पूर्व CJI चंद्रचूड़ की बेटियों को रेयर बीमारी, जानिए क्या है नेमालाइन मायोपैथी?
बार एंड बेंच से बातचीत में पूर्व CJI Chandrachud ने घर खाली ना कर पाने का एक कारण अपनी बेटियों को भी बताया. उनकी बेटियों को नेमालाइन मायोपैथी नाम की मेडिकल कंडीशन है. इस वजह से वो व्हीलचेयर पर निर्भर हैं.
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देश के पूर्व चीफ जस्टिस DY Chandrachud पिछले कुछ दिनों से विवादों में है. वजह? तय वक्त से ज़्यादा समय तक सरकारी घर में रहना. पिछले साल 10 नवंबर को वो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर हुए थे. इसके बाद उन्हें 31 मई 2025 तक सरकारी घर में रहने की परमिशन मिली थी. लेकिन अभी तक उन्होंने घर खाली नहीं किया है.
बार एंड बेंच से बातचीत में पूर्व CJI ने बताया कि उन्होंने अपना पूरा सामान पैक कर लिया है. बस कुछ रोज़मर्रा की ज़रूरत वाला फर्नीचर बचा है. इस काम में शायद 10 दिन और लगेंगे. या ज़्यादा से ज़्यादा दो हफ्ते.
उन्होंने समय पर घर खाली ना कर पाने का एक कारण अपनी बेटियों को भी बताया. दरअसल, पूर्व CJI चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास ने दो बच्चियों को गोद लिया है. इनके नाम हैं- प्रियंका और माही. इन्हें Nemaline Myopathy नाम की मेडिकल कंडीशन है. इसकी वजह से वो व्हीलचेयर पर निर्भर हैं. पूर्व CJI ने कहा कि वो दिल्ली में लगातार ऐसा घर ढूंढ रहे हैं, जहां व्हीलचेयर का आसानी से इस्तेमाल किया जा सके.
पूर्व CJI DY Chandrachud कई मौकों पर अपनी बेटियों की मेडिकल कंडीशन नेमालाइन मायोपैथी का ज़िक्र कर चुके हैं. क्या है नेमालाइन मायोपैथी? इसके बारे में हमने जाना मैरिंगो एशिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो एंड स्पाइन, गुरुग्राम के चेयरमैन डॉक्टर प्रवीण गुप्ता से.

डॉक्टर प्रवीण बताते हैं कि नेमालाइन मायोपैथी एक रेयर कंडीशन है. ये जेनेटिक म्यूटेशन यानी जीन्स में बदलाव की वजह से होती है. इस कंडीशन में शरीर की वो मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं, जो चलने-फिरने में मदद करती हैं. इन मांसपेशियों को स्केलेटल मसल्स कहा जाता है.
जिन्हें नेमालाइन मायोपैथी होती है. उनके पूरे शरीर की मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं. लेकिन सबसे ज़्यादा असर चेहरे, गर्दन, धड़, ऊपरी बांहों और पैरों की मांसपेशियों पर पड़ता है. समय के साथ ये मांसपेशियां और ज़्यादा कमज़ोर हो जाती हैं.
नेमालाइन मायोपैथी 6 तरह की होती है. नेमालाइन मायोपैथी में मांसपेशियों के अंदर धागेनुमा ढांचे जमा हो जाते है. इन्हें नेमालाइन बॉडीज़ कहा जाता है. ये माइक्रोस्कोप से देखने पर नज़र आते हैं.

नेमालाइन मायोपैथी के लक्षण जन्म के समय या बचपन में दिखाई देते हैं. जैसे मांसपेशियां कमज़ोर और पतली हो जाना. चबाने, निगलने और सांस लेने में परेशानी होना. चेहरा लंबा और पतला हो सकता है. रीढ़ में टेढ़ापन आ सकता है. इसके अलावा हाथ-पैर में कंपकपी, धीरे-धीरे बैठना, चलने में दिक्कत और जल्दी थकान हो सकती है. कुछ मामलों में छाती धंसी हुई नज़र आती है. मुंह खोलने में भी बहुत दिक्कत होती है. डॉक्टर इन लक्षणों को देखकर नेमालाइन मायोपैथी होने का अंदाज़ा लगाते हैं. फिर बायोप्सी करते हैं. इससे ये कंडीशन कंफर्म हो जाती है.
नेमालाइन मायोपैथी से पीड़ित इंसान चल-फिर सकते हैं. कंडीशन के गंभीर होने पर व्हीलचेयर की ज़रूरत पड़ती है.
अगर इलाज की बात करें, तो नेमालाइन मायोपैथी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है. बस इसके लक्षणों को कम करने की कोशिश की जाती है. इसके लिए फिज़ियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़, ब्रीदिंग सपोर्ट और खाने-पीने पर ध्यान दिया जाता है. जिससे ज़िंदगी बेहतर बनाई जा सके. कुछ मामलों में बीमारी स्थिर रहती है. तो कई बार धीरे-धीरे बढ़ती रहती है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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