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रूस तालिबान सरकार को मान्यता देने वाला पहला देश बना, अफगान विदेश मंत्री का बड़ा बयान

अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद, रूस पहला देश बन गया है जिसने इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान को मान्यता दी है.

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Taliban praise Russia’s ‘brave decision’ to recognise their rule in Afghanistan
ये कदम तालिबान राजनयिक गुल हसन द्वारा मास्को में काबुल के राजदूत का पदभार ग्रहण करने के कुछ ही समय बाद उठाया गया है. (फोटो- X)
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प्रशांत सिंह
4 जुलाई 2025 (Published: 08:02 PM IST) कॉमेंट्स
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वैश्विक कूटनीति में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रूस ने अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को औपचारिक मान्यता दे दी है. रूस दुनिया का पहला देश है जिसने तालिबानी सरकार को मान्यता दी है. इसे अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने एक ‘साहसिक निर्णय’ करार दिया है.

बीबीसी की खबर के अनुसार ये घोषणा 3 जुलाई को की गई, जिसे वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है. अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद, रूस पहला देश है जिसने इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान को मान्यता दी है. तालिबान राजनयिक गुल हसन के मास्को में काबुल के राजदूत का पदभार ग्रहण करने के कुछ ही समय बाद रूस के इस कदम की जानकारी सामने आई.

रूस का ये निर्णय अचानक नहीं आया है. दी गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2025 में, रूस के सुप्रीम कोर्ट ने तालिबान को अपनी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची से हटा दिया था, जिसने इस औपचारिक मान्यता का रास्ता साफ किया. रूस तालिबान के कब्जे के बाद काबुल में बिजनेस ऑफिस खोलने वाला पहला देश था. इसके साथ ही रूस ने ये निर्णय भी लिया था कि वो अफगानिस्तान को दक्षिण-पूर्व एशिया में गैस सप्लाई के लिए एक ट्रांजिट हब की तरह इस्तेमाल करेगा.

हालांकि, अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारी और राजनीतिक भूमिका के लिए काम करने वाले संगठन अफगान वीमन्स नेटवर्क (AWN) रूस के इस कदम को लेकर सतर्क है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक AWN ने एक बयान में कहा कि वो सोवियत आक्रमण के दौरान अफगानिस्तान के विनाश में रूस की भूमिका को नहीं भूला है.

इस्लामी अमीरात नहीं बताया था

जुलाई 2024 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तालिबान को "आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी" करार दिया था. बता दें कि केवल सऊदी अरब, पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात ने 1996 से 2001 तक सत्ता में अपने पहले कार्यकाल के दौरान तालिबान को मान्यता दी थी. इस बार, चीन और पाकिस्तान सहित कई अन्य राज्यों ने अपनी राजधानियों में तालिबान के राजदूतों को स्वीकार किया है. लेकिन अफगानिस्तान को आधिकारिक तौर पर इस्लामी अमीरात के रूप में मान्यता नहीं दी है.

हालांकि, दोनों देशों का इतिहास जटिल है. सोवियत संघ (जिसमें रूस भी शामिल था) ने 1979 में अफगानिस्तान पर आक्रमण किया था, और नौ साल तक युद्ध लड़ा जिसमें उनके 15,000 सैनिक मारे गए. काबुल में सोवियत समर्थित सरकार स्थापित करने के उनके निर्णय ने सोवियत संघ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहिष्कृत कर दिया था. जिसके बाद फरवरी 1989 में उन्हें वहां से हटना पड़ा.

वीडियो: दुनियादारी: भारत और तालीबान के बीच क्या बात हुई?

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