AC कोच में तकिया और बेडशीट रेलवे देगा, कंबल घर से ले जाना पड़ेगा
कोरोना वायरस की वजह से रेलवे ने किया फैसला.

अगर आप ट्रेन से सफर करने वाले हैं, आपका टिकट एसी कोच में है तो आपको घर से ही कंबल ले जाना पड़ेगा. वो इसलिए क्योंकि वेस्टर्न रेलवे ने कहा है कि अब ट्रेन में रेलवे की तरफ से कोई कंबल नहीं दिए जाएंगे. साथ ही कोच में लगे पर्दे भी हटा दिए जाएंगे. ऐसा कोरोना वायरस की वजह से किया जा रहा है.
रेलवे का कहना है कि कंबल और पर्दे रोज़ साफ नहीं होते, इसलिए यात्री अपने कंबल, अगर उन्हें जरूरत हो तो वो अपने साथ लेकर आएं. ऐसा लोगों की सुविधा के लिए किया जा रहा है, जिससे वो कोरोना वायरस से संक्रमित न हों. रेलवे ने इसके लिए खेद जताया है.
Kindly note that it has been decided to withdraw curtains & blankets from AC coaches of trains as they are not washed every trip, for prevention of #coronavirus. Passengers may please bring their own blankets if need be. Inconvenience is regretted. @RailMinIndia @PiyushGoyalOffc
— Western Railway (@WesternRly) March 14, 2020
Railways is taking unprecedented precautions to prevent the spread of Novel #Coronavirus infection. The railway stations and trains are being sanitised to ensure utmost hygiene, making travel safe for passengers. pic.twitter.com/GGTqFjOcS8 — Piyush Goyal (@PiyushGoyal) March 14, 2020वहीं, बेडशीट, तौलिया और तकिया के कवर रोज़ धुले जाने के कारण ये सारी चीजें कोच में मौजूद रहेंगी. न्यूज़ एजेंसी PTI से बात करते हुए वेस्टर्न रेलवे के प्रवक्ता गजानन ने कहा कि एसी कोच में मिलने वाले कंबल और पर्दे रोज़ नहीं धुले जाते हैं. और कोरोना वायरस के फैलने के कारण कंबल और पर्दे कोच में यात्रियों को नहीं मुहैया कराए जाएंगे. अगर यात्रियों को जरूरत लगे, तो वो अपने साथ चादर-कंबल ला सकते हैं. रेलवे फिलहाल सभी ट्रेन के कोच की पूरी तरह से सफाई कर रहा है. एसी कोच के पर्दे भी हटाए जा रहे हैं. पूरी ट्रेन को सैनेटाइज किया जा रहा है. इसके लिए सफाईकर्मियों को भी सफाई के निर्देश दिए गए हैं. स्टेशनों पर लगे बेंच, कुर्सी के साथ-साथ वॉशरूम और पीने के पानी की जगहों को भी अच्छे से साफ रखने का निर्देश दिया गया है. और तो और हैंडवॉश भी रखने के निर्देश दिए गए हैं.
कोरोना वायस के अब तक 108 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से अभी 10 लोग ठीक हुए हैं. बाकियों का इलाज चल रहा है. और पूरी दुनिया की बात की जाए तो एक लाख 50 हज़ार लोगों में से करीब 80 हज़ार लोग ठीक हो चुके हैं. और पांच हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
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