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बिहार में ड्राफ्ट वोटर्स लिस्ट जारी करने पर फिलहाल रोक नहीं, 'फर्जी कागज' पर SC ने चुनाव आयोग को सुनाया

बिहार में स्पेशल इंटेंस रिवीजन के तहत ड्राफ्ट वोटर्स लिस्ट जारी करने पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया. ये लिस्ट 1 अगस्त को जारी किया जाना था. सोमवार को कोर्ट ने इस मामले में विस्तार से सुनवाई नहीं की और कहा कि वह जल्द ही तारीख तय करके व्यापक तौर पर मामले को सुनेगी.

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Bihar Voters List Revision
SIR के तहत ड्राफ्ट लिस्ट पर रोक लगाने से SC ने इनकार किया है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
28 जुलाई 2025 (Updated: 28 जुलाई 2025, 03:52 PM IST) कॉमेंट्स
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Supreme Court On Bihar SIR: बिहार में SIR के तहत ड्राफ्ट वोटर्स लिस्ट 1 अगस्त को जारी होगी. सोमवार, 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर विस्तार से सुनवाई करेंगे. कल यानी मंगलवार 29 जुलाई को सुबह साढ़े 10 बजे सुनवाई के शेड्यूल पर चर्चा करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से कहा कि वे मंगलवार को यह बताएं कि बहस के लिए उन्हें कितना समय चाहिए. 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, दरअसल, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ को सोमवार को इस मामले में सुनवाई करनी थी लेकिन जस्टिस सूर्यकांत को दोपहर में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई के साथ मीटिंग में जाना था. इस वजह से कोर्ट ने मामले को विस्तार से नहीं सुना लेकिन आश्वासन जरूर दिया है कि वह जल्द ही इस मामले को विस्तार से सुनेंगे.

SIR के खिलाफ पैरवी कर रहे वकील गोपाल शंकरनारायण ने दलील दी कि अगर ड्राफ्ट लिस्ट 1 अगस्त को प्रकाशित हो गई तो जिन लोगों का नाम इस लिस्ट में नहीं है, उन्हें परेशानी होगी. उन्हें अपना नाम शामिल करवाने के लिए पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा. 

कोर्ट ने कहा कि 10 जुलाई को जब रिवीजन के खिलाफ याचिका डाली गई थी, तब तो ड्राफ्ट के प्रकाशन पर रोक की मांग नहीं की गई थी. इस पर वकील ने कहा कि तब कोर्ट ने वादा किया था कि 1 अगस्त से पहले मामले की सुनवाई कर लेंगे लेकिन अब जब सुनवाई विस्तार से नहीं हुई है तो कम से कम कोर्ट इतना तो कहे कि SIR का प्रॉसेस याचिका पर जो फैसला आएगा, उस पर निर्भर होगा. 

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने जवाब दिया कि ये कहने की जरूरत नहीं है. यह बात पहले से ही समझी जाती है. 

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आखिरकार यह तो ड्राफ्ट ही है. अगर प्रक्रिया में कोई गैरकानूनी बात पाई जाती है तो पूरी प्रक्रिया को रद्द भी किया जा सकता है.

इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से योग्य वोटर की तस्दीक के लिए तय दस्तावेजों में आधार और वोटर कार्ड को भी शामिल करने को कहा. इस पर निर्वाचन आयोग ने कहा कि हमें राशन कार्ड को स्वीकार करने में दिक्कत है लेकिन जहां तक वोटर आईडी की बात है वो तो फॉर्म पर पहले से ही प्रिंट है. आधार नंबर वोटर को भरना ही है लेकिन कोर्ट का ही आदेश है कि आधार नागरिकता का नहीं बल्कि पहचान का दस्तावेज है. 

इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर फर्जी कार्ड बनाने की ही बात है तो दुनिया और धरती पर कोई भी ऐसी चीज नहीं है, जिसकी नकल या फर्जीवाड़ा न किया जा सके. फिर आपके 11 दस्तावेजों का क्या? अगर वो भी जाली पाए जाते हैं तो फिर क्या व्यवस्था है? 

कोर्ट ने आयोग से कहा कि आप आधार कार्ड को SIR के लिए जरूरी दस्तावेजों में शामिल करने पर मंगलवार, 29 जुलाई की सुबह तक बताइए.

याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने तब तक ड्राफ्ट मतदाता सूची पर रोक लगाने को कहा लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि मंगलवार साढ़े 10 बजे हम विस्तृत सुनवाई के शेड्यूल पर बात करेंगे.

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