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अब मुस्लिम के घर की बगल में बंद पड़े हिंदू मंदिर पर हंगामा, वाराणसी के इस इलाके में तनाव

यह मंदिर दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के गोल चबूतरे के पास एक मकान से सटा हुआ है. इसी मकान के मालिक हैं मोहम्मद जकी. एक हिंदू संगठन ‘सनातन रक्षक दल’ का दावा है कि यह सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर है, जो '250' साल पुराना है. संगठन का कहना है कि मंदिर पिछले कई दशकों से ‘बंद’ पड़ा है.

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Varanasi 250-Year-Old Siddheshwar Mahadev Temple
वाराणसी में 250 साल पुराना शिव मंदिर होने का दावा. (तस्वीर : इंडिया टुडे)
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सौरभ शर्मा
17 दिसंबर 2024 (Updated: 17 दिसंबर 2024, 08:17 PM IST) कॉमेंट्स
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यूपी के वाराणसी में एक पुराने शिव मंदिर को लेकर विवाद हो गया है. ये मंदिर यहां के मदनपुरा इलाके में है, जिसे 'मुस्लिम-बहुल' बताया जाता है. मंदिर की बगल में एक मकान है. इसके मालिक हैं मोहम्मद जकी. कुछ हिंदू कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मोहम्मद जकी ने मंदिर पर काफी समय से 'कब्जा' किया हुआ है. उनकी मांग है कि बंद पड़े इस मंदिर को खुलवाया जाए ताकि यहां पूजा-पाठ शुरू किया जा सके. वहीं जकी का दावा है कि उन्होंने मंदिर पर कोई कब्जा ‘नहीं’ किया, बल्कि ये उन्हीं की संपत्ति का हिस्सा है. 

इंडिया टुडे से जुड़े रोशन जायसवाल कि रिपोर्ट के मुताबिक यह मंदिर दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के गोल चबूतरे के पास एक मकान से सटा हुआ है. इसी मकान के मालिक हैं मोहम्मद जकी. एक हिंदू संगठन ‘सनातन रक्षक दल’ का दावा है कि यह सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर  है, जो ‘250’ साल पुराना है. संगठन का कहना है कि मंदिर पिछले कई दशकों से ‘बंद’ पड़ा है. 17 दिसंबर को मंदिर को लेकर हंगामा तब और बढ़ गया जब कुछ महिलाएं वहां ‘शंखनाद’ करने पहुंच गईं. बताया गया है कि इससे इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है.

सनातन रक्षक दल के सदस्यों ने अपने दावों को लेकर पुलिस को प्रार्थना पत्र भी दिया है. इसमें मंदिर को खोलने और पूजा-पाठ शुरू कराने की मांग की गई है. उनका कहना है कि मंदिर को खोला जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि अंदर मूर्तियां मौजूद हैं या नहीं. दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने पुलिस को लिखे प्रार्थना पत्र में कहा है, "मंदिर की खरीद-फरोख्त हो ही नहीं सकती. अगर मुस्लिम पक्ष यह दावा कर रहा है कि यह उनकी संपत्ति है, तो उनकी जांच होनी चाहिए."

घर के मालिक का पक्ष

इंडिया टुडे ने मामले पर घर के मालिक मोहम्मद जकी से बात की. उन्होंने दावा किया कि उनके पिता ने इस प्रॉपर्टी को 1931 में खरीदा था. उन्होंने कब्जे के आरोपों को गलत बताते हुए कहा,

“यह मकान और मंदिर दोनों हमारी संपत्ति का हिस्सा हैं. समय-समय पर मंदिर की मरम्मत और  सफाई भी हम ही लोग कराते हैं. हमारे लिए कोई दिक्कत नहीं है, अगर श्रद्धालु यहां आकर  पूजा करना चाहते हैं. हम खुले दिल से उनका स्वागत करते हैं.”  

आगे मोहम्मद जकी बताते हैं,

“1931 में जब हमारे पिता ने यह जगह खरीदी थी, तब यह मंदिर भी हमारे मकान में शामिल था. एक बार दीमक के कारण मंदिर का दरवाजा टूट गया था, तब पुलिस को इसकी सूचना दी गई. पुलिस ने कहा था कि आप इसकी मरम्मत करवा लें. हमने मंदिर की रिपेयरिंग करवाई और फिर से ताला लगा दिया गया. अंदर हमने सिर्फ एक खाली कमरा पाया, मूर्तियां नहीं मिलीं.” 

मंदिर के बाहर तनाव की स्थिति

इस बीच आसपास के इलाकों से आई कुछ महिलाओं ने मंदिर के बाहर शंखनाद शुरू कर दिया. इंडिया टुडे/आजतक से जुड़े रोशन जायसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं ने ‘हर-हर महादेव’ और ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए. इस पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आपत्ति जताते हुए पुलिस पर ‘जानबूझकर अनदेखी’ करने का आरोप लगाया है.

इसे भी पढें - संभल में मिला सैकड़ों साल पुराना मंदिर, DM-SP ने जाकर खुलवाया, क्या कहानी पता लगी?

उधर, पुलिस ने तनाव की स्थिति को देखते हुए मौके पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है. पीएसी और अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है. खुद आला अधिकारियों ने मोर्चा संभालते हुए लोगों से शांति बनाए रखन की अपील की. एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने बताया,

“मामले को लेकर सनातन रक्षक दल ने मंदिर में पूजा शुरू कराने की मांग की है. इसके लिए दस्तावेजों की जांच चल रही है. 2-3 दिनों में राजस्व विभाग की रिपोर्ट के बाद ही ऊपर के अधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.”

वहीं, डीसीपी काशी गौरव बंसवाल ने स्थिति पर कड़ा रुख अपनाते हुए अफवाह फैलाने और माहौल खराब करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.

 

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