The Lallantop
Advertisement

फ़िल्म रिव्यू - जैक्सन हॉल्ट

'जैक्सन हॉल्ट’ ऐसी फिल्म है जिसके किरदारों की भाषा मैथिली है. जबकि इस फिल्म की भाषा सिर्फ सिनेमा ही है.

Advertisement
jackson halt movie review maithili film
फिल्म की कहानी सिर्फ उसके एंड के साथ खत्म नहीं होती. फोटो - स्क्रीनशॉट
pic
यमन
6 मई 2023 (Updated: 6 मई 2023, 08:51 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

मिथिला मखान. 2019 में रिलीज़ हुई मैथिली फिल्म जिसने अपनी रिलीज़ से तीन साल पहले नैशनल अवॉर्ड जीता. फिल्म को खरीदने के लिए कोई OTT प्लेटफॉर्म राज़ी नहीं हुआ. तो मेकर्स ने अपने ही Bejod नाम के स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर फिल्म रिलीज़ कर डाली. नीतू चंद्रा फिल्म की प्रोड्यूसर थी और उसे डायरेक्ट किया था नितिन चंद्रा ने. अब इन लोगों ने मिलकर एक और मैथिली फिल्म बनाई है. नाम है ‘जैक्सन हॉल्ट’. इस फिल्म को भी आप Bejod के ऐप पर या वेबसाइट पर देख सकते हैं. फिल्म कैसी है, अब बात उस पर. 

कहानी खुलती है ऋषिराज से. लंदन से बिहार आया है. उसे एक ज़मीन की डील क्लोज़ करनी है. सारा काम हो जाने के बाद वापस लौटने का वक्त आता है. ‘इंडिया घूमने का मज़ा तो ट्रेन से ही है’ के सिद्धांत का पालन करते हुए एक दिल्ली के लिए ट्रेन बुक कर लेता है. जैक्सन हॉल्ट स्टेशन पर पहुंचकर ट्रेन का इंतज़ार करने लगता है. जैक्सन हॉल्ट एक सुनसान स्टेशन है. ऐसी जगह जहां दिन में भी बेचैनी महसूस हो कि कोई छिपकर आपको ही देख रहा है. ऋषि को वहां मिलते हैं स्टेशन मास्टर और हेल्पर. एक बहुत बोलता है और दूसरा बोलने के नाम पर बस गर्दन हिलाता है. ऋषि को महसूस होने लगता है कि जैक्सन हॉल्ट और इन दोनों लोगों के बारे में कुछ तो अजीब है. 

jackson halt movie
रामबहादुर रेणू ने फिल्म में स्टेशन मास्टर का किरदार निभाया है.  

सब कुछ समझ जाने के बाद उसके लिए बाहर के रास्ते निकलना मुश्किल हो जाता है. इन दोनों लोगों से कैसे बचेगा, वही इस सस्पेंस थ्रिलर फिल्म का मेन प्लॉट है. ‘जैक्सन हॉल्ट’ के सिर्फ तीन मुख्य किरदार है – ऋषि, स्टेशन मास्टर और उसका एक हेल्पर. फिल्म की अधिकांश कहानी एक ही सेटिंग में घटती है. बावजूद इस बात के फिल्म ऑडियंस पर से अपनी ग्रिप छूटने नहीं देती. ये एक एंटीसिपेशन बनाती है और फिर दो घंटे तक उस पर खेलती है. चाय का कप उठाना, सैनिटाइज़र से हाथ साफ करना, बिलसेरी की बॉटल से पानी पीना, ऐसी साधारण चीज़ों को भी इस तरह दिखाया गया है कि जैसे इनके बहाने कुछ घट जाएगा. आप सोचते हैं कि इस सैनिटाइज़र में कुछ मिलावट होगी. अब कुछ बुरा होने ही वाला है. 

