अंतरिक्ष में विशाल ब्लैक होल्स टकरा गए, फिजिक्स के नियम तोड़ डाले
LIGO ने दो ऐसे ब्लैक होल्स की टक्कर को पकड़ा, जो इतने बड़े और तेजी से घूमने वाले थे कि वैज्ञानिकों के होश उड़ गए.

अंतरिक्ष की दुनिया में अगर कोई चीज सबसे ज्यादा रहस्यमय है, तो वो है ब्लैक होल. ये खगोलीय ‘दैत्य’ अपनी जबरदस्त ग्रेविटेशन पावर शक्ति से न सिर्फ तारे, ग्रह, बल्कि रोशनी तक को निगल लेते हैं. सुदूर अंतरिक्ष में झांकने के लिए बनाए गए टेलिस्कॉप्स एक के बाद एक बड़े ब्लैक होल्स की तस्वीरें ले रहे हैं. हाल में आई एक स्टडी में साइंटिस्ट ने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की है.
अंतरिक्ष में टकराए दो ब्लैक होल्सनेचर की रिपोर्ट के मुताबिक ये खोज की है अमेरिका में बनी लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO) ने. इसे अंतरिक्ष में फैली ग्रैविटेशनल लहरों को कैप्चर करने के लिए बनाया गया है. कहा जा रहा है कि LIGO की इस नई खोज ने अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने की दिशा में एक नया मोड़ ला दिया है. इसने दो ऐसे ब्लैक होल्स के टकराने का पता लगाया है. बताया जा रहा है कि ये LIGO द्वारा खोजे गए अब तक के सबसे बड़े ब्लैक होल्स हैं. ये विशालकाय होने के साथ इतनी तेजी से घूम रहे हैं कि वैज्ञानिकों के होश उड़ गए.
नेचर के मुताबिक ये ब्लैक होल इतने ताकतवर थे कि इनके टकराने से जो गुरुत्वीय तरंगें (gravitational waves) निकलीं, वो अंतरिक्ष में लंबी दूरी तय करके धरती तक पहुंचीं. इन तरंगों को LIGO के सुपर सेंसिटिव डिटेक्टर्स ने पकड़ा है. अब ये गुरुत्वीय तरंगें क्या होती हैं? सोचो, ये अंतरिक्ष का वो कंपन है जो तब पैदा होता है जब कोई बहुत बड़ी चीज, जैसे दो ब्लैक होल आपस में भिड़ जाते हैं.
क्यों है ये इतना बड़ा मसला?अब बात ये है कि ये ब्लैक होल्स सामान्य नहीं थे. ये इतनी तेजी से घूम रहे थे कि वैज्ञानिकों ने इन्हें ‘फॉरबिडन’ ब्लैक होल्स का नाम दे दिया. क्यों? क्योंकि फिजिक्स के मौजूदा मॉडल्स के हिसाब से इतने तेज घूमने वाले ब्लैक होल्स का बनना लगभग नामुमकिन है. येल यूनिवर्सिटी की एस्ट्रोफिजिसिस्ट प्रियंवदा नटराजन ने इस खोज को ‘सुपर एक्साइटिंग’ बताया. उन्होंने कहा,
LIGO ने कैसे पकड़ा ये तमाशा?“हम इन भारी भरकम ‘फॉरबिडन’ ब्लैक होल्स को देख रहे हैं.”
LIGO वो सुपर डिटेक्टर है, जो अंतरिक्ष में होने वाली इन तरंगों को पकड़ता है. ये डिटेक्टर इतने सेंसिटिव हैं कि अगर अंतरिक्ष में कहीं कोई बड़ी हलचल होती है, जैसे ब्लैक होल्स की टक्कर, तो वो उसको रिकॉर्ड कर लेते हैं. हालिया हलचल की वजह नवंबर 2013 में हुई टक्कर है. इसे साइंटिस्ट्स ने GW231123 नाम दिया. रिपोर्ट के मुताबिक ये दो ब्लैक होल्स के टकराव से हुआ जिनका वजन सूरज से 100 और 140 गुना ज्यादा था. इन दोनों के टकराने से जो ब्लैक होल बना उसका वजन 225 सोलर मास के बराबर यानी सूरज से 225 गुना ज्यादा था.
