The Lallantop
Advertisement

LAC पर चीन की हरकतों का जवाब, अब भारत बनाएगा रोड, एयरस्ट्रिप और मिसाइल बेस

सेना के 30 अहम प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल गई है. ये सभी प्रोजेक्ट्स National Board Of Wildlife के क्लियरेंस की वजह से अटके पड़े थे. अब NBWL की स्टैंडिंग कमेटी (SC-NBWL) ने इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है. ये प्रोजेक्ट्स लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश, यानी पूर ईस्टर्न सेक्टर में फैले हैं.

Advertisement
from ladakh to arunachal pradesh 30 defence projects gets clearance of National Board Of Wildlife
LAC पर गश्त करते सेना के जवान (PHOTO-AajTak)
pic
मानस राज
11 जुलाई 2025 (Published: 09:23 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

भारत अपने पड़ोसी चीन से 1962 में जंग लड़ चुका है. जंग के अलावा भी देखें तो लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर कई बार तनाव की खबरें सामने आई हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि चीन से लगी नियंत्रण रेखा पर सेना को समय पर जरूरी साजो-सामान पहुंच सके. इसी कड़ी में अब सेना के 30 अहम प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल गई है. ये सभी प्रोजेक्ट्स नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ (NBWL) के क्लियरेंस की वजह से अटके पड़े थे. अब NBWL की स्टैंडिंग कमेटी (SC-NBWL) ने इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है. ये प्रोजेक्ट्स लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश, यानी पूरा ईस्टर्न सेक्टर या पूर्वी सेक्टर में फैले हैं. तो जानते हैं कि किन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली है. और ये प्रोजेक्ट्स कितने अहम हैं.

अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे 

भारत का अरुणाचल प्रदेश सामरिक लिहाज से काफी अहम है. चीन से लगी नियंत्रण रेखा इसी राज्य से लगती है. साथ ही अरुणाचल का म्यांमार से भी बॉर्डर लगता है. इसी इलाके में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे का निर्माण किया जा रहा है. चूंकि ये हाईवे नामदाफा टाइगर रिजर्व से गुजरता है, इसलिए यहां किसी भी निर्माण के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ (NBWL) की मंजूरी चाहिए होती है जिससे वन्यजीवों और उनके रहने की जगहों पर इंसानी दखल का कम से कम असर हो. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में नामदाफा टाइगर रिजर्व का करीब 310 हेक्टेयर का एरिया आएगा. कमेटी के मेंबर्स के मुताबिक प्रोजेक्ट की वजह से टाइगर रिजर्व में कई पेड़ भी काटे जाएंगे.

File:Indian Air Force Antonov An-32 taking off from Daulat Beg Oldi ALG.jpg
दौलत बेग ओल्डी में उतरता इंडियन एयरफोर्स का एक ट्रांसपोर्ट विमान (PHOTO-Wikipedia)
दौलत बेग ओल्डी BPM

इस प्रोजेक्ट को लद्दाख क्षेत्र के लिए रणनीतिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है. ये लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी से बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (BPM) तक जाने वाली 10.26 किलोमीटर लंबी एक लिंक रोड है. BPM वो पोस्टनुमा जगह होती है जहां भारत के सैनिक, चीन से सहयोग और तालमेल बनाए रखने के लिए मीटिंग और सीमा के मुद्दों पर चर्चा करते हैं. दौलत बेग ओल्डी 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है. साथ ही यहां एयरस्ट्रिप भी है जिससे सेना को जरूरी हवाई मदद जैसे, हथियार, राशन आदि भेजा जाता है. SC-NBWL ने दौलत बेग ओल्डी तक जाने वाली एक सड़क को मंजूरी दे दी थी जिससे सेना को मूवमेंट में पहले की तुलना में समय कम लगता है.

