उमर और शर्जिल को नहीं मिली जमानत, पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने जो कहा था फिर वायरल हो रहा है
Supreme Court के पूर्व CJI जस्टिस DY Chandrachud का Umar Khalid की जमानत अर्जी को लेकर पुराना बयान वायरल हो रहा है. Delhi High Court की ओर से खालिद की जमानत अर्जी खारिज होने के बाद ये वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें वह उमर खालिद की जमानत अर्जी को लेकर बोल रहे हैं. यह 13 फरवरी 2025 को दिए पूर्व CJI के एक इंटरव्यू का छोटा सा हिस्सा है, जिसमें वह दावा कर रहे हैं कि उमर खालिद के वकील ने कई बार कोर्ट के सामने सुनवाई टालने की मांग की है. चंद्रचूड़ ने उमर खालिद की जमानत अर्जी वापस लिए जाने की घटना का भी जिक्र किया और कहा कि ऐसे वकीलों के बारे में क्या कहा जाए जो बार-बार केस की सुनवाई टालते हैं और फिर केस वापस ले लेते हैं.
लॉ बीट की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व सीजेआई ने इस केस में जजों पर सवाल उठाने वाले लोगों को केस का रिकॉर्ड चेक करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर एक खास नजरिया पेश किया जाता है लेकिन जज वहां पर बचाव में अपनी बात नहीं रख सकते. चंद्रचूड़ का ये बयान ऐसे समय में वायरल हो रहा है जब दिल्ली हाई कोर्ट ने खालिद और शरजील इमाम समेत दिल्ली दंगे के आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है.
उमर खालिद दिल्ली दंगों में आरोपी हैं और 5 साल से जेल में बंद हैं. बीते दिनों दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई थी. कुछ लोगों ने न्यायपालिका की ‘निष्पक्षता’ को कटघरे में खड़ा कर दिया था. पहले भी सोशल मीडिया पर एक तबका उमर खालिद को जमानत न मिलने पर सवाल खड़े करता रहा है. ऐसे लोगों के जवाब में पूर्व सीजेआई ने फरवरी में कहा था,
मैं केस के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन मुझे आपको एक बात साफ बतानी चाहिए जो उमर खालिद के मामले में लोग अक्सर भूल जाते हैं. आप कल्पना कर सकते हैं कि कम से कम सात बार उमर खालिद के वकील ने सुनवाई की तारीख बदलने की मांग की. और आखिर में जमानत की अर्जी वापस ले ली गई.
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे वकील के बारे में क्या कहा जाए, जो बार-बार केस की सुनवाई टालता है और फिर अंत में केस ही वापस ले लेता है. उन्होंने कहा कि बार या सिविल सोसाइटी को बताया जाना चाहिए कि वह केस का रिकॉर्ड देखे, जिसमें बार-बार वकील ही समय मांगता रहा. मामले में बहस से इतनी हिचकिचाहट क्यों है?
पूर्व सीजेआई ने कहा,
या तो आप पहले दिन बहस करें या आप कहें कि मैं जमानत के लिए अपनी अर्जी पर जोर नहीं देना चाहता. मैं जमानत के लिए अपनी अर्जी मामले के हिसाब से हाई कोर्ट या जिला अदालत में सुरक्षित रखूंगा लेकिन उमर खालिद के मामले में, रिकॉर्ड से ही पता चलता है कि अदालत में बार-बार स्थगन के लिए अर्जी दी गई थी.
पूर्व जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोशल मीडिया पर केस को लेकर बनाए गए नैरेटिव पर सवाल उठाया और कहा कि वहां पर एक खास नजरिया पेश किया जाता है, जहां न्यायाधीशों के पास अपना बचाव करने का कोई मौका नहीं होता. अगर अदालत में जो कुछ होता है, उसके बारीक रिकॉर्ड पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि वास्तविकता उससे कहीं ज्यादा जटिल है.
उन्होंने खालिद के वकीलों के लिए कहा कि वे लगातार स्थगन की मांग करना बंद करें और मामलों पर बहस के लिए तैयार रहें.
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