चुनाव से सिर्फ 25 दिन पहले वक्फ को सौंप दी गई थीं. 

मणिपुर पर चर्चा

लोकसभा से वक्फ बिल पारित होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह और पीयूष गोयल की बैठक हुई. दोनों के बीच राज्यसभा में वक्फ बिल पेश करने को लेकर रणनीति पर हुई चर्चा. इंडिया टुडे के सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा में वक्फ बिल पर अमित शाह हस्तक्षेप नहीं करेंगे। वक्फ बिल के पारित होने के बाद गुरुवार को ही राज्यसभा से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव लाकर उसे पारित कराया जाएगा.

राज्यसभा का गणित

लोकसभा के मुकाबले सरकार के लिए इस बिल को राज्यसभा में पास कराना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. उच्च सदन में फिलहाल 234 सदस्य हैं. जम्मू-कश्मीर की 4 सीटें खाली हैं. ऐसे में बिल पास कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा 118 हो जाता है. बीजेपी के पास 96 सांसद हैं. जेडीयू के 4, टीडीपी के 2 सांसद राज्यसभा में हैं. कुल मिलाकर पूरे एनडीए के पास 113 सांसदों का ही आंकड़ा है. हालांकि, राज्यसभा में 6 मनोनीत सदस्य भी होते हैं. आमतौर पर ये सरकार के पक्ष में ही वोट करते हैं. इनको जोड़ लिया जाए तो सरकार बहुमत का आंकड़ा पार कर लेती है. 

वीडियो: ‘वक्फ मुस्लिमों का है'; Waqf Amendment Bill के विरोध में क्या बोले कांग्रेस MP Imran Masood?

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