दीपिका पादुकोण उनकी साइड थीं, जिन्होंने लड़कियों के प्राइवेट पार्ट्स पर लाठियां बरसाईं: स्मृति ईरानी
जानिए स्मृति ईरानी ने दीपिका के बारे में और क्या-क्या कहा, और उनके मायने क्या थे.
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न्यू इंडियन एक्स्प्रेस 2013 से हर साल थिंकएडू कॉन्क्लेव (ThinkEdu Conclave) आयोजित करता आया है. इसका एजेंडा देश और देश की शिक्षा होता है. कॉन्क्लेव के इस बार के संस्करण में महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी वाले सेशन की एक क्लिप काफी वायरल हो रही है. ये क्लिप 'नई स्त्री: जिम्मेदारी के साथ शक्ति’ सेशन का वो पार्ट है, जहां पर स्मृति ईरानी, दीपिका पादुकोण के बारे में अपनी बात रख रही हैं.
इस सेशन के होस्ट प्रभु चावला (न्यू इंडियन एक्सप्रेस के एडिटोरियल डायरेक्टर) ने जब दीपिका पादुकोण और सीएए के जुड़ा एक सवाल पूछा, तो स्मृति बोलीं-
मैं जानना चाहती हूं कि दीपिका पादुकोण की पॉलिटिक्स क्या है और उनका राजनीतिक जुड़ाव किससे है. ये हमारे लिए कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं थी कि वो (दीपिका) ऐसे लोगों के साथ खड़ी होंगी, जो भारत का विनाश चाहते हैं. उन्होंने, उन लोगों का पक्ष लिया, जिन्होंने लड़कियों के प्राइवेट पार्ट्स पर लाठियां बरसाईं. मैं उनके इस अधिकार को नकार नहीं सकती. (कि वो किसका पक्ष लें, किसका नहीं.)सवाल ये है कि स्मृति ईरानी जब ’लड़कियों के प्राइवेट पार्ट्स पर लाठियां बरसाने’ वाली बात कर रही थीं, तो उनका मतलब क्या था. इसके लिए पिछले दिनों हुए घटनाक्रम को समझना होगा.
दरअसल पांच जनवरी की शाम दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हिंसा हुई. हिंसा से जुड़े कई वीडियो सामने आए. इनमें दिखा कि कैंपस के अंदर घुस आए नकाबपोशों ने हाथों में सरिया, हॉकी स्टिक्स, डंडे और हथौड़े लेकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया. उसके बाद दीपिका पादुकोण, ‘छपाक’ के प्रमोशन के लिए दिल्ली आईं. सात जनवरी की शाम वो जेएनयू पहुंच गईं. एक प्रदर्शन में शामिल होने के लिए. प्रदर्शन था जेएनयू में हुई हिंसा के खिलाफ. ये प्रदर्शन आयोजित किया था जेएनयू की स्टूडेंट यूनियन ने. जिसे लोग ‘लेफ्ट’ से जोड़कर देखते हैं, क्योंकि वहां लेफ्ट का ही प्रतिनिधित्व अधिक है.It's #DeepikaPadukone's freedom to stand next to people who say Bharat Tere tukde honge, says @BJP4India MP @smritiirani at #ThinkEdu2020. @PrabhuChawla @Xpress_edex #JNUProtest @JNUSUofficial @ABVPVoice pic.twitter.com/leGerTbv7l
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) January 9, 2020
लेकिन जो हिंसा हुई थी, उसके लिए JNU छात्र संगठन ने ABVP को, और ABVP ने लेफ्ट को जिम्मेदार ठहाराया. जेएनयू में हुई हिंसा को कुछ लोगों ने प्रतिक्रिया की वजह से हुई हिंसा बताया. इन लोगों के अनुसार, हिंसा पहले लेफ्ट ने शुरू की. उन्होंने ही पहले एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को मारा था. इसमें कुछ लड़कियां भी चोटिल हुई थीं. इसलिए दीपिका के जेएनयू विज़िट को लेकर भी दो धड़े बन गए थे.Delhi: Deepika Padukone outside Jawaharlal Nehru University, to support students protesting against #JNUViolence. pic.twitter.com/fUM99qim3S
— ANI (@ANI) January 7, 2020
Deepika we respect your right to support or show solidarity with any group
But pls do take out time to meet those students who were beaten coz they wanted to register & study. Pls do meet Valentina a student who was beaten by those with whom you are standing#DeepikaPadukone https://t.co/o3guZvsQx5 — Gaurav Bhatia गौरव भाटिया 🇮🇳 (@gauravbh) January 7, 2020
तो स्मृति ईरानी दरअसल यही कहना चाह रही थीं कि जिन लोगों ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं को मारा, दीपिका उनके आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थीं. स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि-👏👏👏👏@deepikapadukone https://t.co/ytFC6yRhOo
— Anurag Kashyap (@anuragkashyap72) January 7, 2020
दीपिका ने 2011 में ही अपने राजनीतिक जुड़ाव से सबको परिचित करवा दिया था कि वह कांग्रेस पार्टी का समर्थन करती हैं.स्मृति ईरानी दरअसल दीपिका के उस कमेंट की बात कर रहीं थीं, जो उन्होंने 2010 में किया था. उस दौरान दीपिका ने राहुल गांधी की तारीफ़ करते हुए कहा था-
मैं राजनीति के बारे में ज्यादा कुछ जानती नहीं हूं. पर जो भी थोड़ा-बहुत देखती हूं टीवी पर, (उसके आधार पर कह सकती हूं कि) राहुल गांधी जो कर रहे हैं हमारे देश के लिए, मेरे हिसाब से वो एक बेहतर उदाहरण (प्रस्तुत कर रहे) हैं. वो हमारे देश के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं. उम्मीद है एक दिन वो खुद प्रधानमंत्री बन जाएंगे.स्मृति ईरानी और प्रभु चावला के बीच की बातचीत से जुड़ी विस्तृत क्लिप (जो कि पूरे सेशन की नहीं है) आप नीचे देख सकते हैं- आइए, अब दीपिका और स्मृति के बारे में तटस्थ होकर बात कर ली जाए. देखिए जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर तीन पक्ष हैं-
# पहला जो कहता है हिंसा में एबीवीपी का हाथ था.# दूसरा जो कहता है हिंसा में जेएनयू की स्टूडेंट यूनियन का हाथ था.# तीसरा कहता है कि जो हिंसा चर्चा में आई, उसमें बेशक एबीवीपी का हाथ था, लेकिन शुरुआत बहुत पहले लेफ्ट कर चुका था.हमारी राय ये है कि अगर एक बार को कंगना की बात से कन्विंस हो भी लिया जाए कि-
कॉलेजों में गैंगवार होना आम बात है.तो भी दिक्कत उस मशीनरी से है, जिसने कथित तौर पर हिंसा को फेसिलटेट करने का काम किया. अगर नहीं किया, तो दिक्कत उस मशीनरी से भी है, जो अब तक मामले के पूरे सच को देश के सामने नहीं रख पाई. पीएम की भतीजी का पर्स छिनने पर प्रोफेशनलिज़्म के कीर्तिमान स्थापित करने वाली दिल्ली पुलिस कैसे अब तक उन नकाबपोशों को नहीं पकड़ पाई? और दिक्कत देश की राजधानी की ताक पर रखी गई सुरक्षा से भी है. उधर दीपिका के जेएनयू जाने को लेकर भी दो धड़े बने हैं. पहला, जो दीपिका की तारीफ़ कर रहे हैं. दूसरा, जो कह रहे हैं कि उन्होंने ‘छपाक’ की रिलीज़ के प्रमोशन के वास्ते ऐसा किया. हमारा मानना है कि जिस तरह हम जेएनयू वाले पूरे कांड को ‘तटस्थ’ होकर उसकी फेस वैल्यू पर ले रहे हैं, वैसे ही दीपिका का जेएनयू जाना भी फेस वैल्यू पर लिया जाना चाहिए. कि वो वहां गईं, हिंसा के विरोध का समर्थन करने के लिए. शॉर्ट एंड सिंपल. तीसरा पॉइंट. दीपिका के पॉलिटिकल एफिलिएशन से जुड़ा है. देखिए, व्यक्ति इवॉल्व होता है. कल कुछ और था, आज कुछ और. वो गति है. तभी तो नेताओं का ‘दल-बदल’ न अनैतिक कहा जाता है, न अवैध. तो दीपिका के 2010 (या 2011) के किसी बयान से उनका आज का पॉलिटिकल एफिलिएशन नहीं लगाया जाना चाहिए. और कुछ देर के लिए मान लें कि दीपिका का एक स्पेसिफिक पॉलिटिकल एफिलिएशन है, तो क्या ऐसा होने से उनका विरोध करना बेमानी हो जाता है? स्मृति ईरानी एक छोटी-सी गलती और कर रही हैं. वो कांग्रेस और लेफ्ट का घालमेल कर दे रही हैं. चाहे धोखे से, चाहे सायास.
वीडियो देखें:
क्या अपने ट्रेलर की तरह ही ग्रैंड है अजय देवगन और काजोल की ये मूवी?-