The Lallantop
Advertisement

बारिश से दिल्ली का बुरा हाल, सड़कें बनीं स्विमिंग पूल; राजनीति भी जारी

बारिश की यह स्थिति अगले कुछ दिनों तक बनी रह सकती है. मौसम विभाग ने दो दिन पहले दिल्ली-एनसीआर में बारिश की संभावना जताई थी. और अगले कुछ दिनों के लिए भी सामान्य से भारी बारिश की भविष्यवाणी की है. लेकिन बारिश से हुई असुविधाओं को लेकर हर साल की तरह राजनीति भी शुरू है.

Advertisement
delhi monsoon rains imd prediction more rain in upcoming days waterlogging
दिल्ली में बारिश से सड़कों पर पानी भर गया है (PHOTO-India Today/PTI)
pic
शुभम सिंह
11 जुलाई 2025 (Published: 02:45 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सात शहरों को मिलाकर बनी दिल्ली आज केवल एक शहर बन गई है, पानी का शहर. 9 जुलाई की शाम से शुरू हुई बारिश (Delhi Rains) देर रात तक जारी रही. ये वो वक्त था जब कर्मठ कर्मचारी दफ्तर से घर की ओर लौटते हैं. इनमें से कइयों को इस बारिश (Monsoon) में दिक्कत का सामना करना पड़ा. कुछ घंटों की बारिश में सड़कें लबालब पानी से भर गईं. 10 साल पुराने डीजल इंजन और 15 साल पुराने पेट्रोल इंजन, नए इंजनों के साथ पानी में डूबते-उबरते रहे. इसमें ऑड नंबर भी थे, ईवेन नंबर भी थे. सभ्यताओं, सरकारों और निर्णयों का जल-कोलैब चल रहा था. विजुअल आप अपने स्क्रीन पर देख सकते हैं. जहां नज़र जा रही पानी ही पानी दिखाई दे रहा.

बारिश की यह स्थिति अगले कुछ दिनों तक बनी रह सकती है. मौसम विभाग ने दो दिन पहले दिल्ली-एनसीआर में बारिश की संभावना जताई थी. और अगले कुछ दिनों के लिए भी सामान्य से भारी बारिश की भविष्यवाणी की है. लेकिन बारिश से हुई असुविधाओं को लेकर हर साल की तरह राजनीति भी शुरू है. 10 साल सत्ता में रही आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर निशाना साधा. आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं का सोशल मीडिया जलमग्न है. पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता के विधानसभा क्षेत्र शालीमार बाग का वीडियो X पर शेयर किया. वीडियो में दिख रहा है कि सड़क पानी से भरी हुई है.  कैप्शन था

चार इंजन की भाजपा सरकार ने दिल्ली को दिए स्विमिंग पूल.

AAP के प्रवक्ता आदिल अहमद खान ने डिप्टी सीएम मोहन सिंह बिष्ट के क्षेत्र मुस्तफाबाद का वीडियो शेयर किया. वीडियो में छोटे-छोटे बच्चे सड़क पर नाव चला रहे हैं.  कैप्शन था, 

जरा सी बरसात में पूरी की पूरी दिल्ली पानी में डूब गई. भाजपा के चारों इंजन में पानी भर गया, चारों इंजन फेल हो चुके हैं.

उधर, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बारिश के कारण हुई परेशानियों पर अपनी राय रखी. दावा किया कि, इस बारिश में दिल्ली में कोई जलजमाव नहीं हुआ. उन्होंने मिंटो ब्रिज का उदाहरण भी दिया. कहा कि हर बार अखबारों में पानी में डूबे मिंटो ब्रिज की तस्वीर अखबारों में छपती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. 

समस्या कहां है? 

क्यों ऐसा होता है कि एक ही बारिश में सरकार किसी भी पार्टी की सरकार और उसके प्रशासन की पोल खुल जाती है? बीते कुछ दशकों में दिल्ली में काफी बदलाव दिखे. बदलाव उसके साइज और जनसंख्या से जुड़े हैं. इसकी गवाही ख्यातिप्राप्त एजेंसियां दे रही हैं. नासा के आंकड़ों के अनुसार, 1991 से 2011 तक दिल्ली का भौगोलिक आकार लगभग दोगुना हो गया. 

दिल्ली का यह विस्तार ज्यादातर नई दिल्ली के बाहरी इलाकों में हुआ है, जहां पहले ग्रामीण क्षेत्र थे, वे अब शहर के हिस्से बन गए हैं. वहीं, संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों की मानें तो 2030 तक दिल्ली टोक्यो को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर बन जाएगा. उस समय दिल्ली की आबादी करीब 3.9 करोड़ होने का अनुमान है, जो साल 2000 की तुलना में ढाई गुना ज्यादा होगी.

delhi monsoon
बारिश में मस्ती करते बच्चे (PHOTO-India Today/PTI)

दिल्ली के शहरीकरण ने शहर की टोपोग्राफी यानी प्राकृतिक संरचना और ड्रेनेज पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. इंडियन एक्सप्रेस ने नेशनल हेरिटेज डिवीजन के डायरेक्टर मनु भटनागर के हवाले से इस समस्या पर बात रखी है. मनु भटनागर बताते हैं

पहले, दिल्ली के ऐतिहासिक शहर जैसे तुगलकाबाद, मेहरौली, शाहजहानाबाद, सिविल लाइन्स, नई दिल्ली और कैंटोनमेंट क्षेत्र ऊंचे स्थानों पर बनाए गए थे. जिससे बारिश का पानी आसानी से नीचे की ओर बह जाए. लेकिन अब शहर के विस्तार में जल निकासी की क्षमता पर ध्यान नहीं दिया गया. जब तेज बारिश होती है, तो पानी जमीन में नहीं समा पाता और सतह पर बहने लगता है. मौजूदा नालियां इस पानी को संभाल नहीं पातीं, जिससे बाढ़ आ जाती है.

एक्सपर्ट्स और रिपोर्ट्स में कुछ बातें निकल कर सामने आईं जैसे-

  • नालियां, पहले निकासी के काम आती थीं, अब सीवेज की डंपिंग हैं. 
  • निचले इलाकों में ज्यादा निर्माण ने समस्या को और बढ़ाया है. 
  • साउथ दिल्ली, चाणक्यपुरी और आरके पुरम की नालियाँ सराय काले खां में मिलती हैं. ये निचला इलाका है. नतीजतन हर साल बाढ़ आ जाती है. 
  • एक कारण 1976 में बना ड्रेनेज मास्टरप्लान भी है. प्लान 60 लाख की आबादी के समय बना था, अब आबादी ही पांच गुना बढ़ गई है.  
  • अवैध निर्माण हुए. कंक्रीट से जमीन के पानी सोखने की क्षमता कम हुई. अब बारिश के पानी का शहर में ऊपर-ऊपर बहना भी जलभराव का कारण है.
जिम्मेदार संस्थान क्या कर रहे? 

PWD ने बताया कि शहर में करीब 350 जलभराव वाली जगहों में से 71 ऐसी जगहें पहचानीं गई हैं. यहां शुरुआती सफाई के बावजूद समस्या बनी हुई है. शेष गाद हटाने, सफाई करने और मानसून के पहले व्यवस्थाएं बेहतर करने के तमाम सरकारी दावे हैं. लेकिन दावे पहली ही बारिश में बह चुके हैं. रुकी गाड़ियों की लाल लाइटें और पुलों के बगल से डूबते-उतराते विजुल आम हैं. सत्य हैं. अटल हैं. बारिश से जलजमाव की दिक्कत देश की राजधानी में कब दूर होगी, ये वक्त बताएगा. या शायद कोई जिम्मेदार. 

वीडियो: अक्षय पर टेलीप्रॉप्टर से डायलॉग पढ़ने का आरोप, फैन्स ने शेयर की ये क्लिप

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement