सुपरमैन नहीं, हम हैं असली हीरो! भारत की हर गली में एक Kal-El बसता है
क्या आपने कभी खुद को क्लास में हिंदी बोलते हुए दबाया है ताकि "कोल इंडिया" के अंग्रेजी बोलते स्टूडेंट्स आपको 'देसी' न कह दें? क्या दिल्ली मेट्रो में आपकी मां का लहजा सुनकर किसी ने नाक-भौं सिकोड़ी है? तो समझिए, आप भी अपने 'क्रिप्टन' से आए सुपरमैन हैं.

न्यू जर्सी में पैदा हुई एक सुपरहीरो कहानी. लेकिन इसकी गूंज बनारस, भोपाल, बिहार और बंगलुरु तक सुनाई देती है. क्योंकि Superman सिर्फ अमेरिका का नहीं है. उसका संघर्ष हम सबका है- विशेषकर उन भारतीयों का जो अपनी पहचान, अस्मिता और आत्मसम्मान के तीन सिरों पर झूलते रहते हैं.
अब समय है सुपरमैन को फिर से परिभाषित करने का. और इस बार, डीसी की नहीं, दिल्ली की नजर से.
तीन पहचान, एक प्रवासी: ये कहानी सिर्फ अमेरिका की नहीं हैक्या आपने कभी खुद को क्लास में हिंदी बोलते हुए दबाया है ताकि ‘कोल इंडिया’ के अंग्रेजी बोलते स्टूडेंट्स आपको 'देसी' न कह दें? क्या दिल्ली मेट्रो में आपकी मां का लहजा सुनकर किसी ने नाक-भौं सिकोड़ी है? अगर हां, तो समझिए, आप भी अपने ‘क्रिप्टन’ से आए सुपरमैन हैं. जो तीन पहचान लेकर जी रहे हैं:
- एक इंग्लिश मीडियम दुनिया में
- एक पारंपरिक घर के भीतर
- एक अपने बचपन के गांव या कस्बे की स्मृति में
बिलकुल क्लार्क केंट की तरह- ऑफिस में रिपोर्टर. घर पर बेटा. और मन ही मन Kal-El.
भारतीय सुपरमैन: जिसे अमेरिकी सपने से नहीं, भारतीय यथार्थ से जूझना है
सुपरमैन अमेरिका के लिए 'आशा का प्रतीक' होगा, लेकिन भारत में?
यहां 'सुपर' बनने के लिए कोई एलियन पॉवर नहीं चाहिए.
यहां तो:
- रेलवे परीक्षा पास करना सुपरपावर है
- 50 डिग्री में सबवे बेचने निकलना सुपरएक्शन है
- मजदूरी के बाद ऑनलाइन क्लास करना, वो भी 2G पर, सुपरस्पिरिट है
क्लार्क केंट अगर इंडिया में पैदा होता, तो शायद जाट आंदोलन में फंसा होता.
जब 'सुपरमैन' बन जाए सिस्टम का हिस्सा, तो कौन बचाएगा?हमें सिखाया गया कि सुपरमैन न्याय और शांति का रक्षक है. लेकिन 2025 के भारत में सोचिए- अगर कोई सुपरमैन सरकार के लिए काम करने लगे? किसी IT सेल का सदस्य बन जाए? या UAPA के तहत किसी स्टूडेंट को पकड़ ले?
सुपरपावर वाला ही अगर सत्ता के साथ खड़ा हो जाए, तो आम आदमी किससे उम्मीद करे?
सुपरमैन के “परफेक्ट-इम्परफेक्ट डुप्लीकेट्स”- असली कहानियां वहीं से शुरू होती हैं. Alan Moore की Miracleman हो या आज का Homelander- ये सब सुपरमैन के वो रूप हैं जो दुनिया को सवालों से भरते हैं. जवाबों से नहीं.
भारत में भी हमने इन्हीं 'डार्क डुप्लीकेट्स' को देखा हैएक IAS अफसर जो फाइलों से नहीं, जमीन से लड़ता है. एक डॉक्टर जो बस्तर में इलाज करता है. एक टीचर जो सरकारी स्कूल में बच्चों को दुनिया दिखाता है.
ये कोई केप नहीं पहनते. लेकिन हर रोज़ अपनी हदें तोड़ते हैं. क्योंकि हमारी लड़ाई किसी लेक्स लूथर से नहीं है, सिस्टम से है.
हमारी कहानी में विलन जातिवाद है. हमारी कहानी में विलन बेरोज़गारी है. हमारी कहानी में विलन धर्म और पहचान के नाम पर बंटवारा है. और हमारी कहानी में विलन वो शिक्षा व्यवस्था है, जो सोचने से रोकती है.
और यही असली बैटलफील्ड है. यहां सुपरपंच नहीं, सुपरसंवेदना चाहिए.
आज का सवाल:तुम्हारे भीतर का सुपरमैन किसके लिए लड़ रहा है? क्या वो सिर्फ अपने EMI चुकाने में उलझा है? या फिर क्या किसी WhatsApp ग्रुप की नफरत में डूबा है? या फिर सच में, अपने मोहल्ले, अपने गांव, अपने देश को बेहतर बनाने के लिए लड़ रहा है?
सुपरमैन का देसी Mic Drop:क्रिप्टन का सुपरमैन नहीं, इंडिया का हर आम इंसान असली हीरो है. बस उसे खुद पर यकीन दिलाने की जरूरत है. हीरो वो नहीं जो उड़ सके, हीरो वो है जो टूटकर भी खड़ा रहे. सुपरमैन कोई और नहीं, हम सब हैं.
वीडियो: टॉम क्रूज की पॉपुलर फ्रैंचाइज़ की आखिरी फिल्म से लेकर सुपरमैन तक, कई बड़ी फिल्में आने वाली हैं