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'भगवान निष्पक्ष हैं, जाति तो... ', ये बड़ी बात बोल हाईकोर्ट ने दलितों को मंदिर में जाने की इजाजत दी

Madras High Court On SC Devotees: तमिलनाडु में एक मंदिर है, अरुलमिगु पुथुकुडी अय्यनार मंदिर. मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि अनुसूचित जाति के लोगों को इस मंदिर में प्रवेश करने दिया जाए. अब इस पर कोर्ट ने आदेश दिया है.

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Madras High Court On SC Devotees
अनुसूचित जाति (SC) के लोगों को मंदिर जाने से रोकना उनकी गरिमा का अपमान है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
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हरीश
18 जुलाई 2025 (Updated: 18 जुलाई 2025, 04:23 PM IST) कॉमेंट्स
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मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जाति और समुदाय इंसान के बनाए हुए हैं. जबकि भगवान तटस्थ यानी न्यूट्रल (निष्पक्ष) हैं. कोर्ट ने ये भी कहा कि अनुसूचित जाति (SC) के लोगों को मंदिरों में प्रार्थना करने के अधिकार से रोकना, उनकी गरिमा का अपमान है. कानून के शासन वाले देश में इसकी कभी अनुमति नहीं दी जा सकती.

तमिलनाडु में एक मंदिर है, अरुलमिगु पुथुकुडी अय्यनार मंदिर. कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि अनुसूचित जाति के लोगों को इस मंदिर में प्रवेश करने दिया जाए. और 16 से 31 जुलाई तक चलने वाले रथ त्योहार में भाग लेने की मंंजूरी दी जाए.

इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वो मंदिर और रथ त्योहार में सभी के लिए समान पहुंच सुनिश्चित करें. साथ ही, अगर कोई उन्हें रोकने की कोशिश करे, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें. जस्टिस एन आनंद वेंकटेश की सिंगल जज की बेंच ने कहा कि अगर कोई मंदिर जनता के लिए खुला है, तो उसमें जाति की परवाह किए बिना सभी को प्रवेश की अनुमति होनी चाहिए.

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जाति के आधार पर प्रवेश से इनकार करना, सम्मान और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने ‘तमिलनाडु मंदिर प्रवेश प्राधिकरण अधिनियम, 1947’ का हवाला भी दिया. ये अधिनियम सुनिश्चित करता है कि सभी हिंदुओं को मंदिरों में प्रवेश करने और पूजा करने का अधिकार है. बार एंड बेंच की ख़बर के मुताबिक़, कोर्ट के आदेश में कहा गया है,

ये अधिनियम कई नेताओं के लंबे संघर्ष के बाद लागू हुआ. जो ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि लोगों को उनकी जाति के आधार पर मंदिरों में प्रवेश करने से न रोका जाए. राज्य के हिंदू मंदिरों में हिंदु धर्म के ही कुछ वर्गों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाए गए थे. इसे रोकने के लिए ही राज्य सरकार ने इस अधिनियम को लागू किया था.

याचिका में क्या कहा गया?

पुथुकुडी अय्यनार मंदिर अरियालुर जिले के उदयरपलायम तालुक में मौजूद है. याचिकाकर्ता का कहना है कि पुथुकुडी गांव में ये मंदिर कई दशकों से अस्तित्व में है. सभी जातियों और संप्रदायों के ग्रामीण लंबे समय से इसकी पूजा करते रहे हैं. लेकिन 2019 में कुछ लोगों के एक ग्रुप ने परिसर में एक नया मंदिर बनाने का फैसला करके मंदिर प्रशासन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की.

द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़, याचिका में कहा गया कि मंदिर बनाने में अनुसूचित जाति के निवासियों ने भी आर्थिक योगदान दिया था. लेकिन उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया. इसके अलावा, मंदिर परिसर में अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा स्थापित सभी मूर्तियों और पत्थर की संरचनाओं को तोड़ दिया गया.

याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि पुथुकुडी अय्यनार मंदिर में एक लोहे का गेट लगा दिया गया था. और अनुसूचित जाति के श्रद्धालुओं को गेट के बाहर से ही भगवान की पूजा करने के लिए मजबूर किया जा रहा था. आरोप लगाया गया कि इस तरह के भेदभाव के बावजूद, कानून-व्यवस्था की समस्या के डर से सरकारी अधिकारियों ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया.

वीडियो: मंदिर के गार्ड की 'पुलिस कस्टडी' में मौत हो गई थी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या-क्या पता चला?

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