सवाल था "पहला अंतरिक्ष यात्री कौन?" छात्र ने तो गलत जवाब दिया ही, नेता जी ने हद कर दी
BJP सांसद Anurag Thakur ने National Space Day 23 अगस्त पर ऊना के पेखुबेला स्थित PM श्रीजवाहर नवोदय विद्यालय में एक प्रदर्शनी के दौरान छात्रों से बात कर रह थे. इसी दौरान उन्होंने बच्चों से यह सवाल पूछा था.

पढ़ाई के दूसरे सवाल किसी को याद हों या न हों, लेकिन अंतरिक्ष में जाने वाला पहला व्यक्ति कौन था? यह सवाल लगभग सभी को रटा होता है. लेकिन बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के लिए इस सवाल का जवाब कुछ और ही है. वह हिमाचल के ऊना के एक स्कूल में बच्चों से मुखातिब हो रहे थे. इसी दौरान उन्होंने इस सवाल का ऐसा जवाब दिया कि बच्चों को अपने सिलेबस और पढ़ाई पर संदेह होने लगा. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि बच्चों और खुद बीजेपी सांसद ने इस सवाल का जो जवाब दिया वे दोनों ही गलत थे.
बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने नेशनल स्पेस डे 23 अगस्त पर ऊना के पेखुबेला स्थित पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय में एक प्रदर्शनी के दौरान छात्रों से बात कर रहे थे. मंच से संबोधन के दौरान उन्होंने बच्चों से पूछा,
अंतरिक्ष की यात्रा करने वाला पहला व्यक्ति कौन था?
इसके जवाब में सभी बच्चे एक साथ चिल्लाए,
नील आर्मस्ट्रांग!
लेकिन बच्चे तो बच्चे अनुराग ठाकुर भी कम नहीं थे. उन्होंने कहा,
अंतरिक्ष में जाने वाला पहला व्यक्ति“मुझे लगता है कि हनुमानजी थे.”
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अनुराग ठाकुर और वहां बैठे बच्चे, दोनों के ही जवाब सही नहीं थे. अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन (Yuri Alekseyevich Gagarin) थे. वह साल 1961 में स्पेस में गए थे और पृथ्वी के चक्कर लगाए थे. अमेरिका के आर्मस्ट्रांग चांद पर जाने वाले पहले व्यक्ति थे. वह साल 1969 में चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने.
यह उदाहरण दोहरी चूक की ओर इशारा करता है. पहली यह कि छात्रों को सही जवाब नहीं पता था. दूसरा यह कि नेता ने पौराणिक कथाओं को इतिहास बताया और बच्चों को सही जानकारी न देकर गलत जानकारी को और बढ़ावा दिया. सिर्फ यही नहीं, यहां वैज्ञानिक सोच की भी अनदेखी की गई. भारत के संविधान के आर्टिकल-51A(h) में यह जिम्मेदारी तय की गई है कि देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Temper) को बढ़ावा दिया जाए. लेकिन यहां तो ‘साइंटिफिक टेंपर लेफ्ट दी चैट’ वाली स्थिति हो गई.
हां, यह मुमकिन है कि अनुराग ठाकुर का इरादा शायद यह दिखाना रहा हो कि हमें अपने सांस्कृतिक गौरव और प्राचीन ज्ञान पर गर्व होना चाहिए. अक्सर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी “पांच प्रण” और औपनिवेशिक सोच खत्म करने की बातें कह चुके हैं. लेकिन यहां यह समझने की बात है कि उपनिवेशवाद से मुक्ति और अपनी संस्कृति पर गर्व का मतलब विज्ञान और इतिहास के नाम पर पौराणिक कथाओं को गढ़ना नहीं है.
वहीं, स्कूली बच्चों द्वारा एक साथ नील आर्मस्ट्रांग का जवाब देना शिक्षा की वास्तविक स्थिति को भी उजागर करता है. छात्रों को तथ्य और कल्पना के बीच अंतर करना सिखाने की जरूरत है. पौराणिक कथाएं पढ़ाई जा सकती हैं लेकिन पौराणिक कथाओं के रूप में. उन्हें इतिहास के रूप में पेश नहीं किया जाना चाहिए.
वीडियो: तारीख: स्पेस में भेजी गए गाने और हिंदी में संदश, किसके लिए हैं?