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'बोतल तक नहीं खोल पाती...', ल्यूपस से सेलिना गोमेज को कैसे हो गया अर्थराइटिस?

सेलिना गोमेज़ को 2013 में ल्यूपस डायग्नोस हुआ था. इस बीमारी की वजह से 2017 में उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट भी कराना पड़ा. अब इसी ल्यूपस की वजह से सेलिना उंगलियों में अर्थराइटिस की दिक्कत से जूझ रही हैं.

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selena gomez suffering from arthritis due to lupus disease
Good Hang with Amy Poehle पॉडकास्ट में सेलिना गोमेज़
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अदिति अग्निहोत्री
15 सितंबर 2025 (Published: 04:35 PM IST)
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सेलिना गोमेज़ अमेरिकन एक्ट्रेस, सिंगर, सॉन्ग राइटर, प्रोड्यूसर और बिज़नेसवुमेन हैं. हाल ही में वो ‘Good Hang with Amy Poehler’ नाम के पॉडकास्ट में नज़र आईं. यहां बातों-बातों में सेलिना ने बताया कि ल्यूपस बीमारी की वजह से उन्हें उंगलियों में अर्थराइटिस हो गया है. दवाइयां शुरू करने से पहले ये दर्द इतना ज़्यादा था, कि पानी की बोतल खोलने तक में उन्हें दिक्कत आती थी.

सेलिना गोमेज़ को 2013 में ल्यूपस डायग्नोस हुआ था. इस बीमारी की वजह से 2017 में उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट भी कराना पड़ा. और अब इसी ल्यूपस की वजह से सेलिना उंगलियों में अर्थराइटिस की दिक्कत से जूझ रही हैं.

ल्यूपस बीमारी क्या है? ये क्यों होती है और इससे अर्थराइटिस कैसे हो सकता है? ये हमने पूछा पारस हेल्थ, गुरुग्राम में रूमेटोलॉजी एंड क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट, डॉक्टर अनु डाबर से.

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डॉ. अनु डाबर, सीनियर कंसल्टेंट, रूमेटोलॉजी एंड क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी, पारस हेल्थ, गुरुग्राम

डॉक्टर अनु बताती हैं कि ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है. ऑटोइम्यून बीमारी में हमारा इम्यून सिस्टम खुद के ही सेल्स पर हमला करने लगता है. इससे शरीर को नुकसान पहुंचता है और लंबे समय तक सूजन बनी रहती है. ल्यूपस बीमारी कई अंगों पर असर डाल सकती है. जैसे स्किन, जोड़ों, किडनी, फेफड़े, दिल और दिमाग. ये असर हर मरीज़ में अलग-अलग होता है.

ल्यूपस होने का सटीक कारण अभी पता नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसमें जेनेटिक और हॉर्मोनल बदलाव ज़िम्मेदार हो सकते हैं. इसके अलावा, देर तक धूप में रहने, कोई इंफेक्शन होने, दवाओं के साइड इफेक्ट या स्ट्रेस जैसी चीज़ें भी इसे ट्रिगर कर सकती हैं.

वैसे तो ल्यूपस के लक्षण हर किसी में एक जैसे नहीं होते. लेकिन फिर भी कुछ आम लक्षण हैं. जैसे लगातार थकान और कमज़ोरी. बुखार. जोड़ों में दर्द और अकड़न. स्किन पर लाल चकत्ते. चेहरे पर बटरफ्लाई रैश यानी तितली के आकार का दाग. बाल झड़ना. और धूप में स्किन का जल्दी लाल हो जाना या जल जाना.

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ल्यूपस बीमारी के चलते अर्थराइटिस होने पर हाथों की पकड़ कमज़ोर होने लगती है (फोटो: Freepik)

अब बात आई कि ल्यूपस की वजह से अर्थराइटिस कैसे होता है.

देखिए, ल्यूपस होने पर इम्यून सिस्टम असामान्य रूप से एक्टिव हो जाता है. ये जोड़ों में मौजूद टिशूज़ को नुकसान पहुंचाने लगता है. इस वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है. दर्द होता है और अकड़न महसूस होती है. यानी अर्थराइटिस हो जाता है.

अर्थराइटिस के चलते हाथों की पकड़ कमज़ोर होने लगती है. जिससे बोतल खोलने जैसे छोटे काम भी मुश्किल लगते हैं.

ल्यूपस को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता. लेकिन इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है. इसके लिए दवाइयां दी जाती हैं और नियमित टेस्टिंग की जाती है. साथ ही, मरीजों को धूप से बचने, आराम करने, हेल्दी डाइट लेने, स्ट्रेस कम करने और इंफेक्शन से बचने की सलाह दी जाती है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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