अगले दलाई लामा पर भारत का बयान आ गया, चीन आगबबूला होने वाला है
भारत ने चीन के किसी भी हस्तक्षेप की कोशिश को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ये तिब्बती समुदाय और बौद्ध परंपराओं का आंतरिक मामला है.

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन केवल और केवल दलाई लामा ही कर सकते हैं (India on Dalai Lama successor). उन्होंने चीन के किसी भी हस्तक्षेप की कोशिश को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ये तिब्बती समुदाय और बौद्ध परंपराओं का आंतरिक मामला है. भारत की तरफ से ये बयान उस समय आया है, जब चीन ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में अपनी भूमिका का दावा किया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बयान में कहा,
"दलाई लामा का पद न केवल तिब्बतियों के लिए बल्कि दुनिया भर में उनके सभी अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. अपने उत्तराधिकारी के बारे में निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा के पास है."
रिजिजू का ये बयान इस मामले में भारत सरकार के रुख को और स्पष्ट करता है. भारत ने हमेशा तिब्बत के धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों में तिब्बती समुदाय की स्वायत्तता का समर्थन किया है. रिजिजू ने कहा,
“दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध परंपराओं और उनके आध्यात्मिक नेतृत्व के आधार पर होगा. इसमें किसी बाहरी ताकत का कोई हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है.”
उन्होंने ये भी जोड़ा कि भारत तिब्बती समुदाय के अधिकारों और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करता है.
चीन पहले भी कर चुका है दावा14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो 1959 में तिब्बत से भारत आ गए थे. तब से वो भारत में निर्वासन में रह रहे हैं. वो धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश में तिब्बती सरकार-इन-एक्साइल के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं. 89 वर्षीय दलाई लामा ने बार-बार कहा है कि उनके उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार होगा, जिसमें पुनर्जन्म की प्रक्रिया शामिल है. उन्होंने ये भी संकेत दिया है कि वो अपने उत्तराधिकारी के बारे में स्वयं निर्णय ले सकते हैं या यह प्रक्रिया उनके निधन के बाद पारंपरिक तरीके से पूरी की जाएगी.
उधर चीन ने दावा किया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन उसकी मंजूरी के बिना नहीं हो सकता. चीन ने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी पुनर्जन्म को बीजिंग ही मान्यता देगा. देश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा,
"दलाई लामा के उत्तराधिकार को चीनी कानूनों और नियमों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक सम्मेलनों का पालन करना चाहिए."
उन्होंने दलाई लामा को लेकर बीजिंग के लंबे समय से चले आ रहे रुख को दोहराते हुए कहा कि उत्तराधिकारी का चयन चीन की सीमाओं के भीतर उसकी निगरानी में होना चाहिए.
बता दें कि बीजिंग ने पहले भी पंचेन लामा जैसे महत्वपूर्ण तिब्बती धार्मिक नेताओं के चयन में हस्तक्षेप किया है. जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय और तिब्बती समुदाय ने अवैध माना है. 1995 में, जब दलाई लामा ने 11वें पंचेन लामा के रूप में गेदुन चोएक्यि न्यिमा को मान्यता दी थी, तब चीन ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. और उनकी जगह एक अन्य व्यक्ति को पंचेन लामा के रूप में नियुक्त कर दिया था. इस घटना ने तिब्बती समुदाय और वैश्विक स्तर पर काफी आक्रोश पैदा किया था.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: अगला दलाई लामा कौन? किस चिट्ठी पर भड़का चीन?