The Lallantop
Advertisement

पुरुषों में क्यों ज़्यादा होता है गंजापन? इसके इलाज का तरीका जान लीजिए

25% पुरुषों में गंजापन की समस्या 21 साल से पहले शुरू हो जाती है. 30 साल की उम्र तक 30% पुरुषों में गंजापन देखा जाता है.

Advertisement
male pattern hair loss or androgenetic alopecia causes and treatment
मेल पैटर्न हेयर लॉस में पुरुषों के सिर के आगे के बाल झड़ जाते हैं (फोटो: Getty Images)
14 फ़रवरी 2025 (Published: 02:23 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

गंजापन. ये वो समस्या है, जिससे दुनिया की आधी से ज़्यादा आबादी परेशान है. क्या बड़े-क्या बूढ़े. क्या आदमी-क्या औरत. हर कोई बाल झड़ने से दुखी है. अव्वल तो कई बार ये समझ ही नहीं आता कि बाल झड़ क्यों रहे हैं. दूजा, अगर समझ आ भी जाए, तो ये नहीं पता चलता कि बालों को झड़ने से रोका कैसे जाए.

अगर आप इन बातों से ताल्लुक रखते हैं. तो ज़रा अपने माथे पर आई चिंता की लकीरों को आराम दीजिए. आज हम इसी गंजेपन पर बात करेंगे. वैसे तो गंजापन कई तरह का होता है. लेकिन, एक खास तरह का गंजापन बहुत आम है. हो सकता है, आप भी इससे जूझ रहे हैं. गंजेपन के इस टाइप का नाम है, मेल पैटर्न हेयर लॉस (Male Pattern Hair Loss). जैसा नाम से पता चल रहा है. ये समस्या पुरुषों को होती है. 

आपने नोटिस किया होगा पुरुषों में गंजेपन की दिक्कत, महिलाओं के मुकाबले ज़्यादा होती है. आजकल तो 25-30 साल के होते-होते, पुरुषों के सिर के आगे के बाल पतले होने लगते हैं. झड़ने लगते हैं. जिससे गंजापन साफ दिखने लगता है. क्यों होता है ऐसा? चलिए, बताते हैं आपको.

पुरुषों में गंजेपन की समस्या ज़्यादा क्यों होती है?

ये हमें बताया डॉक्टर सौम्या सचदेवा ने. 

dr soumya sachdeva
डॉ. सौम्या सचदेवा, कंसल्टेंट, डर्मेटोलॉजी, मैक्स हॉस्पिटल, गाज़ियाबाद

गंजेपन की समस्या कई प्रकार की होती है. जिस गंजेपन की यहां बात हो रही है, वो मेल पैटर्न हेयर लॉस या फीमेल पैटर्न हेयर लॉस है. इसे मेडिकल भाषा में एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया (Androgenetic alopecia) कहते हैं. इसमें पुरुषों के सिर के आगे के बाल झड़ जाते हैं. महिलाओं में मांग (सेंट्रल हेयरलाइन) से बाल कम होने लगते हैं. ये समस्या पुरुषों में ज़्यादा आम है क्योंकि ये एक हॉर्मोन से जुड़ी समस्या है. 

पुरुषों में गंजेपन का मुख्य कारण मेल हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन का एक खास रूप 'डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन' है. डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन के रिसेप्टर्स हेयर फॉलिकल्स (बालों की जड़ों) में होते हैं. पुरुषों में ये हॉर्मोन अच्छी मात्रा में पाया जाता है. जब ये हॉर्मोन हेयर फॉलिकल्स में मौजूद रिसेप्टर्स से जुड़कर उन पर असर डालता है. तो इससे बाल धीरे-धीरे पतले, छोटे और कमज़ोर होने लगते हैं. फिर गंजापन बढ़ने लगता है. ये हॉर्मोन पुरुषों में ज़्यादा पाया जाता है. हालांकि ये महिलाओं में भी होता है, लेकिन कम मात्रा में. पुरुषों में इस हॉर्मोन के ज़्यादा होने की वजह से उनमें ये कंडिशन होने का चांस ज़्यादा होता है.

