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'बिहार के लोगों से धोखा... उनसे बिना मिले ही फॉर्म जमा हो रहे', ADR ने EC पर लगाए बहुत बड़े आरोप

Bihar SIR Electoral Roll: चुनाव आयोग (EC) की उस दलील पर भी ADR ने सवाल उठाए हैं, जिसमें Aadhaar Card और Ration Card को दस्तावेज मानने से इनकार किया गया है. ADR ने इसे 'बेहद बेतुका' बताया है. इसके अलावा भी बहुत सारे सवाल उठाए गए हैं, साथ ही SIR प्रक्रिया में बहुत सारी खामियां होने की बात भी सामने आई है.

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सुप्रीम कोर्ट बिहार SIR पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है. (X @CEOBihar)
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मौ. जिशान
26 जुलाई 2025 (Published: 08:51 PM IST) कॉमेंट्स
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बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर चल रही 'स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन' (SIR) प्रक्रिया पर विवाद बढ़ता जा रहा है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने चुनाव आयोग (EC) पर सुप्रीम कोर्ट में गंभीर आरोप लगाए हैं. ADR का दावा है कि आयोग ने बिहार के मतदाताओं के साथ ‘धोखा’ किया है और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों की ‘खुली अवहेलना’ की है. ADR ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के दावों पर जवाब दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ADR ने EC के उस दावे को गलत बताया जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग को नागरिकता जांचने का संवैधानिक अधिकार है. ADR ने 'लाल बाबू हुसैन बनाम भारत संघ (1995)' और 'इंदरजीत बरुआ बनाम चुनाव आयोग (1985)' जैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि वोटर लिस्ट में नाम होना खुद में नागरिक होने का प्रमाण है, और इसे झुठलाने की जिम्मेदारी आपत्ति उठाने वाले की होती है, ना कि मतदाता की.

EC की उस दलील पर भी ADR ने सवाल उठाए जिसमें आधार कार्ड और राशन कार्ड को दस्तावेज मानने से इनकार किया गया है. ADR ने इसे 'बेहद बेतुका' बताया और कहा कि पासपोर्ट, जाति प्रमाणपत्र और निवास प्रमाणपत्र के लिए मान्य आधार को EC वोटर लिस्ट अपडेट के लिए खारिज कर रहा है.

ADR ने इस पूरे SIR को बिहार के मतदाताओं के साथ 'घोर धोखाधड़ी' करार दिया. उसका दावा है कि आयोग की 24 जून की गाइडलाइन का जमीनी स्तर पर पालन नहीं हो रहा. ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर फॉर्म देने वाले थे, लेकिन कई लोगों ने शिकायत की है कि उनसे बिना मिले ही फॉर्म ऑनलाइन जमा कर दिए गए. यहां तक दावा किया गया कि मृत लोगों के भी फॉर्म जमा कर दिए गए हैं.

ADR ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (EROs) को मनमानी करने की खुली छूट दे दी गई है, जिससे लाखों लोग वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं.

एक और अहम सवाल ADR ने उठाया कि जब 2025 के लिए वोटर लिस्ट पहले ही जनवरी में अपडेट हो चुकी है, तो फिर चुनाव से पहले इस तरह की जल्दबाजी क्यों? जनवरी की प्रेस रिलीज में खुद बिहार के CEO ने बताया था कि 12.03 लाख नए नाम जोड़े गए और 4.09 लाख नाम हटाए गए थे.

ADR ने यह भी कहा कि EC ने 2003 की वोटर लिस्ट को नागरिकता का आधार मानते हुए उसके बाद रजिस्टर्ड वोटरों को ही शक के घेरे में डाल दिया है. ADR ने कहा कि 2003 के बाद रजिस्टर्ड वोटरों के लिए 'मताधिकार खोने का ज्यादा जोखिम' है.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने साफ कह दिया, 'SIR में नहीं ले सकते आधार-राशन कार्ड'

चुनाव आयोग ने यह तर्क दिया कि यह पूरी कवायद राजनीतिक पार्टियों की मांग पर की जा रही है, लेकिन ADR ने पलटवार करते हुए कहा कि किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इस तरह की पूरी नई प्रक्रिया की मांग नहीं की थी. पार्टियों की शिकायतें केवल फर्जी वोटर जोड़ने और असली वोट काटने को लेकर थीं.

बिहार में 24 जून से शुरू हुआ यह विशेष संशोधन अभियान 30 सितंबर तक चलेगा. चुनाव आयोग के अनुसार अब तक 7.23 करोड़ लोगों ने फॉर्म जमा किए हैं और करीब 65 लाख नाम हटाए जाएंगे. 1 अगस्त से 1 सितंबर तक आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी.

1 अगस्त को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी होगा, जबकि 30 सितंबर को फाइनल वोटर लिस्ट जारी की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.

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