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लोकसभा में जो वक्फ बिल पेश हुआ, उसमें क्या-क्या बदला है? 15 पॉइंट में समझ लीजिए

लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill 2025) को बुधवार को पेश कर दिया गया. जेपीसी ने 14 संशोधनों को मंजूरी दी थी, जिसके बाद इस बिल को मोदी कैबिनेट ने पास किया. कांग्रेस, टीएमसी और सपा समेत विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं.

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वक्फ बिल (Photo: India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
2 अप्रैल 2025 (Published: 11:49 PM IST) कॉमेंट्स
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केंद्र सरकार ने लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill 2025) पेश कर दिया है. इस पर चर्चा जारी है. यह बिल पिछले साल अगस्त में भी पेश किया गया था. देश भर में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद बिल को जेपीसी (संयुक्त संसदीय कमिटी) के पास भेज दिया गया. 

जेपीसी में कई दिनों तक इस पर बहस हुई. बाद में एनडीए सांसदों के 14 संशोधनों को जेपीसी ने मंजूरी दे दी. वहीं विपक्ष के 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया. फरवरी 2025 में मोदी कैबिनेट ने संशोधनों के साथ बिल को मंजूरी दे दी. बुधवार को इसे लोकसभा के पटल पर रखा गया. सदन में इस पर बहस जारी है. आइए, किरेन रिजिजू ने जिस बिल को लोकसभा में पेश किया, उसकी कुछ महत्वपूर्ण बातों पर नजर डालते हैं.

1. नए बिल के हिसाब से वक्फ बोर्ड को नया नाम मिला है. इसे Unified Waqf Management Empowerment Efficiency and Development यानी UMEED नाम से जाना जाएगा.

2. पहले ऐसा कानून था कि कोई भी व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी वक्फ में दे सकता था. पुराने बिल में ये शर्त थी कि प्रॉपर्टी देने वाला कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन करने वाला हो. साथ ही वो उस प्रॉपर्टी का मालिक हो. लेकिन नए बिल में अब उसे यह साबित करना होगा कि वो 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहा है. प्रॉपर्टी उसकी अपनी है और वक्फ में देने में कोई विवाद शामिल नहीं है.

3. 'वक्फ-अल-औलाद' में प्रॉपर्टी से जुड़ी आय दान करने वालों के बच्चों या वंशजों के लिए होती है. इसके तहत अब महिलाओं को भी वक्फ की जमीन में उत्तराधिकारी माना जाएगा. मतलब कि वक्फ अल औलाद के तहत दान में दी गई जमीन से होने वाली आमदनी पर सिर्फ पुरुषों का अधिकार नहीं होगा बल्कि इसमें परिवार की महिलाओं का भी हिस्सा होगा.

4. नए बिल के तहत अब कोर्ट वक्फ से जुड़ी किसी अपील की कानून लागू होने के 6 महीने बाद भी सुनवाई कर सकता है. बशर्ते आवेदन करने वाला यह साबित कर दे कि उसके पास देरी होने की ठोस वजह थी.

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5. वक्फ में दी गई जमीन का पूरा ब्योरा 6 महीने के अंदर पोर्टल और डेटाबेस पर दाखिल करना होगा. अगर दान देने वाला ट्रिब्यूनल को देरी के कारण पर संतुष्ट कर दे तो कुछ मामलों में ये अवधि बढ़ाई जा सकती है.

6. पुराने वक्फ कानून में ऐसा था कि अगर कोई संपत्ति लंबे समय से चैरिटी या धर्म के काम में प्रयोग की जा रही है तो वह वक्फ ही मानी जाएगी. भले उससे जुड़ा कोई कागज न हो. इसका उदाहरण मस्जिदें और कब्रिस्तान हैं. पुराने बिल में इस नियम को पूरी तरह हटाने की बात थी, लेकिन इससे प्रॉपर्टी विवाद की आशंका थी. नए बिल में कहा गया है कि अब यह नियम 2025 के बाद लागू होगा. यानी कि पहले से 'वक्फ बाय यूजर' के तौर पर रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी वक्फ ही रहेंगी. बशर्ते उन पर कोई विवाद न हो या वे सरकारी जमीन न हों.

7. पुराने बिल में कलेक्टर यानी जिला मजिस्ट्रेट को वक्फ प्रॉपर्टी की जांच करने का अधिकार दिया गया था. लेकिन नए बिल में अब कलेक्टर से ऊपर की पोस्ट का अधिकारी यह जांच करेगा. वो अधिकारी अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को देगा.

8. वक्फ में दी गई जमीन का पूरा डेटा ऑनलाइन उपलब्ध होगा. किसने किस जमीन को दान में दिया है. उसके पास ये कहां से आई. वक्फ को उससे कितनी कमाई होती है. उसकी देखरेख में मुतवल्ली को कितनी सैलरी मिलती है, ये सब जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी.

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9. वक्फ बोर्ड में नियुक्त किए गए सांसद और पूर्व जजों का मुस्लिम होना जरूरी नहीं होगा. राज्यों के वक्फ बोर्ड में भी 2 मुस्लिम महिलाएं और 2 गैर-मुस्लिम सदस्य अनिवार्य रूप से होंगे. शिया, सुन्नी और पिछड़े मुसलमानों से भी एक-एक सदस्य को जगह देना अनिवार्य होगा. इनमें बोहरा और आगाखानी समुदायों से भी एक-एक सदस्य होना चाहिए.

10. पुराने कानून की धारा 40 को खत्म कर दिया गया है. इसके तहत वक्फ के पास किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित करने का अधिकार था.

11. बोहरा और अगखानी मुस्लिमों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनेगा. पुराने कानून में यह प्रावधान नहीं था. नए बिल में इसे जोड़ा गया है.

12. विधेयक केंद्र सरकार को वक्फ के रजिस्ट्रेशन, खातों के प्रकाशन और वक्फ बोर्डों की कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में नियम बनाने की भी इजाजत देता है.

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13. बिना कागज के कोई भी जमीन वक्फ की नहीं मानी जाएगी. पहले मस्जिद और कब्रिस्तान बिना कागज के भी वक्फ की जमीन माने जाते थे. अब ऐसा नहीं होगा.

14. मुतवल्ली को अयोग्य घोषित करने को लेकर भी नए बिल में प्रावधान हैं. कोई भी मुतवल्ली इस पद पर बने रहने के लिए योग्य नहीं होगा अगर, 
- वह 21 साल से कम आयु का हो. 
- मानसिक रूप से अस्वस्थ या दिवालिया हो. 
- किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो और कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई गई हो. 
- किसी वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण का दोषी ठहराया गया हो. 
- कभी मुतवल्ली के पद से हटाया गया हो.

15. वक्फ बोर्ड को 6 महीने के अंदर प्रबंधन और आय में सुधार को लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी. इससे समय पर कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी.

वीडियो: ‘वक्फ मुस्लिमों का है'; Waqf Amendment Bill के विरोध में क्या बोले कांग्रेस MP Imran Masood?

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