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सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल की टीचर भर्ती रद्द की, लेकिन कुछ उम्मीदवारों को बड़ी राहत भी दे दी है

Supreme Court ने कहा कि इस पूरी चयन प्रक्रिया में हेरफेर और धोखाधड़ी हुई है. जिन उम्मीदवारों की नियुक्ति की गई है, उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जानी चाहिए. हालांकि ये कहते हुए कोर्ट ने कुछ उम्मीदवारों को बड़ी राहत भी दी है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को जारी रखा है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
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रवि सुमन
3 अप्रैल 2025 (Updated: 3 अप्रैल 2025, 01:52 PM IST) कॉमेंट्स
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पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. 2016 में ‘पश्चिम बंगाल स्कूल सेलेक्शन कमिशन’ (SSC) के तहत करीब 25,000 टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति हुई थी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन सबकी नियुक्ति को रद्द (West Bengal School Jobs For Cash Scam) कर दिया था. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी. अब उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना था कि इस पूरी चयन प्रक्रिया में हेरफेर और धोखाधड़ी हुई थी. लाइव एंड लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने भी इससे सहमति जताई है. उन्होंने कहा है कि इस प्रक्रिया की वैद्यता खत्म हो गई है. कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.

लौटाने होंगे पूरे पैसे

CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. उन्होंने कहा,

हमारी राय में ये एक ऐसा मामला है जिसके पूरे सेलेक्शन प्रोसेस में ही गड़बड़ी है. बड़े स्तर पर हेरफेर और धोखाधड़ी हुई है. इसके कारण पूरी प्रक्रिया दूषित हो गई है. इसमें सुधार की गुजाइंश नहीं है. इसकी वैद्यता और विश्वसनीयता खत्म हो गई है. हमें इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता. जिन उम्मीदवारों की नियुक्ति की गई है, उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जानी चाहिए. उनको जो वेतन मिला है और जो भी भुगतान हुए हैं, वो सब वापस किया जाना चाहिए. हमें इस निर्देश को बदलने का कोई औचित्य नहीं दिखता.

बेंच ने अपने आदेश में कहा,

जिन उम्मीदवारों को विशेष रूप से दागी पाया गया है, उनकी पूरी चयन प्रक्रिया को संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन माना गया है. इसलिए उनकी चयन प्रक्रिया को पूरी तरह से अमान्य घोषित किया गया है.

जिन्होंने नौकरी शुरू कर दी है, उनका क्या होगा?

जिनकी नियक्ति हो चुकी है, यानी कि जिन्होंने अपनी नौकरी शुरू कर दी है, कोर्ट ने उन्हें थोड़ी राहत दी है. हालांकि, उनकी भी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. लेकिन उन्हें जो पैसे मिले हैं, वो वापस करने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि प्रक्रिया से चयनित हर उम्मीदवार की नियक्ति रद्द की जाएगी.

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बेदाग उम्मीदवारों का क्या होगा?

वैसे उम्मीदवार जो दागी श्रेणी में नहीं आते, यानी कि जो सीधे तौर पर गड़बड़ी में शामिल ना हों, और जिन्होंने पहले से राज्य के विभागों या स्वायत्त निकायों में काम किया हो… कोर्ट ने ऐसे लोगों को भी राहत दी है. ऐसे उम्मीदवार के लिए कोर्ट ने कहा है कि उन्हें उनके पिछले पदों पर आवेदन करने की अनुमति दी जानी चाहिए. ऐसे आवेदनों पर राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर कार्रवाई करनी है. ऐसे उम्मीदवारों को अपने पद पर फिर से आने की अनुमति दी जाएगी.

कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया है कि पिछली नौकरी की समाप्ति और इसमें फिर से शामिल होने के बीच का जो समय है, इस अवधि को ‘ब्रेक’ यानी 'सेवा में विराम' नहीं माना जाएगा. ऐसे लोग की वरिष्ठता बरकरार रखी जाएगी और वो वेतन वृद्धि के पात्र होंगे.

बता दें कि पिछले साल अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के नियुक्ति रद्द करने के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई की शुरुआत की थी.

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