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'मौत की घंटी', 'सुपर इमरजेंसी', मोदी सरकार के नए बिल पर क्या बोले राहुल गांधी और विपक्षी नेता?

विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के नए बिल का पुरजोर विरोध जताया है. विपक्ष कह रहा है कि इस बिल का दुरुपयोग कर राज्यों की सरकारों को अस्थिर किया जा सकता है.

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Opposition on new bill
नए बिल पर (बायें से) राहुल गांधी, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन और पिनराई विजयन ने विरोध जताया है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
20 अगस्त 2025 (Published: 07:58 PM IST)
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लोकसभा में पेश 130वें संविधान संशोधन विधेयक का विपक्षी दलों ने पुरजोर विरोध किया है. इस बिल के तहत गंभीर अपराध में 30 दिन तक लगातार जेल में बंद मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, यहां तक कि प्रधानमंत्री को उनके पद से हटाया जा सकता है. विपक्ष कह रहा है कि इस बिल का दुरुपयोग कर राज्यों की सरकारों को अस्थिर किया जा सकता है. विपक्ष ने बिल को संसद सत्र के एकदम आखिर में लाने पर मोदी सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाया. 

बंगाल, तमिलनाडु और केरल के मुख्यमंत्रियों ने बिल को 'लोकतंत्र खत्म करने वाला' और ‘सुपर इमरजेंसी’ से भी बढ़कर बताया. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस बिल को लेकर कहा कि ‘यह मध्यकालीन दौर में वापस लौटने जैसा है, जहां राजा पसंद न आने पर किसी को भी पद से हटा सकता था.’ 

संविधान संशोधन बिल पर क्या बोला विपक्ष?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे ‘सरकार का छल’ बताया और कहा कि यह बिल राज्यों से सरकारों को हटाने के लिए सत्ताधारी पार्टी का हथियार बन जाएगा. उन्होंने आगे कहा, 

संसदीय लोकतंत्र और संघवाद के मूल्यों को कमजोर करने वाले संविधान संशोधन विधेयक को संसद से सत्र के अंत में छलपूर्वक पेश किया जा रहा है. ताकि, सार्थक बहस या जांच की कोई गुंजाइश न बचे. ये नए बिल सत्ताधारी पार्टी के हाथों में ऐसे हथियार बन जाएंगे, जिनसे राज्यों की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों को और अस्थिर किया जा सकेगा.

केरल के सीएम पिनराई विजयन ने भी बिल पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ये बिल केंद्रीय जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर बदले की राजनीति और राजनीतिक शिकार करने की प्रक्रिया की अगली कड़ी है. पहले ही राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने के लिए जांच एजेंसियों को हथियार बनाया जा रहा है. कई मुख्यमंत्री और मंत्री लंबे समय तक जेल में डाले गए हैं लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. इस बिल को लाने के पीछे ‘मोदी सरकार की यही हताशा’ है. BJP पर हमला बोलते हुए सीएम विजयन ने कहा,

बीजेपी को बताना चाहिए कि किस संवैधानिक नैतिकता के नाम पर भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तार नेता पार्टी बदलकर बीजेपी में आ जाने पर संत बन जाते हैं.

अभिषेक बनर्जी ने बताया ‘ध्यान भटकाने की साजिश’
तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता अभिषेक बनर्जी ने मोदी सरकार पर विपक्षी दलों को सूचित किए बिना ही बिल पेश करने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि वे लोग सब कुछ ‘रात में करते हैं और कायर’ हैं. TMC ने शुरूआत से ही बिल का विरोध किया है. बनर्जी ने आगे कहा, 

ये बिल SIR से ध्यान भटकाने वाली स्ट्रेटजी है. जब BJP ने 'अबकी बार, 400 पार' का नारा लगाया तो उनकी मंशा साफ हो गई थी. वो भारत के संविधान को बदलना चाहते हैं.

