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नाग पंचमी पर जिंदा सांपों की पूजा! इस प्रथा के लिए केंद्र से इजाजत मांगेंगे महाराष्ट्र के मंत्री

Nag Panchami Live Snake Worship: इस मुद्दे पर केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ बैठक तय की गई है. जिंदा सांपों की पूजा दोबारा शुरू किए जाने को लेकर जल्लीकट्टू जैसे खेलों के लिए इजाज़त दिए जाने का हवाला दिया गया है.

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Live Snake Worship On Nag Panchami: Maharashtra Forest Minister Ganesh Naik Said He Will Ask Centre Government For Permission
पूर्व मंत्री ने की है मांग. (फाइल फोटो- पीटीआई)
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रिदम कुमार
3 जुलाई 2025 (Updated: 3 जुलाई 2025, 08:36 AM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र (Maharashtra) के वन मंत्री (Forest Minister) गणेश नाईक (Ganesh Naik) ने नाग पंचमी के दौरान जीवित सांपों (Nag Panchami Snake Worship) की पूजा करने की मांग की है. उन्होंने विधानसभा में कहा कि वह केंद्र सरकार से इसकी इजाज़त मांगेंगे. इतना ही नहीं, इस पारंपरिक प्रथा को दोबारा शुरू करवाने के लिए कानूनी रास्ते भी तलाशेंगे. ज़रूरत पड़ी तो इसके लिए अदालत की मदद भी लेंगे. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्दे पर 7-8 जुलाई को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ बैठक तय की गई है. इसमें नाग पंचमी के दौरान जीवित सांपों की पूजा किए जाने के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी. 

दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे पहले यह मुद्दा बीजेपी विधायक सत्यजीत देशमुख ने उठाया था. वह इस मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आए थे. उनका कहना था कि महाराष्ट्र के बत्तीस शिराला में लंबे समय से चली आ रही धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को फिर से शुरू किया जाना चाहिए. 

इसके लिए देशमुख ने तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की इजाज़त देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हाथियों के औपचारिक उपयोग की अनुमति का हवाला दिया. उन्होंने सुझाव दिया कि नाग पंचमी के भी इसी तरह की छूट दी जा सकती हैं.

देशमुख ने कहा, 

“बत्तीस शिराला नाग पंचमी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है. इसका ज़िक्र स्कूली क़िताबों में भी किया गया है. इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि इससे सांपों को नुकसान पहुंचता हो.”

शिराळा नाग पंचमी उत्सव

गौरतलब है कि बत्तीस शिराला महाराष्ट्र के सांगली जिले का गांव है. बत्तीस शिराला गांव में नाग पंचमी काफी भव्य और अलग तरीके से मनाई जाती है. इसे ‘शिराळा नाग पंचमी उत्सव’ कहा जाता है. इस त्योहार के दौरान गांव के लोग नाग पंचमी से पहले जंगलों में जाकर ज़िंदा सांप पकड़ कर लाते हैं. पांच दिन तक उन्हें दूध आदी चीज़ें पिलाते हैं. 

फिर नाग पंचमी वाले दिन इन ज़िंदा सांपों की पूजा की जाती है. पूजा के बाद इन सांपों को फिर से जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया जाता है. यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है. गांव वालों का मानना है कि सांप भगवान शिव के गले का आभूषण हैं. उन्हें पूजने से बीमारियों और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है.

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