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तीन साल पहले भारत में घुसे थे पहलगाम हमले के आतंकी, पाकिस्तान की पूरी साजिश खुली

इन तीनों आतंकवादियों का संबंध लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से था. तीनों आतंकवादी पहलगाम में हमले के बाद से श्रीनगर से लगभग 20 किलोमीटर दूर दाचीगाम के जंगलों के ऊपरी इलाकों में छिपे हुए थे. यहां छिपे रहने के दौरान ये “अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी वायरलेस सेट” से बातचीत कर रहे थे.

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Pahalgam Terrorist Infiltrate Three Years Ago From Kashmir Border
22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ था आतंकी हमला. (फाइल फोटो- पीटीआई)
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रिदम कुमार
30 जुलाई 2025 (Published: 02:56 PM IST) कॉमेंट्स
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पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है. वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से दावा किया गया है कि पहलगाम में हमला करने वाले तीनों आतंकवादी तीन साल पहले पाकिस्तान से भारत में घुसे थे. बीते साल ये दो ग्रुपों में बंट गए. इन्होंने सीमा पार अपने साथियों और अन्य लोगों से बातचीत के लिए “अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी वायरलेस सेट” का इस्तेमाल किया था. बता दें कि यह वायरलेस सेट दूसरे वायरलेस सेटों की तुलना में ज्यादा आधुनिक होता है और उन्हें इंटरसेप्ट करना भी काफी कठिन होता है. 

द हिंदू में छपी रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के हवाले से ये दावे किए गए हैं. बताया गया कि इन तीनों आतंकवादियों का संबंध लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से था. इनकी पहचान सुलेमान उर्फ फैजल जट्ट, हमजा अफगानी और जिब्रान के तौर पर हुई थी. घुसपैठ के दो साल बाद ये तीनों दो ग्रुपों में बंट गए थे. एक ग्रुप को सुलेमान लीड कर रहा था. 

सरकारी अधिकारी ने बताया कि पिछले साल लश्कर-ए-तैयबा के नए घुसपैठिए सुलेमान के ग्रुप में शामिल हुए और वे कश्मीर घाटी में एक्टिव थे. 2021 से अब तक करीब 20 से 25 आतंकवादियों के पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की संभावना है. एक ग्रुप अब भी जम्मू इलाके में एक्टिव है. 

यह भी पढ़ेंः ISI-LeT ने मिलकर रची थी पहलगाम हमले की साजिश, सिर्फ पाकिस्तानी आंतकी थे शामिल!

हमले के बाद यहां छिपे थे

रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों आतंकवादी पहलगाम में हमले के बाद से श्रीनगर से लगभग 20 किलोमीटर दूर दाचीगाम के जंगलों के ऊपरी इलाकों में छिपे हुए थे. ऊपरी इलाकों में आतंकियों के छिपे होने की बात केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने 25 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक में भी दी थी. 

यहां छिपे रहने के दौरान ये आतंकवादी वायरलेस सेट्स के जरिए बातचीत कर रहे थे. इन वायरलेस सेट्स की रेंज 20 से 25 किलोमीटर थी. इन्हें एक खास फ्रीक्वेंसी पर सेट करके इस्तेमाल किया जाता था. अधिकारी ने बताया कि आतंकियों के बीच क्या बात हुई उसे तो नहीं सुना जा सका. लेकिन सुरक्षाबलों ने डायरेक्शन फाइंडर की मदद से बातचीत के सिग्नलों को पकड़ा और इससे उनकी लोकेशन का पता चल सका. पहला सिग्नल 22 मई को पकड़ा गया. 

सुरक्षाबलों को ऐसे मिली लोकेशन

सरकारी अधिकारी ने अखबार को बताया कि सिग्नल का पता लगने के बाद सुरक्षाबलों ने दाचीगाम के जंगलों को घेर लिया. जब भी कोई सिग्नल मिलता, उस क्षेत्र की तलाशी ली जाती. 22 जुलाई 2025 को तकनीकी और मानवीय खुफिया जानकारी की मदद से तीनों आतंकवादियों का पता लगाया गया और फिर उन्हें मार गिराया गया. 

पहलगाम हमले के बाद तीन आतंकवादियों के स्केच जारी किए गए थे. आतंकियों की संख्या को लेकर सरकारी अधिकारी का कहना था कि घटना वाले दिन बैसरन में आतंकवादियों की संख्या के बारे में कई अलग-अलग और विरोधाभासी रिपोर्टें थीं. मौके पर मौजूद कुछ लोगों और पीड़ितों ने बताया था कि 4 से 6 आतंकवादी थे. लेकिन विस्तार से पूछताछ करने के बाद पता चला कि बैसरन में हमला करने वाले तीन आतंकवादी थे. ये सभी 28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव के दौरान मारे गए.

साथ ही यह भी दावा किया गया था कि हमले में शामिल दो आतंकी पाकिस्तानी थे, जबकि एक जम्मू-कश्मीर का नागरिक था. लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 जुलाई को लोकसभा में बताया कि हमले को अंजाम देने वाले तीनों आतंकवादी पाकिस्तानी थे. उनके पास पाकिस्तानी वोटर आईडी और पाकिस्तानी चॉकलेट भी पाई गई थी. 

वीडियो: 'ऑपरेशन महादेव' में मारे गए तीन आतंकियों का पहलगाम हमले से क्या कनेक्शन?

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