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RJD चीफ लालू प्रसाद यादव को बॉडी सोर्स, जानिए क्या होती है ये बीमारी?

सोर्स यानी छाले. जब किसी के शरीर पर ज़ख्म हो जाएं. छाले पड़ जाएं, तो उसे बॉडी सोर्स कहा जाता है. इन्हें प्रेशर सोर्स या बेड सोर्स के नाम से भी जाना जाता है.

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RJD chief lalu prasad yadav admitted to AIIMS Delhi for body sorese treatment its causes and prevention
लालू प्रसाद यादव को पिछले दिनों एम्स दिल्ली में एडमिट कराया गया (फोटो: PTI)
7 अप्रैल 2025 (Published: 02:04 PM IST) कॉमेंट्स
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राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व चीफ मिनिस्टर लालू प्रसाद यादव. इन्हें 2 अप्रैल यानी बुधवार को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया. इससे पहले, वो कुछ समय के लिए पटना के एक अस्पताल में भी एडमिट हुए थे.

उनके बेटे और राजद नेता तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके पिता की पीठ और एक हाथ पर घाव हो गए थे. ये घाव ठीक नहीं हो रहे थे, जिसके चलते उन्हें इलाज की ज़रुरत पड़ी.

दरअसल लालू प्रसाद यादव के शरीर पर जो घाव हुए हैं, वो सोर्स कहलाते हैं. ये ज़ख्म, छाले किसी भी रूप में हो सकते हैं. इन्हें बॉडी सोर्स, प्रेशर अल्सर या बेड सोर्स के नाम से भी जाना जाता है.

बॉडी सोर्स क्यों होते हैं और इसका इलाज क्या है, ये हमने पूछा डॉक्टर पियूष मिश्रा से.

dr piyush mishra
डॉ. पियूष मिश्रा, जनरल फिज़ीशियन, नई दिल्ली

डॉक्टर पियूष कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति लंबे वक्त तक एक ही पोज़ीशन में लेटा या बैठा रहता है. तो उसके शरीर के कुछ हिस्सों पर लगातार दबाव पड़ता है. इससे वहां मौजूद छोटी-छोटी खून की नलियां सिकुड़ जाती हैं. जिससे उस हिस्से में खून का बहाव घट जाता है.

हमारे शरीर के हर हिस्से को ऑक्सीज़न और पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है. जो वहां तक खून के ज़रिए ही पहुंचते हैं. लेकिन, जब खून का बहाव घटता है, तो उस हिस्से में ऑक्सीज़न ओर पोषण की भी कमी हो जाती है. नतीजा? उस अंग के सेल्स धीरे-धीरे मरने लगते हैं. स्किन और टिशूज़ में घाव पड़ जाते हैं.

सेल हमारे शरीर का बेसिक यूनिट हैं. और टिशू यानी ऊतक सेल्स से मिलकर बने होते हैं.

ये दिक्कत उन लोगों के साथ ज़्यादा होती है, जो किसी गंभीर बीमारी के मरीज़ हैं. और उन्हें लंबे समय तक लेटा या बैठा रहना पड़ता है. ऐसे मरीज़ों की पीठ, कोहनी, एड़ी और कूल्हों पर घाव हो सकते हैं.

इसी तरह, जिन्हें डायबिटीज़ या वस्कुलर डिज़ीज़ है. उन्हें भी बॉडी सोर्स हो सकते हैं. दरअसल, शुगर का बढ़ा लेवल खून की नलियों को नुकसान पहुंचा सकता है. जिससे वो सिकुड़ सकती हैं और खून का फ्लो घट सकता है. इसी तरह, वस्कुलर डिज़ीज़ में भी खून की नलियों पर असर पड़ता है. उनके सिकुड़ने से अंगों तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचता. जिससे घाव जल्दी नहीं भरते.  

बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन होने पर भी शरीर पर घाव पड़ सकते हैं.

अगर स्किन बार-बार कपड़े या बिस्तर से रगड़ रही है. तो वो कमज़ोर हो सकती है. जिससे घाव होने का खतरा बढ़ जाता है.

कई बार जब शरीर को ज़रूरी पोषण नहीं मिलता. आप हेल्दी डाइट नहीं लेते. तब भी स्किन कमज़ोर हो जाती है और उसमें छाले पड़ सकते हैं.

बॉडी सोर्स से बचने के लिए ज़रूरी है कि मरीज़ को हर 2-3 घंटे में करवट दिलवाई जाए. उसकी स्किन को साफ रखा जाए. अगर घाव हो गया है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. ताकि समय-समय पर घाव की ड्रेसिंग की जाए. और ज़रूरी दवाएं दी जाएं.

साथ ही, एक हेल्दी डाइट लें. ऐसी डाइट जिसमें प्रोटीन, विटामिन C और ज़िंक से भरपूर चीज़ें हों. ताकि घाव जल्दी भर सके और किसी भी तरह की कॉम्प्लिकेशंस से बचा जा सके. प्रोटीन के लिए पनीर, अंडा, दूध, दही, सोयाबीन, मेवे, टोफू, बीन्स, मीट और मछली खाई जा सकती है. विटामिन C के लिए आप खट्टे फल, जैसे संतरा, चकोतरा खा सकते हैं. वहीं ज़िंक के लिए मशरूम, सोयाबीन, दूध, दही, पनीर, ओट्स, मूंगफली, अंडे, चिकन और मछली खा सकते हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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