क्या निमोनिया का इंजेक्शन डायबिटीज़ के मरीज़ों को कोरोना वायरस से बचा सकता है?
तीन डॉक्टर्स ने सारा कन्फ्यूज़न खत्म कर दिया है.

कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं. कोई गरम पानी पी रहा है, कोई नमक वाले पानी से गरारे कर रहा है, कोई हल्दी वाला दूध पी रहा है. इन तमाम उपायों के बीच एक और उपाय सामने आने लगा है. कुछ लोगों के कॉल हमारे पास आए. वो डायबिटीज़ के मरीज़ थे. उन्होंने बताया कि उन्हें ऐसा पता चला है कि अगर वो निमोनिया का इंजेक्शन लगवा लेंगे, तो कोरोना वायरस के इन्फेक्शन का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा.
ये बात कितनी कारगार है, इसे जानने के लिए 'दी लल्लनटॉप' ने तीन डॉक्टर्स से बात की. तीनों से सवाल किया-
- क्या डायबिटीज़ के मरीज़ निमोनिया का इंजेक्शन लगाएं, तो कोरोना से कुछ हद तक बचाव हो सकता है?
- क्या उनका इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रॉन्ग होगा इस इंजेक्शन से?
एक-एक करके जानते हैं कि तीनों ने क्या कहा.
डॉक्टर अमिताभ खन्ना. डायबिटोलॉजिस्ट हैं. दिल्ली के द्वारका में उनका क्लिनिक है. उन्होंने जवाब दिया,
'नहीं. बिल्कुल नहीं. ऐसा कुछ नहीं होता. जो निमोनिया का इंजेक्शन होता है, वो पर्टिकुलर उस दिक्कत से बचाव करता है, न कि कोरोना से. न ही वो व्यक्ति के इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करता है. निमोनिया के वैक्सीन (इंजेक्शन) में उस वायरस से बचाव है, जिसके चलते निमोनिया होता है. कोरोना बिल्कुल अलग और नया वायरस है. इसके लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है.'
डॉ रितेश गुप्ता. फोर्टिस अस्पताल में डायबिटोलॉजिस्ट हैं. उनका खुद का एक क्लिनिक भी है. उनसे जब हमने यही सवाल पूछे, तो उन्होंने जवाब दिया,
'डायबिटीज़ में निमोनिया का खतरा काफी ज्यादा रहता है. बहुत से बैक्टीरिया और वायरस के चलते निमोनिया होता है. इनमें से एक बैक्टीरिया है nimo copper (निमो कॉपर). उसके लिए हमारे पास वैक्सीन मौजूद है. वो किसी भी डायबिटीज़ के मरीज़ को रिकेमेंड की जाती है. और अगर व्यक्ति को डायबिटीज़ नहीं भी है, लेकिन 65 बरस के ऊपर का है, तो उसे भी ये वैक्सीन रिकेमेंड की जाती है.'
इसके आगे डॉक्टर रितेश ने वो कारण बताया, जिसकी वजह से लोग इस वक्त निमोनिया का इंजेक्शन लगवाने की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा,
'ऐसा नहीं है कि इस वैक्सीन को लगवाने से कोरोना से बचाव हो जाएगा. उसकी तो कोई वैक्सीन ही नहीं है. लेकिन जब कोरोना वायरस का इन्फेक्शन होता है, तो उसमें और ऊपर के बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. इस वैक्सीन से कम से कम उससे बचाव हो जाएगा. यानी जिसको कोरोना वायरस इन्फेक्शन हुआ है, उसे निमोनिया न हो इसके लिए ये वैक्सीन दी जा सकती है.'
डॉक्टर सौरभ सिंह. ये बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS) हैं. इन्होंने इन्हीं सवालों के जवाब में कहा,
'ऐसा कुछ नहीं है कि निमोनिया का इंजेक्शन लगवाने से डायबिटीज़ के मरीज़ों को कोरोना से कम खतरा होगा. सब कुछ लोगों की इम्यूनिटी पर निर्भर करता है. हर व्यक्ति की इम्यूनिटी अलग होती है. कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें डायबिटीज़ है, लेकिन उनका इम्यूनिटी सिस्टम इतना स्ट्रॉन्ग है कि उन्हें कोई रोग नहीं होता. वैसे इस इंजेक्शन को डायबिटीज़ वाले भी और बिना डायबिटीज़ वाले भी लगवा सकते हैं, लेकिन ये कहना कि इसे लगवाने से कोरोना का खतरा कम हो जाएगा, गलत है.'
निष्कर्ष- तीनों ही डॉक्टरों ने ये कहा कि ये इंजेक्शन डायबिटीज़ के मरीज़ों का इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रॉन्ग करता है, लेकिन केवल उस बैक्टीरिया के लिए, जिससे बचाव के लिए ये इंजेक्शन बना है. ये कहना गलत है कि इस वैक्सीन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है.
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