SC से ममता सरकार को बड़ी राहत, SSC के अतिरिक्त पदों के फैसले की CBI जांच को रद्द किया
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अतिरिक्त पदों का सृजन बंगाल शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यक परामर्श और राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही किया गया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के बंगाल में कर्मचारी चयन आयोग (SSC) भर्ती से जुड़े एक फैसले को पलट दिया है. हाई कोर्ट ने 2022 की इस भर्ती के लिए अतिरिक्त पद बनाए जाने के फैसले की CBI जांच के आदेश दिए थे. अब सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच के आदेश को रद्द कर दिया है. शीर्ष अदालत के इस फैसले से बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बड़ी राहत मिली है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ममता सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. 8 अप्रैल को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना की अगुआई वाली बेंच ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि अदालतों को कैबिनेट के फैसलों की जांच करने से रोका गया है और ये आदेश गलत था.
बेंच ने कहा कि इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अतिरिक्त पदों का सृजन बंगाल शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यक परामर्श और राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही किया गया था. आज इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. उसने कहा कि हाई कोर्ट का जांच का निर्देश देना ‘न्यायोचित नहीं’ था.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश केवल हाई कोर्ट द्वारा अतिरिक्त पदों के सृजन की सीबीआई जांच के निर्देश तक ही सीमित है. बेंच ने आगे कहा कि उसका निर्णय किसी भी तरह से जांच के अन्य पहलुओं या मामले के संबंध में CBI द्वारा दायर आरोप पत्रों को प्रतिबिंबित नहीं करता है. जिसके कारण पूर्व शिक्षा मंत्री और ममता के करीबी सहयोगी पार्थ चटर्जी को भी जेल जाना पड़ा.
बता दें कि साल 2022 में ममता बनर्जी सरकार ने SSC भर्ती के लिए 6,861 अतिरिक्त पद बनाने का फैसला किया था. ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि तत्कालीन कलकत्ता हाई कोर्ट जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने 2016 के SSC भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच के बाद कई नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया था.
तब कई लोगों ने आरोप लगाया था कि ‘अवैध रूप से नियुक्त लोगों को बचाने के लिए’ अतिरिक्त पद बनाए गए थे. हालांकि, जब मामला जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच के पास गया तो उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल और उसके फैसले के खिलाफ CBI जांच का आदेश दिया.
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