ब्लैक होल के मॉडल ये भी बताते हैं कि वे बहुत तेजी से घूम रहे थे. प्रति सेकेंड लगभग 40 बार. जो आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के सिद्धांत के तहत है. कार्डिफ यूनिवर्सिटी के फिजिसिस्ट मार्क हन्नम कहते हैं,
“ये सबसे बड़ा टकराव है. ये पिछले रिकॉर्ड होल्डर से 50 फीसदी ज्यादा है.”
ये खोज सिर्फ इसलिए बड़ी नहीं है कि दो बड़े ब्लैक होल्स टकराए. असल मसला ये है कि ये टक्कर फिजिक्स के नियमों को तोड़ रही है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने तेज घूमने वाले ब्लैक होल्स का होना और इतनी बड़ी टक्कर फिजिक्स के मॉडल्स को चुनौती देती है. इसका मतलब है कि हमें अंतरिक्ष और ब्लैक होल्स के बारे में अपनी समझ को और गहरा करना होगा. साथ ही, ये खोज हमें ये भी बताती है कि ब्रह्मांड में ऐसी चीजें हो रही हैं जिनके बारे में हमें अभी पूरी जानकारी नहीं है.
ब्लैक होल का जन्म और उसकी भूखसबसे पहले समझते हैं कि ब्लैक होल बनता कैसे है. जब कोई बहुत बड़ा तारा अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव में पहुंचता है, तो वो सुपरनोवा ब्लास्ट के साथ खत्म होता है. इस धमाके के बाद जो कोर बचता है, वो इतना घना हो जाता है कि उसकी ग्रैविटी सब कुछ अपनी ओर खींच लेती है. ये है आपका ब्लैक होल! लेकिन कुछ ब्लैक होल तो गैलेक्सी के सेंटर में बैठे होते हैं. जिन्हें सुपरमैसिव ब्लैक होल कहते हैं. इनकी भूख इतनी जबरदस्त होती है कि ये पूरे-पूरे तारों के सिस्टम को चट कर जाते हैं.
अंतरिक्ष में फैली ग्रैविटेशनल लहरों को कैप्चर करने के लिए बनाए गए वैज्ञानिकों ने अब तक का सबसे बड़ा ब्लैक होल ढूंढा है. ये इतना बड़ा है कि इसका वजन हमारे सूरज से 40 अरब गुना ज्यादा है. यानी अगर आप सूरज को एक किलो का आलू मानें, तो ये ब्लैक होल 40 अरब किलो का आलू होगा! लेकिन क्या ये सबसे बड़ा है, या इससे भी बड़ा कुछ हो सकता है?
क्या है साइज की लिमिट?वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लैक होल की साइज की कोई थ्योरेटिकल लिमिट तो नहीं है, लेकिन प्रकृति में कुछ नियम इसे कंट्रोल करते हैं. जैसे, कोई ब्लैक होल जितना ज्यादा मैटर (पदार्थ) निगलता है, उतना बड़ा होता जाता है. लेकिन एक ट्विस्ट है! अगर ब्लैक होल बहुत ज्यादा मैटर खा लेता है, तो उसका इवेंट होराइजन (वो सीमा जहां से कुछ भी बच नहीं सकता) इतना बड़ा हो जाता है कि वो और मैटर खाने में दिक्कत महसूस करने लगता है. आसपास का मैटर इतनी तेजी से घूमने लगता है कि वो डिस्क बनाकर बाहर की ओर उछलने लगता है. इसे एक्रिशन डिस्क कहते हैं.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सबसे बड़ा ब्लैक होल शायद 100 अरब सूरज जितना भारी हो सकता है. इससे ज्यादा बड़ा होने के लिए उसे इतना मैटर चाहिए, जो शायद ब्रह्मांड में उपलब्ध ही नहीं है. और अगर बहुत ज्यादा मैटर एक साथ आ जाए, तो वो ब्लैक होल को और बड़ा करने के बजाय नई गैलेक्सी या तारों को जन्म दे सकता है.
आगे क्या?
बहरहाल, ताजा खोज से मिले डेटा का वैज्ञानिक गहराई से अध्ययन कर रहे हैं. वो ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर ये ‘फॉरबिडन’ ब्लैक होल्स कैसे बने और इतनी तेजी से क्यों घूम रहे थे. इस खोज से भविष्य में ब्लैक होल्स की उत्पत्ति और उनके व्यवहार को समझने में मदद मिल सकती है. साथ ही, ये हमें ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों की कहानी भी बता सकता है. क्योंकि ब्लैक होल्स उस समय के अवशेष हो सकते हैं.
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