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पीएम मोदी और अक्षय कुमार का इंटरव्यू देखकर विवेक ओबेरॉय क्यों रोए?

सालों से सफलता को तरसते रहे विवेक की सीढ़ी अबकी EC ने खींच ली.

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विवेक ओबेरॉय स्टारर इस फिल्म को विवेक के ही पिता सुरेश ओबेरॉय ने प्रोड्यूस और ओमंग कुमार ने डायरेक्ट किया है.
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श्वेतांक
24 अप्रैल 2019 (Updated: 24 अप्रैल 2019, 09:28 AM IST) कॉमेंट्स
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10 अप्रैल को इलेक्शन कमीशन ने चल रहे आम चुनाव और लागू आचार संहिता का हवाला देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी की बायोपिक की रिलीज़ पर रोक लगा दी थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इलेक्शन कमीशन की एक कमिटी ने इस फिल्म को देखी और अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी है. इसमें उन्होंने फिल्म को चुनाव के दौरान रिलीज़ न करने के फैसले को बरकरार रखा है. ईसी के अधिकारियों का मानना है कि ये फिल्म किसी आम आदमी की ज़िंदगी से ज़्यादा एक संत की जीवनी लग रही है, जो चुनाव में पार्टी विशेष के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. ये खबर ठीक उसी समय आई, जब अक्षय कुमार नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू ले रहे थे, जो देश के हर न्यूज़ चैनल पर ब्रॉडकास्ट हो रहा था. और ये इंटरव्यू सुनकर भी ऐसा ही लगा जैसे किसी नेता की नहीं संत की बात रहो रही हो. इस बात से सबसे ज़्यादा रुआंसे विवेक ओबेरॉय हुए होंगे. जो काम वो अपने पापा का पैसा लगाकर नहीं कर पा रहे, वो अक्षय कुमार ने फ्री में कर दिया.
सेंसर बोर्ड से पास कर दिए जाने के बावजूद इलेक्शन कमीशन ने चुनावी माहौल को देखते हुए फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' की रिलीज़ पर रोक लगा दी थी. ईसी के इस फैसले को चुनौती देने के लिए फिल्म के प्रोड्यूसर्स सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि ईसी इस फिल्म को देखे और 22 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट के हवाले करे. कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए 17 अप्रैल को इलेक्शन कमीशन की सात सदस्यीय टीम ने इस फिल्म को देखकर एक रिपोर्ट बनाई. इस रिपोर्ट में कमिटी का कहना है कि आचार संहिता लागू होने के बाद इस फिल्म की पब्लिक स्क्रीनिंग चुनावी संतुलन बिगाड़कर मामला पार्टी विशेष की ओर झुका देगी. इसलिए इस फिल्म को चुनाव के दौरान (19 मई तक) रिलीज़ करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.
जनवरी में आए इस बायोपिक में विवेक ओबरॉय
फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' का पहला पोस्टर जनवरी में आया था.


अगर इलेक्शन कमीशन की इस रिपोर्ट को शब्दश: पढ़ें, तो वो कुछ यूं है-
''फिल्म की शुरुआत से लेकर आखिर तक नरेंद्र मोदी के किरदार का महिमामंडन साफ तौर पर नज़र आता है. ये किसी आम आदमी की कहानी से ज़्यादा किसी संत की जीवनी सरीखी लग रही है. फिल्म में कई सीन्स ऐसे हैं, जिनमें विरोधी पार्टियों को भ्रष्ट और गलत तरीके से दिखाया गया है. उन पार्टी को नेताओं का चित्रण इस प्रकार से किया गया है कि जनता को उन्हें पहचानने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. 'पीएम नरेंद्र मोदी' फिल्म ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न करती है, जहां एक आदमी कल्ट स्टेटस पा जाता है. 135 मिनट लंबी ये फिल्म पूरी तरह से एकतरफा लगती है, जो अलग-अलग नारों, सीन्स और चिन्हों की मदद से एक आदमी को ऊंचा दर्जा देती है. व्यक्ति विशेष का महिमामंडन करती है और उसे संत-महात्मा जैसा कुछ साबित कर देती है.''
फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' में विवेक ओबेरॉय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोल कर रहे हैं. उन्होंने फिल्म पर रोक लगाने के मामले पर रिएक्ट करते हुए कहा था कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इस फिल्म को लेकर लोग इतना ओवररिएक्ट क्यों कर रहे हैं? पता नहीं वो फिल्म से डर रहे हैं कि चौकीदार के डंडे से. विवेक के इस बयान के बाद मीडिया में उनकी खूब फजीहत हुई थी. इसके अलावा इस फिल्म के पोस्टर पर छपे कई नामों पर भी विवाद हो चुका है. लोगों का कहना है कि उन्होंने इस फिल्म में कोई काम नहीं किया, फिर भी उनका नाम फिल्म के पोस्टर पर लिखा गया है. इस फिल्म को 'सरबजीत' और 'मैरीकॉम' फेम डायरेक्टर ओमंग कुमार ने डायरेक्ट किया है. सिर्फ फिल्म ही नहीं, नरेंद्र मोदी के जीवन पर 'मोदी: जर्नी ऑफ अ कॉमन मैन' नाम की एक वेब सीरीज़ भी बनी थी, ईसी के आदेश पर उसे भी इंटरनेट पर हटाया जा चुका है. ये सब विवेक ओबेरॉय के लिए बहुत दुखदायी है. उनका करियर पहले ही डांवाडोल हुआ पड़ा है, ऊपर से जिस फिल्म से उन्हें उम्मीदें थीं, वो सिनेमाघरों तक पहुंच ही नहीं पा रही.


वीडियो देखें: फिल्म PM नरेंद्र मोदी के क्रेडिट्स में एक झूठा नाम दिया गया है?

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