बनर्जी ने BJP पर ‘पूर्ण नियंत्रण हासिल करने’ का आरोप लगाया और कहा कि उनकी चिंता है कि सत्ता में कैसे बने रहें. इस बिल के जरिए सरकार न्यायपालिका के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि ईडी के 5892 मामलों में से केवल 8 मामलों में ही आरोप साबित हुए हैं. यानी सिर्फ 0.5 प्रतिशत. बनर्जी ने BJP नेताओं को इस बिल पर बहस की चुनौती दी और दावा किया कि मोदी मंत्रिमंडल के 28 मंत्रियों पर गंभीर मामले दर्ज हैं.

ममता बनर्जी ने बताया ‘सुपरइमरजेंसी’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 130वें संविधान संशोधन बिल को 'सुपर-इमरजेंसी' से भी बड़ा कदम और 'भारतीय लोकतंत्र की आत्मा पर हिटलर जैसा हमला' बताया. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 

मैं भारत सरकार द्वारा आज पेश किए जाने वाले 130वें संविधान संशोधन विधेयक की निंदा करती हूं. यह 'सुपर इमरजेंसी' से भी बढ़कर है. यह भारत के लोकतांत्रिक दौर को हमेशा के लिए खत्म करने की कोशिश है. यह तानाशाही भरा कदम भारत में लोकतंत्र और संघीय ढांचे की मौत की घंटी है.

ममता बनर्जी ने कहा, ‘ये बिल हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता खत्म करना चाहता है. जो हो रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. ये बिल भारतीय लोकतंत्र की आत्मा पर हिटलर जैसा हमला है. यह अदालतों से उनका संवैधानिक अधिकार छीनना चाहता है. न्याय और संघीय संतुलन जैसे बुनियादी मसलों पर फैसला करने का हक उनसे छीनने की कोशिश है.’

‘संविधान को अपवित्र’ करने का आरोप
वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि मोदी सरकार ‘संविधान को अपवित्र’ करने का काम कर रही है. वोट चोरी के बाद BJP एक्सपोज हो गई है. उसकी वैधता सवालों के घेरे में है. ऐसे में इस खुलासे से जनता का ध्यान भटकाने के लिए BJP बेचैन है. सीएम स्टालिन ने कहा, 

ये विधेयक BJP को राज्यों के सत्ताधारी राजनीतिक विरोधियों पर झूठे मामले थोपने और उन्हें हटाने की इजाजत देता है. क्षेत्रीय दलों को डराने-धमकाने के लिए ये एनडीए की एक डरावनी कोशिश है.

विपक्षमुक्त लोकतंत्र की ओर कदमः मनोज झा
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने इस बिल को ‘विपक्ष मुक्त लोकतंत्र’ की दिशा में BJP सरकार की कोशिश बताया. उन्होंने कहा, 

लोकतंत्र की आत्मा बहस, असहमति और सत्ता में बैठे लोगों को चुनौती देने के अधिकार पर टिकी है. जब इस तरह के बिल के जरिए विपक्ष की आवाजों को दबा दिया जाता है, उन्हें अमान्य कर दिया जाता है या अप्रासंगिक बना दिया जाता है तो जो बचता है वह लोकतंत्र नहीं, बल्कि चुनावी रस्मों में लिपटा एक खोखला तानाशाही शासन होता है.

राहुल ने कहा, ‘मध्यकालीन दौर में लौट रहे’
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि 'संविधान पर हमला करने वालों' और 'उसकी रक्षा करने वालों' के बीच युद्ध चल रहा है. उन्होंने आगे कहा,

BJP सरकार के नए बिल पर बहुत शोर मचा हुआ है. हम फिर उसी मध्यकालीन दौर में लौट रहे हैं जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा देता था. अगर उसे किसी का चेहरा पसंद नहीं आया तो ईडी से उसे गिरफ्तार करवा सकता था और एक लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुआ प्रतिनिधि सिर्फ 30 दिनों में पद से हटा दिया जाता है.

बता दें कि लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने 130वां संविधान संशोधन बिल पेश किया है, जिसके तहत गंभीर अपराध में जो मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री 30 दिन से ज्यादा जेल में रहेंगे, उन्हें उनके पद से हटा दिया जाएगा.

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