अंग्रेज़ी मीडियम. स्कूल नहीं पिक्चर. इस हफ्ते लगी है. देखने पर भी सही लगी है.कहानी है उदयपुर में रहने वाली एक फैमिली की. वैसे तो काफी लंबी-चौड़ी फैमिली हैलेकिन फिल्म में सिर्फ तीन लोगों की कहानी दिखाई गई है. चंपक बंसल, उसकी बेटीतारीका और चंपक का रिश्ते में लगने वाले भाई गोपी की. तारीका का सपना है कि वोविदेश जाकर पढ़े. उसके पापा को लगता है कि इससे उसकी बिटिया दूर हो जाएगी. लेकिनफिर भी वो मेहनत करता है अपनी बेटी का एडमिशन यूनाइटेड किंगडम के मशहूर ट्रूफोर्डयूनिवर्सिटी में करवाने के लिए. वहां एक पुलिसवाली से इनकी भिड़ंत हो जाती है औरमामला गड़बड़ा जाता है. फिल्म की मोटा-मोटी कहानी यही है. लेकिन इन घटनाओं-किस्सोंके बीच जो होता है, वो फिल्म है.