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दुश्मन को कब्र में पहुंचाएंगे भारत के 'उड़ते ताबूत', मिग-21 का ऐसा इस्तेमाल की मुनीर की सेना खौफ खाएगी

US ने अपने F-16 विमानों को Drone में तब्दील किया है. इसी तर्ज पर Indian Air Force के Mig-21 को भी Retirement के बाद Kamikaze Drone या Unmanned Combat Aerial Vehicle में तब्दील किया जा सकता है.

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reports claiming iaf mig 21 to be converted in ucav after retirement six decades service
इंडियन एयरफोर्स का मिग-21 (PHOTO-X)
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मानस राज
3 सितंबर 2025 (Published: 01:47 PM IST)
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एक फाइटर जेट जिसे 'उड़ता ताबूत' (Flying Coffin) कहा गया, एक सुपरसॉनिक रफ्तार पर चल रही मशीन जिसकी टेक्नोलॉजी चुराने के लिए इजरायल जैसे देश ने पायलट सहित पूरा विमान इराक से गायब करवा दिया. और एक शानदार मशीन जिसने इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) में 6 दशक से अधिक तक अपनी सेवाएं दीं और 2019 की बालाकोट स्ट्राइक (Balakot Strike) के बाद F-16 जैसे चौथी पीढ़ी के उन्नत विमान को मार गिराया. हम बात कर रहे हैं Mikoyan-Gurevich द्वारा 1959 में बनाए गए फाइटर जेट मिग-21 (Mig-21) की. 16 सितंबर 2025 को एक सेरेमनी में मिग को इंडियन एयरफोर्स से रिटायर किया जाएगा. इस बीच खबरें हैं कि इस विमान को रिटायरमेंट के बाद Kamikaze Drones या जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल्स (Surface To Air Missiles) की टेस्टिंग के लिए ड्रोन में बदला जा सकता है. अगर सब ठीक रहा तो रिटायरमेंट के बाद भी यह विमान भारत के दुश्मनों के लिए हवा में आफत बन सकता है. तो समझते हैं क्या संभावना है मिग के ड्रोन में मॉडिफिकेशन की, और इसमें क्या चुनौतियां सामने आ सकती हैं?

6 दशक की सर्विस, स्वदेशी तेजस लेगा मिग की जगह

मिग-21 बाइसन को 1963 में इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) शामिल किया गया था. ये भारत का पहला सुपरसॉनिक फाइटर जेट था. इंडियन एयरफोर्स सितंबर 2025 में एक कार्यक्रम के दौरान अपने मिग-21 बाइसन को फेयरवेल देगी. फिलहाल मिग-21 बाइसन की दो स्क्वाड्रन बीकानेर के नाल एयरबेस पर तैनात हैं. इसे पैंथर स्क्वाड्रन (Panther Squadron) नाम से जाना जाता है. इन दो स्क्वॉड्रन के रिटायर होते ही इंडियन एयरफोर्स में स्क्वॉड्रन की संख्या 29 हो जाएगी. इनकी जगह स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मार्क 1A फाइटर जेट्स लेंगे.

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विंग कमांडर (अब ग्रुप कैप्टन) अभिनंदन ने मिग-21 से ही पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया था
ड्रोन में तब्दील किया जाएगा मिग-21

10 नवंबर 2020 को यूरेशियन टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी. इस रिपोर्ट में कहा गया कि विएतनाम और भारत जैसे देश अपने मिग -21 को अनमैन्ड कॉम्बैट एरियल व्हीकल (Unmanned Combat Aerial Vehicle) यानी जंगी ड्रोन में बदल सकते हैं. विएतनाम ने 2010 के आसपास अपने मिग-21 विमानों को रिटायर कर दिया था. वहीं भारत 2025 में इन विमानों को रिटायर कर रहा है. ऐसे में ये सवाल फिर से उठ रहा है कि क्या भारत इन जेट्स को UCAV में तब्दील करेगा? या वॉर मेमोरियल और अन्य स्मारकों पर डिस्प्ले की तरह लगाएगा? रक्षा मामलों पर नजर रखने वाली वेबसाइट इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग की रिपोर्ट के मुताबिक मिग को 5 तरह से मोडिफाई किया जा सकता है. 

