वैटिकन में परसों ये भारतीय पादरी बनेंगे कॉर्डिनल, देखने के लिए PM मोदी ने बाकायदा टीम भेजी है?
India से सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल Vatican City जा रहा है. PM Modi ने इसकी इजाजत दी है. Kerala के पादरी जॉर्ज कूवाकड (Monsignor George Jacob Koovakad) को कार्डिनल (Cardinal) बनाए जाने के कार्यक्रम में ये ग्रुप हिस्सा लेगा. आखिर ये कार्यक्रम विशेष क्यों है? कार्डिनल बनने का मतलब क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैटिकन सिटी जाने के लिए एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को मंजूरी दे दी है. ये प्रतिनिधिमंडल शनिवार, 07 दिसंबर को रवाना होगा. ये ग्रुप वैटिकन सिटी में केरल के पादरी मोनसिग्नोर जॉर्ज जैकब कूवाकड को कार्डिनल बनाए जाने के समारोह में शामिल होगा. 8 दिसंबर को ये समारोह पोप फ्रांसिस की अध्यक्षता में होगा.
न्यूज़ एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक भारत से जा रहे प्रतिनिधिमंडल में सात लोग शामिल होंगे. इस ग्रुप का नेतृत्व केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन करेंगे. इसके अलावा इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर, कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश, राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू, भाजपा नेता अनिल एंटनी, भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के पूर्व प्रमुख अनूप एंटनी जोसेफ और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन शामिल हैं.
वैटिकन सिटी में होने वाले समारोह और अपनी यात्रा को लेकर जानकारी देते हुए भाजपा नेता अनिल एंटनी ने बताया,
'केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें संसद के दो वरिष्ठ सदस्य भी शामिल हैं, कल वैटिकन सिटी जा रहे हैं, इस कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस नए कार्डिनल्स बनाएंगे...'
एंटनी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 सालों में सभी वैश्विक समुदायों तक पहुंचने का प्रयास किया है. और ये भी उसी प्रयास का एक हिस्सा है.
वहीं केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने भी इस मामले पर एक ट्वीट किया, लिखा-
जॉर्ज जैकब कूवाकड कौन हैं?'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सभी धर्मों के लिए समान अधिकार और अवसर के दृष्टिकोण ने भारत को अल्पसंख्यकों के लिए सबसे सुरक्षित देश बना दिया है. जॉर्ज कूवाकड के कार्डिनल बनाए जाने के कार्यक्रम में जाने वाले आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का मुझे सौभाग्य मिला है, ये निर्णय केरल और ईसाई समुदाय के लिए मोदी जी के प्रेम को दर्शाता है.'
केरल के 51 साल के पादरी मोनसिग्नोर जॉर्ज जैकब कूवाकड को कार्डिनल बनाए जाने का एलान बीते 8 अक्टूबर को किया गया था. उन्हें 20 अन्य पादरियों के साथ ये पद सौंपा जा रहा है. 11 अगस्त, 1973 को तिरुवनंतपुरम में जन्मे जॉर्ज कूवाकड को 24 जुलाई, 2004 को एक पादरी नियुक्त किया गया था और बाद में उन्होंने प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसिस्टिकल एकेडमी में राजनयिक सेवा के लिए प्रशिक्षण लिया.
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उन्होंने अल्जीरिया, दक्षिण कोरिया, ईरान, कोस्टा रिका और वेनेजुएला सहित दुनिया भर के कई अपोस्टोलिक नन्सिएचर में सेवा की है. कूवाकड वैटिकन सिटी में रहते हैं और साल 2020 से पोप फ्रांसिस की अंतरराष्ट्रीय यात्राओं की व्यवस्था देखते आ रहे हैं. उनका कार्डिनल बनना केरल के लिए बेहद गर्व की बात है, क्योंकि वो राज्य से आने वाले छठे कार्डिनल हो जाएंगे.
कार्डिनल बनने का मतलब क्या है?अगर संक्षेप में कहें तो कार्डिनल, कैथोलिक चर्च के पादरियों में एक सीनियर पद होता है. ये पोप के विशेष सलाहकार के तौर पर काम करते हैं और चर्च का संचालन करने में मदद करते हैं. कार्डिनल, चर्च का प्रशासन चलाने में भी पोप की सहायता करते हैं. होली-सी की सीट खाली होने की स्थिति में इन पर नए पोप का चुनाव कराने की भी जिम्मेदारी होती है.
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