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बिग बॉस में अमाल मलिक जिस मशीन को लगाकर सोते हैं, वो क्या काम करती है और कैसे?

Big Boss Amaal Mallik CPAP Machine: अगर आप बिग बॉस देखते हैं, तो आपने नोटिस किया होगा. Amaal Mallik रात में एक मशीन लगाकर सोते हैं. इस मशीन से एक ट्यूब जुड़ा है, जिसे अमाल नाक में लगाते हैं. ये देखने के बाद ऑडियंस जानना चाहती है कि आखिर ये मशीन है क्या और अमाल को इसकी ज़रूरत क्यों पड़ती है?

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अमाल मलिक
17 सितंबर 2025 (Updated: 17 सितंबर 2025, 02:22 PM IST)
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अपने 19वें सीज़न के साथ ‘Big Boss’ लौट आया है. इस बार घरवालों की लिस्ट में अमाल मलिक भी शामिल हैं. अमाल मलिक म्यूज़िक डायरेक्टर, कंपोज़र और सिंगर हैं. आपने इनका कोई न कोई गाना ज़रूर सुना होगा. जैसे बोल दो न ज़रा, कौन तुझे, बेसब्रिया, सोच न सके, और आशिक सरेंडर हुआ वगैरह.

अगर आप बिग बॉस देखते हैं, तो आपने नोटिस किया होगा. अमाल रात में एक मशीन लगाकर सोते हैं. इस मशीन से एक ट्यूब जुड़ा है, जिसे अमाल नाक में लगाते हैं.

ये देखने के बाद ऑडियंस जानना चाहती है कि आखिर ये मशीन है क्या और अमाल को इसकी ज़रूरत क्यों पड़ती है? दरअसल अमाल मलिक को स्लीप एपनिया नाम की एक मेडिकल कंडीशन है. इसमें सोते वक़्त इंसान की सांस रुक जाती है. नींद टूट जाती है. ऐसा न हो, इसके लिए इस मशीन की मदद ली जाती है. इसे CPAP Machine कहते हैं.

कई लोग स्लीप एपनिया से जूझते हैं. बॉलीवुड के मशहूर सिंगर और कंपोजर बप्पी लाहिड़ी को भी स्लीप एपनिया था. साल 2022 में बप्पी दा की मौत हो गई. वो 69 साल के थे. मौत का कारण ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया बताया गया. यानी ये कंडीशन जानलेवा भी हो सकती है.

साल 2023 में AIIMS नई दिल्ली ने एक स्टडी की. इसमें पता चला कि भारत में लगभग साढ़े दस करोड़ लोगों को स्लीप एपनिया है. इतनी तादात में होने के बावजूद, स्लीप एपनिया को लेकर जानकारी बहुत कम है. लोग महज इसे खर्राटे लेना, नींद टूटना समझकर ध्यान नहीं देते. लेकिन इसके बारे में पता होना ज़रूरी है. 

स्लीप एपनिया क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर रवि शेखर झा ने. 

dr ravi shekhar jha
डॉ. रवि शेखर झा, डायरेक्टर एंड यूनिट हेड, पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, फरीदाबाद

स्लीप एपनिया में सोते समय व्यक्ति की सांस रुक जाती है. स्लीप एपनिया कई प्रकार का होता है, लेकिन इनमें सबसे आम है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया. स्लीप एपनिया ज़्यादातर उन लोगों को होता है, जिनका वज़न ज़्यादा होता है. गले के आसपास चर्बी जमा होती है. स्लीप एपनिया के मरीज़ों को सोते वक़्त बहुत तेज़ खर्राटे आते हैं. खर्राटे इतने बढ़ जाते हैं कि रात में उन्हें चोकिंग होने लगती है यानी सोते वक्त सांस रुक जाती है. सांस रुकने की वजह से ठीक से नींद नहीं आ पाती. 

कई बार मरीज़ नींद की पहली और दूसरी स्टेज में ही रात बिता देते हैं. कई बार मरीज़ REM (रैपिड आई मूवमेंट) स्लीप या नींद की तीसरी स्टेज तक नहीं पहुंच पाते. नतीजा? सुबह उठकर ताज़गी महसूस नहीं होती. ऐसा नहीं है कि स्लीप एपनिया सिर्फ ओवरवेट लोगों को ही होता है. अगर गले में रुकावट है, जैसे टॉन्सिल्स बहुत बढ़ जाएं या बच्चों में एडेनोइड्स (नाक और गले के बीच मौजूद टिशू) का साइज़ बढ़ जाए. तब वज़न कम होने के बावजूद स्लीप एपनिया हो सकता है.

कैसे पता चलेगा स्लीप एपनिया है?

अगर रात में ठीक से नहीं सो पाते, तो दिनभर नींद-सी लगेगी. लेकिन जैसे ही सोएंगे, दिमाग सिग्नल देगा कि अंदर कोई दिक्कत है. खर्राटे आने लगेंगे और इंसान गहरी नींद में नहीं जा पाएगा. जब शरीर में ऑक्सीज़न लेवल कम होने लगता है तो दिमाग अपने आप जगा देता है, क्योंकि नींद की सारी स्टेज जैसे REM स्लीप पूरी नहीं होती. नतीजा ये होता है कि सुबह उठकर ताज़गी महसूस नहीं होती. इसलिए सबसे ज़रूरी लक्षण दिन में बार-बार नींद आना है. 

स्लीप एपनिया के मरीज़ अक्सर मुंह खोलकर सांस लेते हैं, क्योंकि उन्हें नाक बंद होने की समस्या काफी ज़्यादा होती है. इस वजह से गले में हमेशा खुश्की रहती है. खर्राटों की वजह से भी गला सूखता है और प्यास ज़्यादा लगती है. बार-बार ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से बीपी, कोलेस्ट्रॉल, शुगर और वज़न बढ़ने की समस्या होने लगती है. ये सारे गंभीर स्लीप एपनिया की तरफ इशारा करते हैं.

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वेट लॉस से स्लीप एपनिया को काफी हद तक कम किया जा सकता है (फोटो: Freepik)
स्लीप एपनिया का इलाज क्या है?

- स्लीप एपनिया का इलाज बहुत ही आसान है

- इसका सबसे कारगर उपाय जीवनशैली में बदलाव है

- वज़न घटाने से स्लीप एपनिया की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है

- लेकिन स्लीप एपनिया के गंभीर मामलों में सी-पैप मशीन की ज़रूरत पड़ती है

स्पील एपनिया में सी-पैप मशीन कैसे मदद करती है?

सी-पैप यानी कंटीन्युअस पॉज़िटिव एयरवे प्रेशर. अगर सोते समय आपकी सांस रुकती है, गला घुटता है या गले में रुकावट आती है. तब सी-पैप मशीन लगातार हल्का प्रेशर देकर गले को खुला रखती है. इससे गला चोक नहीं होता. ऑक्सीजन लेवल नहीं गिरता और आप आराम से नींद ले पाते हैं. ये बहुत ही असरदार मशीन है. अगर आपने इसे रात में इस्तेमाल करना शुरू किया, तो अगले ही दिन से आपको फर्क महसूस होगा. आपके काम करने की क्षमता सुधरने लगेगी, याद्दाश्त सुधरेगी, चिढ़न कम होगी और दिन में नींद आना काफी हद तक कम हो जाएगा.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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