रक्षा मंत्रालय ने वन्यजीव बोर्ड के पैनल को बताया था कि दौलत बेग ओल्डी और Old BPM Hut के बीच कोई सड़क नहीं है. यहां भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवान अक्सर आते-जाते रहते हैं. इसमें कहा गया है कि दूसरी ओर, चीनी के टीडब्ल्यूडी (हमारी तरफ डीबीओ जैसा) से चीनी टेंपरोरी मीटिंग पॉइंट तक 9-18 मीटर चौड़ी एक कंक्रीट सड़क बना रहा है.

Indo-China border personnel meet held on the eve of New Year - India Today
LAC पर तालमेल के लिए मिलते भारतीय और चीनी सेना के अधिकारी (PHOTO-India Today)

कुल मिलाकर SC-NBWL ने 26 जून को अपनी बैठक में 30 से अधिक डिफेंस और बुनियादी ढांचे वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी है. इनमें से 26 प्रोजेक्ट्स लद्दाख में स्थित हैं. रक्षा मंत्रालय और वन्यजीव पैनल बोर्ड की मीटिंग की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव ने की. लद्दाख में मौजूद प्रोजेक्ट्स काराकोरम वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी और चांगथांग कोल्ड डेजर्ट संक्चुअरी से होकर जाते हैं. वहीं अरुणाचल प्रदेश के प्रोजेक्ट्स अरुणाचल में दिबांग वाइल्डलाइफ संक्चुअरी और सिक्किम में पैंगोलखा वाइल्डलाइफ संक्चुअरी से गुजरती है. इन इलाकों में किसी भी तरह के कंस्ट्रक्शन के लिए वन्यजीव मंत्रालय की परमिशन चाहिए होती है जिससे निर्माण के बाद वहां के जंगलों, वन्यजीवों और जलवायु पर असर कम से कम पड़े.

काराकोरम वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी को देखें तो ये कई दुर्लभ जीवों का घर भी है. इस संक्चुअरी में तिब्बती हिरण, शापो, जंगली याक, हिम-तेंदुआ, हिमालयन ग्रे भेड़िया, लिंक्स और ग्रे मर्मोट (Marmot) जैसे जीव भी रहते हैं. दूसरी ओर अरुणाचल स्थित दिबांग वाइल्डलाइफ संक्चुअरी में भी तेंदुए और बाघ रहते हैं. साथ ही पैंगोलखा में एशियाई काला भालू और कई तरह के पक्षी पाए जाते हैं. लिहाजा इन कारणों से इन क्षेत्रों को सहेजना जरूरी है.

दूसरे प्रोजेक्ट्स जिनकी मंजूरी मिली है उनमें सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के जवानों के लिए एक फील्ड हॉस्पिटल बनाने की योजना है. साथ ही क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए हेलीकॉप्टर और एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर भी मजबूत किया जा रहा है. इससे सियाचिन जाने वाले सामान में देरी की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी. इसके अलावा श्योक में कम दूरी की सरफेस टू एयर मिसाइल्स को तैनात करने के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया जा रहा है. मिसाइल के लिए बनाई जा रही फैसिलिटी में कमांड एंड कंट्रोल पोस्ट, शेल्टर और जवानों के लिए ट्रेनिंग की जगह का निर्माण भी किया जा रहा है.

पूरे नॉर्थ-ईस्ट में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए, वन्यजीव बोर्ड के पैनल ने अनिनी फॉरेस्ट डिवीजन में 121 हेक्टेयर वन्य जमीन पर मालिन्ये-बलुआ-कपुडा सड़क को कुछ शर्तों के अधीन मंजूरी दे दी है. SC-NBWL ने कहा कि प्रोजेक्ट में में पशुओं और बायो-डाइवर्सिटी पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए उनके लिए एक अलग सड़क का निर्माण भी किया जाएगा. 

कुल मिलाकर बात देखें तो भारत चीन से लगी सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर काम कर रहा है. क्योंकि चीन LAC से लगे क्षेत्रों में लगातार सड़क से लेकर तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहा है. ऐसे में भारत भी उसकी तैयारियों को देखते हुए अपनी कमर कस रहा है.

वीडियो: दुनियादारी: क्या रूस-यूक्रेन जंग अभी लंबी चलेगी?

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement