रक्षा उत्पादों पर घटाई गई GST, एयरक्राफ्ट पर जीरो जीएसटी से सेनाओं को मिलेगी ताकत
GST on Defence Equipments: सेनाओं को और मजबूत बनाने के लिए रक्षा उपकरणों, हथियारों और Military Aircrafts पर लगने वाले जीएसटी को पूरी तरह जीरो माने खत्म कर दिया गया है.

कोई देश दो चीजों से मजबूत बनता है. पहला है उसकी अर्थव्यवस्था, और दूसरा उसकी सेना. अर्थव्यवस्था में पैसे चाहिए तो उसके लिए सरकारें टैक्स जैसे जीएसटी (GST) पर निर्भर होती हैं, वहीं सेना को समय से उपकरण हथियार मिलते रहें तो उनकी तैयारी बनी रहती है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक में इकोनॉमी को बूस्ट देने और सेनाओं को और मजबूत बनाने के लिए रक्षा उपकरणों, हथियारों और सैन्य विमानों पर लगने वाले जीएसटी (GST on Defence Equipments) को पूरी तरह जीरो माने खत्म कर दिया गया है. तो जानते हैं इससे रक्षा उपकरणों की खरीद और उनपर लगने वाले जीएसटी पर क्या फर्क पड़ेगा.
28% GST का स्लैब खत्म किया गयाजीएसटी सिस्टम को सरल बनाने के लिए सरकार ने कुछ सुधार किए हैं. पहले 5%, 12%, 18% और 28% के चार स्लैब हुआ करते थे. अब उन्हें 5% और 18% के दो स्लैब में बदल दिया गया है. साथ ही सिन गुड्स जैसे तम्बाकू उत्पादों पर 40% का नया स्लैब लगाया गया है. 22 सितंबर से होने वाले इन बदलावों में सेनाओं को भी तोहफा मिला है. पहले कई सैन्य उपकरणों पर 18% तक जीएसटी लागू होता था. अब इन पर जीएसटी घटा कर इन्हें जीरो की कैटेगरी में डाल दिया गया है.

आजतक से बात करते हुए एक्सपर्ट ने बताया कि यह फैसला न सिर्फ लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देगा, बल्कि डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ाने में भी सहायक साबित होगा. उदाहरण के लिए अमेरिकन कंपनी लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) से खरीदे जाने वाले C-130 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और वडोदरा में बनाए जा रहे C-295 मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट पर अब जीएसटी नहीं लगेगा.


- रिमोट पायलट एयरक्राफ्ट (एक तरह के ड्रोन) से लॉन्च होने वाली मिसाइल्स.
- GSAT यानी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट्स जिनका इस्तेमाल जासूसी/निगरानी के लिए भी होता है
- फाइटर जेट्स से लॉन्च की जाने वाली मिसाइल्स (जैसे अस्त्र, ब्रह्मोस, रुद्रम).
- फ्लाइट सिमुलेटर्स: वो उपकरण जिससे पायलट्स को ट्रेनिंग करवाई जाती है. इससे उन्हें उड़ान के दौरान वास्तविक सिचुएशन का एक्सपीरियंस मिलता है. जीएसटी जीरो होने से ट्रेनिंग अकादमियों में प्रशिक्षण की लागत कम होगी.
- अंडरवाटर वेसल्स: पानी के अंदर ऑपरेट होने वाले उपकरण जो जासूसी, राहत-बचाव जैसे मिशंस में काम आते हैं.
- फाइटर जेट इंजेक्शन सीट: किसी इमरजेंसी के दौरान फाइटर पायलट को प्लेन से बाहर निकालने वाली सीट. इसमें नीचे की तरफ एक रॉकेट लगा होता है जो पायलट को तुरंत किसी दुर्घटना की स्थिति में बाहर फेंक देता है.
- डीप सबमरजेंस रिस्क्यू व्हीकल (DSRV): पानी की गहराई में किसी सबमरीन को रिस्क्यू करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.
- तोप और राइफल्स के स्पेयर पार्ट्स.
- सॉफ्टवेयर पर आधारित रेडियो कम्युनिकेशन डिवाइस पर पहले 18-28% तक जीएसटी लगता था, अब सिर्फ 5% लगेगा.
- वॉकी-टॉकी पर लगने वाला जीएसटी 12% से घटा कर 5% किया गया.

ऑपरेशन सिंदूर और दुनिया में चल रहे हर तरह के युद्ध में अब ड्रोन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है. पहले कैटेगरी के आधार पर ड्रोन पर 5% से 28% तक जीएसटी लगता था. कैमरा वाले ड्रोन पर 18%, पर्सनल यूज वाले ड्रोन पर 28% जीएसटी वसूला जाता था. अब कमर्शियल इस्तेमाल वाले ड्रोन पर 5% जीएसटी लगेगा. वहीं डिफेंस सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन पर जीएसटी को जीरो कर दिया गया है. इससे न सिर्फ सेनाओं को बल्कि देश में उभर रही ड्रोन इंडस्ट्री को भी बूस्ट मिलेगा.
वीडियो: रखवाले: ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन का इस्तेमाल कैसे हुआ, एयरफोर्स ऑफिसर ने सब बता दिया