हाई कोर्ट में एड हॉक जजों की नियुक्ति का रास्ता साफ, रिटायर्ड जज करेंगे पेंडिग केसों का निपटारा
Supreme Court ने हाईकोर्ट में Ad hoc बेसिस पर जजों की नियुक्ति का रास्ता आसान कर दिया है. High Court में क्रिमनिल केसों के बढ़ते दबाव को देखते हुए कोर्ट ने ये डिसीजन लिया है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाई कोर्ट (High Court) में एड-हॉक बेसिस (Ad hoc Basis) पर जजों की नियुक्ति में पहले से तय की गई शर्तों में ढील दी है. इससे पहले कोर्ट ने आदेश दिया था कि हाई कोर्ट में जजों के टोटल स्ट्रेंथ का 20 परसेंट से ज्यादा सीट खाली होनी चाहिए. लेकिन अब इसको घटाकर 10 प्रतिशत कर दी है. इससे एड-हॉक जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया आसान हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने पेंडिंग क्रिमिनल मामलों के निपटारे के लिए ये फैसला किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि एड-हॉक जज हाई कोर्ट के मौजूदा जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच में बैठेंगे. और पेंडिग क्रिमिनल अपीलों पर फैसला करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2021 में हाई कोर्ट में पेंडिंग मामलों के निपटारे के लिए संविधान के अनुच्छेद 224 के तहत एड-हॉक जजों की नियुक्ति की अनुमति दी थी. और इसके लिए निर्देश भी जारी किया था.
अनुच्छेद 224 A हाई कोर्ट में रिटायर्ड जजों की नियुक्ति से संबंधित है. इसमें बताया गया है कि किसी राज्य के हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उस हाई कोर्ट या किसी दूसरे हाई कोर्ट में जज रह चुके किसी व्यक्ति से हाई कोर्ट में जज के तौर पर सेवा देने का अनुरोध कर सकता है. इस दौरान उस व्यक्ति को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा निर्धारित भत्ते मिलेंगे. और उसके पास हाई कोर्ट के जस्टिस के सभी अधिकार क्षेत्र, शक्तियां और विशेषाधिकार होंगे. लेकिन उसे हाई कोर्ट का जज नहीं माना जाएगा.
अप्रैल 2021 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट की क्षमता और कोर्ट के सामने आने वाली दिक्कतों के आधार पर एड-हॉक जजों की संख्या दो से पांच के बीच होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 30 जनवरी को आदेश दिया कि सारे हाई कोर्ट अनुच्छेद 224 A के तहत दो से पांच एड-हॉक जजों की नियुक्ति कर सकते हैं. अब कोर्ट में जजों की टोटल स्ट्रेंथ का 10 प्रतिशत खाली होने पर भी इनकी नियुक्ति की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि अप्रैल 2021 के फैसले के पैराग्राफ 43, 54 और 55 में दिए गए उसके निर्देश को फिलहाल स्थगित रखा जाए. जिसमें 20 प्रतिशत वैकेंसी होने की बात कही गई थी.
अप्रैल 2021 के जजमेंट में हाई कोर्ट को सिर्फ एड-हॉक जजों वाली डिवीजन बेंच बनाने की अनुमति मिली थी. क्योंकि उनको पुराने मामलों की सुनवाई करनी थी. लेकिन 30 जनवरी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि एड-हॉक जज हाई कोर्ट के मौजूदा जजों की अध्यक्षता वाली बेंच में बैठेंगे. और लंबित क्रिमिनल केसों पर फैसला लेंगे.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट की दो जज की बेंच ने पहले अलग-अलग फैसले सुनाए, फिर साथ मिलकर एक आदेश दिया