  • टारगेट ड्रोन्स: मिग-21 के एयरफ्रेम यानी ढांचे को मोडिफाई कर के उसे एक हाई स्पीड वाले ड्रोन में बदला जा सकता है. मिग की मैक 2 रफ्तार से इंडियन एयरफोर्स के पायलट्स हाई स्पीड टारगेट पर हमला करने की ट्रेनिंग कर सकते हैं. साथ ही अगर इसे ड्रोन में तब्दील किया गया तो जमीन से हवा में मार करने वाले सिस्टम्स जैसे आकाश, S-400 या प्रोजेक्ट कुशा की टेस्टिंग और भी प्रभावी तरीके से की जा सकेगी. 
  • चकमा देना (Decoys): अगर मिग को इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर की तकनीक से लैस किया जाए तो ये दुश्मन के इलाके में जाकर उनके एयर डिफेंस सिस्टम्स की पोजीशन का खुलासा कर सकता है. साथ ही दुश्मन को ऐसा लगेगा कि ये फाइटर जेट है, जबकि असल में ये एक ड्रोन होगा. 
  • कम्युनिकेशन रिले: जेट के उपकरणों को कम्युनिकेशन के लिए मोडिफाई कर के इंडियन एयरफोर्स के बाकी विमानों की संचार सुविधा को और बेहतर बनाया जा सकता है. 
  • जासूसी: मिग-21 को मोडिफाई कर इसका इस्तेमाल जासूसी और निगरानी के लिए किया जा सकता है. इस जेट की काबिलियत 17 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ान भरने की है, ऐसे में पायलट्स की जान खतरे में डाले बिना दुश्मन के इलाके में जाकर निगरानी की जा सकती है. 
  • कामिकाजे ड्रोन: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने इस तरह के ड्रोन्स खूब देखे जो दुश्मन के ऊपर जाकर डाइव यानी गोता लगाते हैं और ब्लास्ट हो जाते हैं. इन्हें कामिकाजे ड्रोन कहा जाता है. मिग को इस तरह के ड्रोन्स में तब्दील करने से कम लागत में सुसाइड ड्रोन्स तैयार किए जा सकेंगे.
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मिग-21 में एयर चीफ मार्शल एपी सिंह 
कितना मुश्किल है मिग-21 का मॉडिफिकेशन?

अमेरिका अपने रिटायर किए गए F-16 विमानों का इस्तेमाल QF-16 नाम के ड्रोन की तरह करता है. इन ड्रोन्स को मिसाइल टेस्टिंग में टारगेट की तरह इस्तेमाल किया जाता है. अब सवाल ये है कि क्या मिग-21 को ड्रोन में तब्दील करना किफायती है? IDRW ने इस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट में मॉडिफिकेशन की अनुमानित लागत और बाकी विकल्प बताए गए हैं. इसके मुताबिक 

  • टारगेट ड्रोन या कामिकाजे ड्रोन: अगर मिग-21 को टारगेट ड्रोन की तरह मोडिफाई किया जाता है तो इसमें 5 से 10 करोड़ के बीच लागत आएगी. जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल्स की टेस्टिंग के लिए ये एकदम मुफीद होगा. लेकिन इसमें दिक्कत है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया जा सकेगा. और इसमें समय के साथ टेलीमेट्री अपग्रेड्स की जरूरत पड़ेगी. टेलीमेट्री अपग्रेड वो अपग्रेड है जिसमें डेटा को इकठ्ठा करना और उसे प्रोसेस कर के फैसला लेने वाले सिस्टम को अपग्रेड किया जाता है. फाइटर जेट्स में ये सिस्टम बहुत ही अहम रोल अदा करता है.
  •  UCAV: अगर मिग-21 को मानव रहित हमलावर विमान या जासूसी विमान के रूप में मोडिफाई किया जाता है तो इसमें 50 से 100 करोड़ के बीच की लागत आ सकती है. इसका फायदा ये कि इन्हें कॉम्बैट मिशंस में कई बार इस्तेमाल किया जा सकेगा. लेकिन इसके साथ समस्या भी है कि इनका रखरखाव तब लगभग एक ओरिजनल मिग के बराबर ही पहुंच जाएगा. और तो और पुराने ढांचे की वजह से इनकी शेल्फ लाइफ काफी कम है. 
  • नया UCAV, DRDO Ghatak: DRDO भारत की सेनाओं के लिए एक नया, उन्नत और स्टेल्थ तकनीक से लैस UCAV 'घातक' पर काम कर रहा है. इस प्रोजेक्ट की कीमत 100-200 करोड़ के बीच होगी. इसमें फायदा ये है कि ये एडवांस और लेटेस्ट तकनीक से लैस होगा और लंबे समय तक सेनाओं में सेवा दे सकेगा. अब इसमें दिक्कत ये है कि इसकी रिसर्च एंड डेवलपमेंट से लेकर बनने तक में काफी पैसे खर्च होंगे. और समय से इसका बनना और टाइम पर डिलीवरी भी चिंता का विषय रहेंगे.
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मिग-21 का कॉकपिट (PHOTO-X/@mjavinod)
ऑटोमैटिक सिस्टम बनाना, सबसे बड़ी चुनौती

एक चीज जो मिग-21 को ड्रोन में तब्दील करने में सबसे बड़ा रोड़ा बन सकती है, वो है इसमें Fly By Wire फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम. ये एक ऐसा सिस्टम है जो कंप्यूटर का इस्तेमाल कर विमान के इनपुट को एनालाइज करता है. ये इनपुट या तो मैन्युअल पायलट या ऑटो पायलट, किसी का भी हो सकता है. अब मिग-21 के साथ दिक्कत ये है कि ये 1950 के दशक के मध्य में बना विमान है. समय के साथ इसे और एडवांस बनाया तो गया लेकिन आज भी इसके अधिकतर सिस्टम ऑटोमैटिक नहीं, मैन्युअल मोड पर काम करते हैं. ऐसे में इसे मोडिफाई करने में दाम को कैसे कम किया जाए, इसका फैसला हमारे साइंटिस्ट्स और टेक्निशियंस के हाथ में है.

वीडियो: अभिनंदन क्रैश के वक्त अपने मिग-21 से पाकिस्तान एयर फोर्स को जवाब दे रहे थे

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