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आधी रात को नहीं खेल सकेंगे रियल मनी गेम, हाईकोर्ट से गेमिंग कंपनियों को नहीं मिली राहत

कोर्ट ने ऐसे खेल खेलने की अनुमति देने से पहले उम्र वेरीफाई करने के लिए आधार कार्ड पेश करने पर भी सहमति जताई. अदालत ने कहा, दूसरे पहचान पत्रों की तुलना में आधार वेरिफिकेशन में हेरफेर की गुंजाइश कम है.

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Madras High Court Agrees With Government Related To Night Ban On Real Money Games
हाईकोर्ट ने गेमिंग कंपनियों को नहीं दी राहत. (फोटो- इंडिया टुडे)
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रिदम कुमार
4 जून 2025 (Published: 02:00 PM IST) कॉमेंट्स
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तमिलनाडु सरकार ने ऑनलाइन रियल मनी गेम्स (RMG) को लेकर रेगुलेशन बनाए थे. नियमों के तहत रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक रियल मनी गेम्स खेलने पर बैन लगाया गया था. अब मद्रास हाईकोर्ट ने इस फैसले को सही ठहराया है (Madras High Court On RMG). कोर्ट ने RMG खेलने के लिए आधार वेरिफिकेशन जैसे नियमों को भी बरकरार रखा है. और इस तरह कोर्ट ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की याचिका खारिज कर दी.

बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने TNOGA रेगुलेशन के दो प्रावधानों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था. उन्होंने कोर्ट से इन प्रावधानों को अमान्य घोषित करने की अपील की थी. लेकिन जस्टिस एस.एम. सुब्रमण्यम और के. राजशेखर की बेंच ने किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया.

कोर्ट में तर्क दिया गया था कि ये नियम कैंडी क्रश और नेटफ्लिक्स जैसी चीज़ों पर लागू नहीं होते हैं. इसमें भी लत का खतरा होता है. लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना. अदालत ने कहा,

याचिकाकर्ताओं का यह तर्क सही नहीं है. कैंडी क्रश जैसे ऑनलाइन गेम फ्री में खेले जा सकते हैं. यह मुख्य रूप से प्रीमियम मॉडल पर काम करता है. लेकिन RMG में लोग रिवॉर्ड की संभावना के तौर पर आकर्षित होते हैं. यह जीतने के रोमांच के लिए ज़्यादा खेला जाता है. लोग अक्सर खेल में मग्न हो जाते हैं. एक लेवल के बाद इसकी लत लग जाती है. यह लत हमारे तर्क करने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे फैसलों पर असर पड़ता है.

कोर्ट ने आगे कहा,

व्यक्ति बार-बार अपने पैसे से खेलने के लिए प्रेरित हो सकता है. लेकिन उन्हें इसमें होने वाले फाइनेंशियल लॉस का अंदाज़ा नहीं होता. हमारा देश अभी भी प्रगति कर रहा है. हमें अभी भी 100% लिटरेसी पानी है. यहां लोग आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि की अलग-अलग कैटिगरी से आते हैं. ऐसे में यह उम्मीद करना सही नहीं होगा कि इस तरह के गेम्स खेलने वाले शख़्स को इसमें शामिल जोखिमों के बारे में 100 प्रतिशत जानकारी हो.

कोर्ट को कुछ खास घंटों के दौरान खेल को बैन करने पर भी कुछ गलत नहीं लगा. साथ ही ऐसे खेल खेलने की अनुमति देने से पहले उम्र वेरीफाई करने के लिए आधार कार्ड पेश करने पर भी सहमति जताई. अदालत ने कहा,

दूसरे पहचान पत्रों की तुलना में आधार वेरिफिकेशन में हेरफेर की गुंजाइश कम है. रही बात प्राइवेसी के अधिकार की तो पब्लिक इंटरेस्ट उससे ज़्यादा अहम है. नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण पर ज़ोर देने समेत अन्य पहलू भी हमारे संविधान की रीढ़ हैं. प्राइवेसी के अधिकार की अपनी सीमाएं हैं. इसका पूरी तरह से दावा नहीं किया जा सकता.

इसके अलावा, कोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि राज्य सरकार के पास इस तरह के रेगुलेशन लाने की पावर नहीं है. सिर्फ केंद्र ही इस पर रेगुलेशन बना सकता है. लेकिन कोर्ट ने इन तर्कों को भी खारिज कर दिया. 

कोर्ट ने कहा कि रेगुलेशन नागरिकों की हेल्थ को ध्यान में रखते हुए लाए गए हैं. संविधान के तहत स्वास्थ्य राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है. राज्य को संविधान के तहत बिज़नेस और कॉमर्स को रेगुलेट करने का अधिकार है. इसमें ऑनलाइन रियल मनी गेम भी शामिल होंगे. 

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