The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Tahawwur Rana demanded Pakistani gallantry award for mumbai attackers reveals USA

'निशान-ए-हैदर देना चाहिए' मुंबई हमलों के बाद लश्कर के आतंकियों पर क्या बोला था तहव्वुर राणा

तहव्वुर राणा ने मुंबई हमलों के दौरान मारे गए लश्कर के 9 आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-हैदर दिए जाने की मांग की थी. राणा ने कहा था कि भारत के लोग इस हमले के हकदार थे. अमेरिका के न्याय विभाग ने यह खुलासा राणा के प्रत्यर्पण के एक दिन बाद किया है.

Advertisement
Tahawwur Rana
तहव्वुर राणा ने लश्कर आतंकियों के लिए मांगा था निशान-ए-हैदर (Photo: India Today)
pic
राघवेंद्र शुक्ला
11 अप्रैल 2025 (Published: 03:03 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

26 नवंबर 2008. भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था. शहर में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्र के रास्ते घुस आए थे. यहां आकर उन्होंने जमकर आतंक मचाया. निर्दोष लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं. हमले में 166 लोग मारे गए. 300 से ज्यादा लोग घायल हुए. मारे गए लोगों में 6 अमेरिका के नागरिक भी थे. वही अमेरिका, जहां बैठकर तहव्वुर राणा अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली से कह रहा था कि भारतीय लोग इसी के (हमले के) हकदार थे. वह हमले के लिए लश्कर के आतंकियों की तारीफ भी कर रहा था. राणा के प्रत्यर्पण के एक दिन बाद अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने खुलासा किया है कि उसने (राणा ने) मारे गए लश्कर आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-हैदर’ की मांग की थी.

इंडियन एक्सप्रेस ने अमेरिका के डीओजे के हवाले से लिखी रिपोर्ट में बताया, 

आतंकी हमले के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के 9 आतंकवादी मार गिराये गए थे. इसके तुरंत बाद राणा ने अपने दोस्त हेडली से कहा कि मारे गए लड़कों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-हैदर’ दिया जाना चाहिए. उसने ये भी कहा कि भारतीय लोग इसी के (हमले के) हकदार थे.

डीओजे भारत के आरोपों का जिक्र करते हुए अपने बयान में कहा कि डेविड कोलमैन हेडली को फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत यात्रा कराने में राणा ने उसकी मदद की थी. इन सब बातों के अलावा राणा, हेडली को मुंबई में अपने इमिग्रेशन कारोबार का शाखा प्रबंधक (Branch Manager) नियुक्त करने जा रहा था. हेडली के पास जबकि इमिग्रेशन का कोई अनुभव नहीं था. इस दौरान दोनों ने मिलकर भारत में जाली दस्तावेजों से खूब हेराफेरी की थी. आगे बताया गया कि शिकागो में राणा अपने दोस्त हेडली से बार-बार बार मिला था. इस दौरान वह उसे लश्कर से जुड़ी हर जरूरी बात बताता था. इतना ही नहीं, मुंबई में हमलों की योजना के बारे में उसने हेडली को यहीं बताया था.

डीओजे ने बताया कि राणा के खिलाफ भारत में आतंकवाद का ये पहला मामला नहीं है, जिसमें राणा पर हिंसक कृत्यों को अंजाम देने का आरोप लगा है. इसके अलावा 2013 में लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने और डेनमार्क के कोपेनहेगन में नाकाम आतंकवादी साजिश को अंजाम देने की साजिश रचने का दोष भी उस पर है. इन मामलों को लेकर उसे 14 साल की जेल की सजा भी सुनाई गई थी. 

भारत लाया गया राणा

बता दें कि लंबी प्रक्रिया के बाद गुरुवार को आखिरकार राणा को प्रत्यर्पण के जरिए अमेरिका से भारत लाया गया. मुंबई हमलों से जुड़ा वह तीसरा आरोपी है, जिस पर भारत में केस चलेगा. उस पर आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए उसने हेडली को भारत आने में मदद की. हेडली ने मुंबई हमलों के लिए रेकी की. हमले से कुछ दिन पहले राणा तैयारियों की समीक्षा के लिए भारत आया था. राणा पहले पाकिस्तानी सेना के मेडिकल कोर में काम करता था. मुंबई हमलों के 11 महीने के बाद उसे शिकागो में गिरफ्तार किया गया था. 

वीडियो: 26/11 की रात क्या हुआ था? ग्राउंड पर मौजूद पत्रकार ने बता दिया

Advertisement