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ममता और टाटा ग्रुप में हुआ पैचअप? सिंगूर के 2 दशक बाद बंगाल CM और टाटा प्रमुख की मुलाकात

Mamata Banerjee ने Singur में टाटा मोटर्स के प्लांट के लिए किए गए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया था. उस समय बंगाल में CPI(M) की सरकार थी. और बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्यमंत्री थे. तब से उनके और टाटा ग्रुप के रिश्ते सही नहीं माने जा रहे थे.

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Mamata Banerjee n chandrasekaran tata group
ममता बनर्जी ने एन चंद्रशेखरन से मुलाकात की. (एक्स ग्रैब)
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आनंद कुमार
10 जुलाई 2025 (Updated: 10 जुलाई 2025, 12:56 PM IST) कॉमेंट्स
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टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) ने 9 जुलाई को ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से मुलाकात की. मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी टाटा समूह के चेयरमैन के साथ पहली मुलाकात है. दोनों के बीच हुई इस मुलाकात के बाद बंगाल और टाटा समूह के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने की उम्मीद है, जोकि 17 साल पहले ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले सिंगूर आंदोलन के चलते जमी थी. इस आंदोलन के चलते टाटा मोटर्स को सिंगूर से अपना ‘नैनो प्रोजेक्ट’ वापस लेना पड़ा था.

 तृणमूल कांग्रेस (TMC) के आधिकारिक एक्स हैंडल से इस मुलाकात की जानकारी शेयर की गई है. TMC ने बताया, 

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टाटा सन्स और टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन के साथ बंगाल के औद्योगिक विकास और नए अवसरों को लेकर रचनात्मक चर्चा की.

उन्होंने आगे बताया कि यह बैठक पब्लिक और प्राइवेट पार्टनरशिप को मजबूत करने की दिशा में बंगाल की प्रतिबद्धता को दिखाती है, जो नवाचार, निवेश और समावेशी विकास को आगे बढ़ाएगी.

साल की शुरुआत में मिले थे सुलह के संकेत

इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल में ग्लोबल बिजनेस समिट का आयोजन हुआ था. इस दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि उनकी एन. चंद्रशेखरन से फोन पर बात हुई है. उन्होंने दावा किया कि टाटा समूह बंगाल में निवेश करने के लिए इच्छुक है. अब राजनीतिक हलकों में दोनों की ताजा मुलाकात की खूब चर्चा है. 

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ममता बनर्जी ने खोला था मोर्चा 

17 साल पहले साल 2006 में ममता बनर्जी ने सिंगूर में टाटा मोटर्स के प्लांट के लिए किए गए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया था. उस समय बंगाल में CPI(M) की सरकार थी. और बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्यमंत्री थे. राज्य सरकार ने किसानों की मर्जी के खिलाफ 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. ममता बनर्जी ने इसके खिलाफ सड़क से लेकर विधानसभा तक प्रदर्शन किया था. 

इस आंदोलन के चलते टाटा ग्रुप ने साल 2008 में अपना हाथ खींच लिया. और अपने प्रोजेक्ट को गुजरात शिफ्ट कर दिया. सिंगूर आंदोलन और उसके बाद नंदीग्राम आंदोलन ने राज्य में वामपंथी सरकार की विदाई की स्क्रिप्ट लिखी. ये दो आंदोलन ममता बनर्जी को साल 2011 में सत्ता तक पहुंचाने की सीढ़ी साबित हुए. 

वीडियो: ममता बनर्जी लंदन में दे रही थीं भाषण, छात्रों के 'टफ' सवाल पर CM ने कैसे दिए जवाब?

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