कलकत्ता HC के नई OBC लिस्ट पर रोक लगाने के फैसले पर SC की रोक, कहा- 'HC ने हैरान कर दिया'
कलकत्ता हाई कोर्ट ने 17 जून को राज्य सरकार द्वारा ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों के तहत 140 उपवर्गों को आरक्षण देने वाले नोटिफिकेशन पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को पश्चिम बंगाल की नई अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची को निलंबित करने के आदेश पर स्टे दे दिया है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने 17 जून को राज्य सरकार द्वारा ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों के तहत 140 उपवर्गों को आरक्षण देने वाले नोटिफिकेशन पर अंतरिम रोक लगा दी थी.
राज्य सरकार द्वारा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने हैरानी जताई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बेंच ने कहा,
“यह चौंकाने वाला है. हाई कोर्ट ऐसा स्टे कैसे दे सकता है? आरक्षण कार्यपालिका का विषय है. इंदिरा साहनी के फैसले से ही यह स्थिति स्पष्ट है कि कार्यपालिका को यह अधिकार है. हमें हाई कोर्ट की दलीलें हैरान करती हैं.”
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह करते हुए कहा कि राज्य में लाखों पद भरने हैं. उन्होंने कहा कि राज्य की पिछड़ा वर्ग आयोग ने एक नए सर्वे के आधार पर नई OBC सूची तैयार की है और हाई कोर्ट ने भी यह नहीं कहा कि आयोग ने यह प्रक्रिया नहीं की.
कोर्ट ने कहा कि यदि सभी पक्ष सहमत हों तो वह हाई कोर्ट को निर्देश देगा कि वह इस मामले की निश्चित समय सीमा में सुनवाई करे, और तब तक यथास्थिति बनी रहेगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश को “पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण” बताते हुए उस पर रोक लगा दी.
गौरतलब है कि मई 2024 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा अप्रैल 2010 से सितंबर 2010 के बीच दी गई 77 जातियों और 2012 के आरक्षण अधिनियम के तहत बनाई गई 37 जातियों को ओबीसी दर्जा देने को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया था. नई सूची पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह अधिसूचना तब जारी की गई जब तक संबंधित रिपोर्ट विधायिका के समक्ष पेश नहीं की गई थी.
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