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क्या दिल्ली विधानसभा में कोई ‘फांसी घर’ है?

AAP नेताओं ने हाल के वर्षों में विधानसभा परिसर में एक तथाकथित ‘फांसी कोठरी’ के दावे को प्रचारित किया. उनका दावा था कि ब्रिटिश काल में स्वतंत्रता सेनानियों को इस कोठरी में फांसी दी जाती थी.

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Is there a phansi ghar inside Delhi Assembly Here’s what Speaker Vijender Gupta say
गुप्ता ने 2011 में विधानसभा भवन के निर्माण के वक्त के एक मैप का हवाला भी दिया. (फोटो- X)
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प्रशांत सिंह
6 अगस्त 2025 (Updated: 6 अगस्त 2025, 09:33 PM IST)
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दिल्ली विधानसभा, एक ऐतिहासिक इमारत जो स्वतंत्रता संग्राम की गवाह है और आज की दिल्ली की सियासत का केंद्र भी. इन दिनों ये जगह एक विवादास्पद दावे के कारण सुर्खियों में है. आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने लंबे समय से दावा किया कि इस परिसर में एक ‘फांसी घर’ या ‘फांसी कोठरी’ थी, जहां ब्रिटिश काल में स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी जाती थी (Phansi ghar inside Delhi Assembly). लेकिन अब, दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता (Vijender Gupta) ने इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे ‘झूठ का पुलिंदा’ करार दिया है.

स्पीकर ने गाइडेड टूर कराया

इन दावों को खारिज करने के लिए दिल्ली विधानसभा स्पीकर विजेन्द्र गुप्ता ने एक गाइडेड टूर की अगुआई की. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि विधानसभा में ऐसा कोई स्थान पहले कभी नहीं था. बीजेपी नेता ने आगे कहा,

“ऐसे किसी स्थान का कोई भी इतिहास मौजूद नहीं है. यहां कभी कोई फांसी घर नहीं था. ये कमरे सदस्यों को टिफिन बॉक्स पहुंचाने के लिए डिजाइन किए गए थे और मूल भवन योजना का हिस्सा थे.”

गुप्ता ने 2011 में विधानसभा भवन के निर्माण के वक्त के एक मैप का हवाला भी दिया. उन्होंने बताया कि 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार ने झूठा दावा किया था कि परिसर में एक फांसी-घर था और बाद में इसका रेनोवेशन कराया.

दिल्ली विधानसभा की इमारत पहले दिल्ली के सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के रूप में जानी जाती थी. इसका निर्माण 1912 में पूरा हुआ. ब्रिटिश आर्किटेक्ट ई मोंटेग्यू थॉमस ने इसे डिजाइन किया था. ये केवल आठ महीनों में बनकर तैयार हुई थी. 1919 के बाद ये केंद्रीय विधानसभा के रूप में कार्य करने लगी.

इतिहासकारों ने क्या बताया?

दरअसल AAP नेताओं ने हाल के वर्षों में विधानसभा परिसर में एक तथाकथित ‘फांसी कोठरी’ की कहानी को प्रचारित किया था. उनका दावा था कि ब्रिटिश काल में स्वतंत्रता सेनानियों को इस कोठरी में फांसी दी जाती थी. लेकिन इतिहासकार स्वप्ना लिडल ने दावा किया कि ऐसा कोई भी फांसी घर होने की संभावना बेहद कम है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,

"ये इमारत सचिवालय के तौर पर बनाई गई थी. ऐसी इमारत में कोई भी फांसी घर नहीं बनाता."

उन्होंने इस दावे पर भी संदेह जताया कि विधानसभा के नीचे लाल किले तक जाने वाली कोई सुरंग है. लिडल ने कहा,

"मुझे इस दावे का समर्थन करने वाले किसी भी विवरण या सबूत की जानकारी नहीं है."

इतिहासकार और लेखक सोहेल हाशमी भी सुरंग होने के दावों पर संदेह करते हैं. वो कहते हैं,

"ये अंग्रेजों ने बनवाया था और वो भारत पर राज कर रहे थे, और विद्रोह का कोई खतरा नहीं था. वो यहां सुरंग क्यों बनवाएंगे? सुरंग जल्दी से निकलने के लिए बनाई जाती है, इसलिए इसकी ऊंचाई इतनी होनी चाहिए कि कोई व्यक्ति घोड़े पर सवार होकर जा सके, जो स्पष्ट रूप से सच नहीं हैं."

उधर, विधानसभा स्पीकर ने अपने बयान में ये भी बताया कि दिल्ली विधानसभा की इमारत को 2012 में हेरिटेज बिल्डिंग घोषित किया गया था. इसके बाद, इसकी मरम्मत और संरक्षण का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की देखरेख में किया गया.

विजेंदर गुप्ता ने कहा कि ASI के रिकॉर्ड में भी ‘फांसी घर’ जैसी किसी संरचना का कोई उल्लेख नहीं है. उन्होंने पूर्व की AAP सरकार पर आरोप लगाया कि वो ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर रही है ताकि अपनी राजनीतिक छवि को चमका सके.

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