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SIR के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, 12-13 अगस्त की तारीख तय

ADR की तरफ से पेश हुए एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग ने बताया है कि 65 लाख लोगों ने फॉर्म जमा नहीं किए हैं, क्योंकि या तो वे मर चुके हैं या स्थायी रूप से कहीं और चले गए हैं. जिन लोगों को सूची से बाहर रखा गया है, उन्हें नए सिरे से आवेदन करना होगा.

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Supreme Court will hear the petitions filed against SIR in bihar
सुप्रीम कोर्ट 12 और 13 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगा (फोटो: आजतक)
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अर्पित कटियार
29 जुलाई 2025 (Published: 03:48 PM IST) कॉमेंट्स
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बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 12 और 13 अगस्त को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने इस प्रक्रिया को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा है कि अगर बड़े पैमाने पर लोगों को बाहर रखा गया तो अदालत हस्तक्षेप करेगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार, 29 जुलाई को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई की. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग ने बताया है कि 65 लाख लोगों ने फॉर्म जमा नहीं किए हैं, क्योंकि या तो वे मर चुके हैं या स्थायी रूप से कहीं और चले गए हैं. जिन लोगों को सूची से बाहर रखा गया है, उन्हें नए सिरे से आवेदन करना होगा. सीनियर वकील ने सवाल किया कि इन लोगों को कैसे पता चलेगा कि वे ड्रॉफ्ट में हैं या नहीं. 

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उनकी कार्रवाई कानून के मुताबिक होगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि कोर्ट किसी भी चिंता का समाधान करने के लिए मौजूद है.

वहीं चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि ड्रॉफ्ट का विज्ञापन जारी कर दिया गया है और राजनीतिक दलों को दे दिया गया है. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज झा की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि जिन लोगों के नाम सूची से बाहर रह गए हैं, उन्हें शिकायत दर्ज कराने का मौका मिलना चाहिए. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "उन्हें अधिकार होगा. किसने कहा कि उन्हें अधिकार नहीं होगा?"

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जस्टिस बागची ने कहा, 

अगर बड़े पैमाने पर लोगों को बाहर निकाला गया है, तो हम हस्तक्षेप करेंगे. 15 लोगों को कोर्ट में लाओ, जो जीवित हैं. लेकिन उन्हें सूची से बाहर रखा गया है.

एडवोकेट सिब्बल ने कहा कि अगर चुनाव आयोग बता दे कि किन लोगों को लिस्ट से बाहर रखा गया है, तो याचिकाकर्ताओं को कोई दिक्कत नहीं होगी. इस पर एडवोकेट द्विवेदी ने कहा कि आपत्तियां दर्ज करने के लिए 30 दिन का समय है. आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही सही तस्वीर सामने आएगी कि किसे बाहर रखा गया है और किसे नहीं. उन्होंने कहा कि अभी तक ड्रॉफ्ट लिस्ट प्रकाशित हुई है. आखिरी लिस्ट 15 सितंबर तक मिलने की उम्मीद है.

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