इस एंटीसिपेशन का फिल्म को बड़ा फायदा मिलता है. स्क्रीन पर कुछ चल रहा है और आपकी ऑडियंस यही सोचने में बिज़ी है कि अब कुछ घटने वाला है. फिल्म की राइटिंग के साथ एक और अच्छी बात है. कि ये सिर्फ थ्रिलर वाले मोमेंट्स को ही भुनाना नहीं चाहती. जब स्क्रीन पर दहशत नहीं मच रही होती तब भी इसके पास कहने को बहुत कुछ होता है. राइटर-डायरेक्टर नितिन चंद्रा ने जिस माहौल में अपनी कहानी को सेट किया है, वो उससे भली-भांति परिचित हैं. एक सीन में स्टेशन मास्टर ऋषि से उसका नाम पूछता है. वो जवाब में ऋषिराज बताता है. इतने में वो कहता है कि पूरा नाम बताइए. ऋषि इस पर कहता है कि यहां सबको सरनेम जानने की बहुत जिज्ञासा रहती है. 

आपको ऐसे डायलॉग सुनने को मिलते हैं,

दूसरी जाति से होकर भी आपकी मैथिली कितनी अच्छी है.

या आज कल बहुत लोग खुद से इतिहास लिख रहे हैं.

jackson halt movie
‘पंचायत’ के बनराकस ने यहां एक सीरियल किलर का रोल किया है.   

ये मानना मुश्किल है कि इसके पीछे कोई पॉलिटिकल अंडरटोन नहीं. नितिन चंद्रा इस फिल्म के ज़रिए मुझे और आप जैसे लोगों को मैथिली भाषा, उसके साहित्य तक ले जाना चाहते हैं. फिल्म में मैथिली कवि विद्यापति पर विस्तार से चर्चा होती है. एक ड्रीम सीक्वेंस है. जहां मैथिली साहित्य के दिग्गज नज़र आते हैं. ये सीन फिल्म के नेरेटिव में कुछ जोड़ने का काम नहीं करता. अपने दर्शकों का मैथिली भाषा और उसके समृद्ध साहित्य से परिचय करवाने के लिए इस सीन को रखा गया. एक फिल्ममेकर कुछ चीज़ें अपनी ऑडियंस के लिए और बाकी सिर्फ अपने लिए. 

दो घंटे की फिल्म का पूरा भार पड़ा निश्चल अभिषेक, रामबहादुर रेणू और दुर्गेश कुमार पर. इन लोगों ने फिल्म में ऋषि, स्टेशन मास्टर और हेल्पर के किरदार निभाए. निश्चल के चेहरे पर आपको हैरानी और तब्दील होता हुआ डर दिखता है. कुछ भी बनावटी नहीं लगता. पहली नज़र से ही स्टेशन मास्टर रहस्यमयी शख्स दिखता है. आम कद-काठी वाला आदमी लेकिन उससे डर लगता है. रामबहादुर रेणू ने अपने बॉडी फ्रेम को बढ़ाकर यहां एक्टिंग की है. इससे वो जैसे दिखते हैं उस पर ध्यान नहीं जाता. ध्यान जाता है सिर्फ उनके हावभाव, उनकी बॉडी लैंग्वेज पर. 

फिल्म में सबसे कम डायलॉग हैं दुर्गेश कुमार के. उन्होंने फिल्म में स्टेशन मास्टर के हेल्पर का किरदार निभाया. आपने उन्हें ‘पंचायत’ में बनराकस के रूप में भी देखा है. ‘जैक्सन हॉल्ट’ को उसके हिस्से की कॉमेडिक रीलीफ देने का काम किया है दुर्गेश ने. ऐसा नहीं था कि उनका किरदार जानबूझकर फनी होने की कोशिश कर रहा था. सीन के बीच में वो गर्दन झटककर भी आसानी से ह्यूमर निकाल पा रहे थे. ‘जैक्सन हॉल्ट’ ऐसी फिल्म है जिसके किरदारों की भाषा मैथिली है. इस फिल्म की भाषा सिर्फ सिनेमा ही है.     
          
 

वीडियो: ‘धुइन’ फिल्म की कहानी में क्या खास है?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement