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कुत्ते के काटने के बाद रेबीज से हुई मौत, HC ने परिवार को LIC से दोगुना बीमा दिलवाया

Delhi High Court ने BSF जवान की रेबीज से मौत को 'एक्सीडेंट' माना है और LIC को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. जानते हैं कि कोर्ट ने कुत्ते के काटने से होने वाली मौत को एक्सीडेंट क्यों माना.

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Delhi High Court
दिल्ली हाई कोर्ट ने LIC को दोगुना मुआवजा देने का आदेश दिया. (India Today)
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मौ. जिशान
11 अप्रैल 2025 (Published: 06:12 PM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि कुत्ते के काटने से रेबीज होने के बाद हुई मौत 'नेचुरल' नहीं बल्कि 'एक्सीडेंट' से हुई मौत मानी जाएगी. यह फैसला जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने दिया है. मामला बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के कॉन्स्टेबल तेज राव तेलगोटे की रेबीज से हुई मौत से जुड़ा था. कोर्ट ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को BSF जवान की पत्नी को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार, 9 अप्रैल को अपने आदेश में दिल्ली हाई कोर्ट ने LIC को मृतक के परिवार को ‘दोगुना मुआवजा’ देने का निर्देश दिया. परिवार को बीमा के तहत 5 लाख रुपये मिलने थे, लेकिन अदालत ने 10 लाख रुपये अदा करने का आदेश दिया. साथ ही 2010 से 6 फीसदी सालाना ब्याज दर के साथ 5 लाख रुपये अलग से देने का आदेश दिया. इसके अलावा कोर्ट ने LIC को मृतक के परिवार को केस की लागत के तौर पर 20,000 रुपये अलग से देने का भी आदेश दिया है.

साल 2009 में बीएसएफ के जवान तेज राव तेलगोटे को ड्यूटी के दौरान उन्हें एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था. फिर उन्हें रेबीज हो गया. इलाज के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका और उनकी मौत हो गई.

उनकी पत्नी सीमा तेलगोटे को अनुकंपा के आधार पर BSF में नौकरी मिल गई. 2010 में LIC ने ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम के तहत सीमा तेलगोटे को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया था. लेकिन सीमा ने दावा किया कि यह मौत ड्यूटी के दौरान एक 'एक्सीडेंट' से हुई थी, इसलिए उन्हें 10 लाख रुपये मिलने चाहिए.

LIC और BSF ने इस मौत को 'नेचुरल' बताया था. LIC ने पोस्टमार्टम और FIR की गैरमौजूदगी में दोगुना मुआवजा देने से इनकार कर दिया था. सीमा के मुताबिक, सिलीगुड़ी के मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने जो मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया, उसमें साफ लिखा था कि मौत का कारण 'रेबीज' है. 

सीमा ने कोर्ट को यह भी बताया कि इलाज पूरी तरह BSF की मेडिकल यूनिट की निगरानी में हुआ, और परिवार को इसमें शामिल नहीं किया गया. यहां तक कि अंतिम संस्कार भी सिलीगुड़ी नगर निगम श्मशान में BSF ने ही कराया.

पीड़ित परिवार की याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

“एक्सीडेंट' शब्द का सीधा मतलब एक अप्रत्याशित और आकस्मिक घटना है जो इंसान के हस्तक्षेप के साथ या उसके बिना होती है.”

कोर्ट ने इस बात का जिक्र किया कि इंश्योरेंस स्कीम में लिखे 'डबल एक्सीडेंट बेनिफिट' के तहत ऐसी मौतें कवर की जाती हैं, जो सीधे तौर पर किसी बाहरी और हिंसक कारण से होती हैं. इस तर्क के आधार पर कुत्ते का काटना एक 'एक अचानक हुआ और बाहरी हमला' है, जिससे मौत होना एक 'एक्सीडेंट' है. रिपोर्ट में कहा गया कि इंश्योरेंस स्कीम में पोस्टमार्टम और FIR जरूरी नहीं हैं, खासकर जब मौत का कारण साफ हो.

वीडियो: मेडिकल स्टूडेंट की इलाज के अभाव में मौत, स्टूडेंट्स ने किया विरोध प्रदर्शन

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