वहीं महिलाओं में ये समस्या तब होती है जब उनमें हॉर्मोनल असंतुलन होता है. जैसे PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम), थायरॉइड, इंसुलिन रेज़िस्टेंस आदि. ऐसे मामलों में फीमेल पैटर्न हेयर लॉस यानी फीमेल एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया देखा जाता है.

किस उम्र तक पुरुषों में गंजापन शुरू हो जाता है?

गंजापन या एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया की कोई तय उम्र नहीं होती. कई मरीज़ों में ये जल्दी, यानी किशोरावस्था या युवावस्था में शुरू हो जाता है. कई लोगों में ये 30-40 साल में शुरू होता है. आजकल गंजापन पहले के मुकाबले जल्दी हो रहा है. इसकी वजह खराब लाइफस्टाइल है. आंकड़ों के अनुसार, 25% पुरुषों में ये समस्या 21 साल से पहले शुरू हो जाती है. 30 साल की उम्र तक 30% पुरुषों में गंजापन देखा जाता है. 50 साल तक के 50% पुरुषों में ये कंडिशन पाई जाती है. 80 साल की उम्र आने तक 80% पुरुषों में गंजापन हो जाता है. साफ है कि मेल पैटर्न हेयर लॉस या मेल एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया पुरुषों में बहुत आम है.

male pattern hair loss
80 साल की उम्र आने तक 80% पुरुषों में गंजापन हो जाता है (फोटो: Getty Images)
क्या पुरुषों में गंजापन रोका जा सकता है?

मेल पैटर्न हेयर लॉस या मेल एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता. हालांकि इसे कम किया जा सकता है या बढ़ने से रोका जा सकता है.

बचाव और इलाज

मेल पैटर्न हेयर लॉस या मेल एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया को सही इलाज से कम किया जा सकता है. इसके लिए कई तरह के इलाज मौजूद हैं. जैसे मिनोक्सिडिल. ये FDA अप्रूव्ड इलाज है. इससे बालों के घनेपन में सुधार किया जाता है और बालों के झड़ने की गति धीमी की जा सकती है. डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन ब्लॉकर्स भी एक अच्छा इलाज है. ये भी FDA अप्रूव्ड इलाज है. इसमें फिनास्टेराइड नाम की दवा दी जाती है. ये एक अच्छा इलाज साबित हुआ है. 

इसके अलावा कुछ थेरेपी भी हैं. जैसे प्लेटलेट रिच प्लाज़्मा थेरेपी यानी PRP, ग्रोथ फ़ैक्टर कंसन्ट्रेट थेरेपी, मेसोथेरेपी, एक्सोसोम थेरेपी, ऑटोलॉगस माइक्रोग्राफ़्टिंग ट्रीटमेंट. अगर हेयरलाइन बहुत ज़्यादा पीछे चली गई हो तो हेयर ट्रांसप्लांट भी किया जा सकता है. वैसे तो गंजापन एक जेनेटिक समस्या है. लेकिन, खराब लाइफस्टाइल से गंजापन तेज़ी से बढ़ सकता है.

लिहाज़ा लाइफस्टाइल सुधारना ज़रूरी है. इसके लिए बैलेंस्ड डाइट लें. किसी भी तरह की लत से बचें. अच्छी नींद लें. सर्केडियन रिदम (बॉडी क्लॉक) सुधारें. शरीर को हाइड्रेट रखें यानी अच्छी मात्रा में पानी पिएं. स्ट्रेस कम लें. ऐसा करने से गंजापन देर से शुरू होगा. अगर जेनेटिक वजहों से गंजापन होना है, तो वो ज़रूर होगा. लेकिन, लाइफस्टाइल और अच्छी डाइट से उसकी शुरुआत देर से होगी.

देखिए, जिन लोगों के परिवार में गंजेपन की दिक्कत रही है, ऐसे लोगों में देर-सवेर गंजापन आना ही है.  लेकिन, सही इलाज से इसे बहुत हद तक टाला जा सकता है. अगर गंजापन जेनेटिक नहीं है तो डॉक्टर जांच करके गंजेपन का कारण पता करते हैं. उस हिसाब से इलाज किया जाता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहतः क्या है रेड लाइट थेरेपी, जो स्किन और बालों को पहुंचाती है फायदा!

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement