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मूवी रिव्यू- शेरनी

जानिए 'न्यूटन' फेम अमित मसुरकर और विद्या बालन ने साथ मिलकर क्या बनाया है!

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फिल्म 'शेरनी' के एक सीन में वॉन्टेड शेरनी के साथ विद्या बालन और विजय राज.
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श्वेतांक
18 जून 2021 (Updated: 18 जून 2021, 11:55 AM IST) कॉमेंट्स
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18 जून को दो बड़ी फिल्में रिलीज़ हुईं. 'शेरनी' और 'जगमे थंडीरम'. हमने 'शेरनी' देख ली है. 'न्यूटन' फेम अमित मसुरकर की ये फिल्म कैसी रही, आगे हम इसी बारे में बात करेंगे. शुरुआत करेंगे फिल्म की कहानी से.
विद्या विंसेंट नाम की डिवीज़नल फॉरेस्ट ऑफिसर यानी DFO का ट्रांसफर मध्य प्रदेश में हुआ है. विद्या पिछले नौ साल से ये नौकरी कर रही है. मगर उसे अब तक प्रमोशन नहीं मिला. 6 साल की डेस्क जॉब के बाद ग्राउंड पर उतरने का मौका मिला है. मगर वो अपने काम को पूरी गंभीरता और मन से करती है. जिस इलाके में उसका ट्रांसफर हुआ है, वो जंगलों से घिरा हुआ है. गांव वाले अपनी मवेशियों को चराने और लकड़ी वगैरह लाने के लिए जंगल जाते रहते हैं. मगर पिछले कुछ समय से इन जंगलों में T12 नाम की शेरनी का उत्पात बढ़ गया है. वो मवेशियों से लेकर इंसानों को मार रही है. DFO साहिबा का काम इस बाघिन से गांववालों को सुरक्षित करना है. 'शेरनी' की कहानी इसी सिंपल स्टोरीलाइन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो फिल्म चालू होने के साथ कॉम्प्लेक्स होनी शुरू हो जाती है.
फिल्म 'शेरनी' का पोस्टर.
फिल्म 'शेरनी' का पोस्टर.


'शेरनी' में मेटाफरीकली विद्या बालन ने टाइटल कैरेक्टर निभाया है. मगर उनके किरदार का नाम है विद्या विंसेंट. ये एक ऐसा किरदार है, जो सिर्फ T12 नाम की शेरनी से नहीं, मेल डॉमिनेटेड सोसाइटी से भी जूझ रहा है. मगर विद्या बालन ने इस कैरेक्टर को इंटर्नलाइज़ कर लिया है. जो ऊपरी तौर पर तो नहीं दिखता. मगर फिल्म की छोटी-छोटी बातों में नज़र आता रहता है. वो इस पूरी कहानी एक साथ पिरोती हैं. इसमें उनकी मदद करते हैं विजय राज और बृजेंद्र काला. विजय ने एक जूलॉजी कॉलेज प्रोफेसर हसन नूरानी का रोल किया है. वो T12 के शिकारों के शरीर से DNA लेने का काम करते हैं. ताकि पता लगाया जा सके कि ये सब उस शेरनी ने किया है या जंगल के दूसरे जानवरों ने. विद्या और हसन की सोच मैच करती है. इसलिए वो साथ काम करते हैं. दोनों एक ऐसा रास्ता ढूंढना चाहते हैं, जिससे शेरनी की भी जान बच जाए और गांववालों की भी. विद्या के सीनियर बंसल का रोल किया है बृजेंद्र काला ने. पहले तो बृजेंद्र को इस तरह के मेजर रोल में देखकर बढ़िया लगा. बृजेंद्र के बोलने के टोन से एक कॉमिक फीलिंग आती है. जो कि इस फिल्म के काम आती है. उनका रोल एक सेमी-करप्ट सरकारी ऑफिसर का है, जो अपने काम और नाम पर आंच नहीं आने देना चाहता.
ड्यूटी जॉइन करने के बाद T12 की तलाश में निकलीं Dfo साहिबा.
ड्यूटी जॉइन करने के बाद T12 की तलाश में निकलीं Dfo साहिबा.


इनके अलावा 'शेरनी' में नीरज कबी, शरत सक्सेना, मुकुल चड्ढ और इला अरुण जैसे एक्टर्स भी नज़र आए हैं. नीरज का रोल एक चर्चित फॉरेस्ट ऑफिसर का है, जो फिल्म में गेस्ट अपीयरेंस जितने लंबे रोल में दिखे. मगर उनका होना फिल्म के नैरेटिव को बल देता है. शरत सक्सेना ने एक बड़बोले शिकारी का रोल किया है, जिसकी पहुंच ऊपर तक है.
विजय ने एक जूलॉजी कॉलेज प्रोफेसर हसन नूरानी का रोल किया है, जो इस शेरनी को पकड़ने में विद्या की मदद करता है.
विजय ने एक जूलॉजी कॉलेज प्रोफेसर हसन नूरानी का रोल किया है, जो इस शेरनी को पकड़ने में विद्या की मदद करता है.


'शेरनी' एक ऐसी फिल्म है जिसमें बड़ी आसानी से थ्रिलर वाले गुण डाले जा सकते थे. इससे ये दर्शकों को ज़्यादा आकर्षित लग सकती थी. मगर ये एक सिंपल फिल्म बनी रहती है. इससे ये फिल्म वो सबकुछ कह पाती है, जो ये कहना चाहती है. ये इंडिया में बनने वाली उन गिनी चुनी फिल्मों में से है, जिसका गांव देखकर अपना गांव याद आता है. बिना सजावट-मिलावट के. वास्तविकता के करीब रहना इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है. ये फिल्म एक शेरनी से गांववालों को बचाने से शुरू होती है. मगर क्लाइमैक्स में शेरनी को इंसानों से बचाने की कवायद शुरू हो जाती है. दूसरी तरफ एक महिला ऑफिसर है, जिसे उसके जेंडर के आधार पर जज किया जाता है.
विद्या के सीनियर बंसल के रोल में बृजेंद्र काला.
विद्या के सीनियर बंसल के रोल में बृजेंद्र काला. ये खुद यहां की पॉलिटिकल चक्की में इतने पिस रहे हैं कि जल्द से जल्द ट्रांसफर चाहते हैं. 


ये फिल्म दो अलग-अलग लड़ाइयों के बारे में है, जो फिल्म के खत्म होने से पहले मर्ज हो जाती हैं. 'शेरनी' एक ऐसी फिल्म है, जो दहाड़ने की बजाय शांति से बात करने में विश्वास रखती है. बोलचाल की शैली में लिखे गए डायलॉग इसमें इसकी मदद करते हैं. ये फिल्म कोई ऐसी बात नहीं कहती, जो पहले नहीं कही गई. मगर ये उस बात को ऐसे कहती है, जिसका असर ज़्यादा होता है. यहीं इसका होना सार्थक हो जाता है.
शरत सक्सेना बने हैं पिंटू भैया. लंबे समय से शौक के लिए जानवरों का शिकार कर रहे हैं. इसलिए हर बात पर अपनेे अनुभव का प्रमाण देने लगते हैं.
शरत सक्सेना बने हैं पिंटू भैया. लंबे समय से शौक के लिए जानवरों का शिकार कर रहे हैं. इसलिए हर बात पर अपने अनुभव का प्रमाण देने लगते हैं.


आपने आखिरी बार कौन सी फिल्म देखी थी, जिसमें पेड़ों की कटाई, चारागाह की कमी और इस सब का environment पर पड़ने वाले असर पर बात की गई थी. ये फिल्म सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें नहीं करती, बड़ी बात करती है.
अपनी बकरियों को चराने जंगल लाया एक गांव वाला.
अपनी बकरियों को चराने जंगल लाया एक गांव वाला.


'शेरनी' परफेक्ट फिल्म नहीं है. क्योंकि परफेक्ट जैसा कुछ नहीं होता. चीज़ों को देखना का सबका अपना-अपना नज़रिया होता है. 'शेरनी' के साथ कुछ दिक्कतें भी हैं. जैसे क्रिटिक्स कहते हैं न, कि फिल्म थोड़ी क्रिस्प हो सकती थी. यानी इसकी लंबाई थोड़ी कम होती और रफ्तार थोड़ी ज़्यादा. ये इतनी सिंपल फिल्म है कि आपको फिल्म वाला फील नहीं आएगा. मगर इसके बाद आप कुछ चीज़ों को फ्रेश पर्सपेक्टिव से देख पाएंगे.
मगर 'शेरनी' को देखने के लिए आपको पर्सपेक्टिव के साथ एमेज़ॉन प्राइम वीडियो का सब्सक्रिप्शन भी चाहिए होगा. क्योंकि ये फिल्म सीधे वहीं रिलीज़ हुई है.


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