आरती साठे को हाई कोर्ट जज बनाने की सिफारिश का विरोध, विपक्ष ने 'BJP की प्रवक्ता' बताया, लेकिन...
NCP (शरद पवार गुट) के विधायक Rohit Pawar ने साफ किया कि Aarti Sathe की जज बनने की योग्यता पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि ऐसी नियुक्ती लोगों की 'बिना पक्षपात न्याय' मिलने की भावना को चोट पहुंचाती है.

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने हाल में वकील आरती साठे को बॉम्बे हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी. अब इसे लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गई है. विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि आरती साठे 2023 से 2024 तक भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रवक्ता थीं. इस मुद्दे पर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है. NCP (शरद पवार) के विधायक रोहित पवार ने आरती को जज बनाने की सिफारिश का कड़ा विरोध किया है, जबकि कांग्रेस ने इसे 'लोकतंत्र का मजाक' बताया है.
वहीं बीजेपी ने आरती साठे को जज बनाने की सिफारिश का बचाव किया है. सत्ताधारी दल का कहना है कि साठे ने 2024 में ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या और अभिजीत करंडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आरती साठे वकीलों के परिवार से ताल्लुक रखती हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट के कुछ वकीलों के अनुसार, उनके पिता सीनियर वकील अरुण साठे भी राजनीति में एक्टिव हैं. बताया जाता है कि आरती साठे वैवाहिक मामलों के अलावा टैक्स विवाद, SAT और SEBI से जुड़े मामलों को भी देखती हैं.
5 अगस्त को कांग्रेस की महाराष्ट्र यूनिट ने इस सिफारिश पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा,
"बेशर्मी की हद. अचानक भाजपा प्रवक्ताओं को जज चुन लिया जा रहा है. भाजपा ने खुलेआम लोकतंत्र का क्रूर मजाक बना दिया है."
NCP (शरद पवार गुट) के नेता और विधायक रोहित पवार ने भी साठे के एक पुराने सोशल मीडिया पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया. इस पोस्ट में साठे महाराष्ट्र बीजेपी की प्रवक्ता बनने की जानकारी देती हैं. शरद पवार के पोते रोहित पवार ने एक्स पर लिखा,
"पब्लिक प्लेटफॉर्म से सत्तारूढ़ दल का पक्ष रखने वाले व्यक्ति की जज के रूप में नियुक्ति लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा आघात है. इसके भारतीय न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर दूरगामी परिणाम होंगे. केवल जज बनने की योग्यता रखने और राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्तियों को सीधे जज नियुक्त करने के कारण, क्या यह न्यायपालिका को राजनीति के अखाड़े में बदलने के बराबर नहीं है?"
रोहित पवार ने भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई से इस सिफारिश पर दोबारा विचार करने की अपील की है. उन्होंने कहा,
"संविधान में शक्तियों के बंटवारे का सिद्धांत इसलिए दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी के पास अनियंत्रित शक्ति ना हो, सत्ता का केंद्रीकरण ना हो और नियंत्रण व संतुलन बना रहे. क्या किसी राजनीतिक प्रवक्ता की जज के रूप में नियुक्ति शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत को कमजोर नहीं करती और, आगे बढ़कर, संविधान का नाश करने की कोशिश नहीं है?"
रोहित पवार ने साफ किया कि आरती साठे की जज बनने की योग्यता पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि ऐसी नियुक्ति लोगों की 'बिना पक्षपात न्याय' मिलने की भावना को चोट पहुंचाती है.
हालांकि, बीजेपी के महाराष्ट्र मीडिया प्रमुख नवनाथ कमल उत्तमराव बन ने इन आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने रोहित पवार को जवाब देते हुए लिखा,
"गलत आरोप नहीं लगाने चाहिए. आरती साठे ने 6 जनवरी 2024 को बीजेपी प्रवक्ता पद से इस्तीफा दिया था. यह पत्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार को दिया गया था."
इसके लिए उन्होंने अपने पोस्ट में आरती साठे का इस्तीफा भी शेयर किया है. उन्होंने गलत आरोप ना लगाने की अपील की है.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में चीफ जस्टिस बीआर गावई और अन्य वरिष्ठ जज शामिल हैं. यह कॉलेजियम उम्मीदवारों का इंटरव्यू करता है और फिर उनकी नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को नाम सुझाता है. कॉलेजियम ने 28 जुलाई को तीन नामों की सिफारिश की थी, जिनमें एक नाम आरती साठे का भी था. अब केंद्र सरकार इन नामों पर फैसला लेगी.
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