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सीरीज़ रिव्यू: हॉस्टल डेज़

क्या सीज़न-2 में भी उतना ही धमाल है?

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हॉस्टल डेज़.
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23 जुलाई 2021 (Updated: 23 जुलाई 2021, 11:58 AM IST) कॉमेंट्स
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अमेज़न प्राइम वीडियो पर ' हॉस्टल डेज़' का दूसरा सीज़न आ गया है. इस बार सिर्फ 4 एपिसोड्स हैं. प्रत्येक एपिसोड 30 से 35 मिनट के बीच का है. बेसिकली ये एक मिनी सीरीज़ है. इस शो का पहला सीज़न दिसंबर 2019 में आया था. जिसमें पांच एपिसोड थे. 'होस्टल डेज़' सीज़न 2 हमने बिंज कर लिया है. कैसे हैं इस बार के 'हॉस्टल' के डेज़ आइये बात करते हैं.
जिन लोगों ने 'हॉस्टल डेज़' का सीज़न 1 ना देखा हो उनके लिए मोटी-मोटी कहानी बता देते हैं. कहानी है एक इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल की. जहां एक नया बैच आया है. रुपेश भाटी, चिराग बंसल, अंकित पांडे. ये तीन फ्रेशर्स इस कहानी के मुख्य पात्र हैं. रुपेश भाटी उर्फ़ जाट. जिसने 15 लाख डोनेशन देकर एडमिशन लिया है. कब्ज़े वाले प्लाट खाली कराने में एक्सपर्ट है. वहीं चिराग बंसल पढ़ाकू लड़का है. किताबों में मिलने वाला सारा ज्ञान है उसके मस्तिष्क में. लेकिन 'अबे' और 'साले' के अलावा कोई गाली नहीं आती. तीसरे हैं अंकित पांडे. इन्हें ये डर है कि ये कोई हॉस्टल मेमोरी नहीं बना पाएंगे. प्लस पॉर्न एक्सपर्ट हैं. पूरे हॉस्टल में हर मिज़ाज की पॉर्न सप्लाई करते हैं. इन तीनों के हॉस्टल में घुसते ही सीनियर्स इनकी रैगिंग लेने आ जाते हैं. इन सीनियर्स में से एक है जतिन उर्फ़ (एक ज़िम्मेदार चैनल होने के नाते हम तो नहीं बता सकते). खैर, जतिन 2014 से हॉस्टल में है. एक तरीके से हॉस्टल के मठाधीश हैं. पूरे हॉस्टल की सिगरेट की सप्लाई यही देखते हैं.
कैसे तीन नए फ्रेशर्स पहली बार घर से दूर हॉस्टल के माहौल में एडजस्ट करते हैं, वहां सीनियर्स की रैगिंग झेलते हैं, एकदम विपरीत स्वभाव, रहन-सहन के बावजूद दोस्ती करते हैं. यही सब 'हॉस्टल डेज़' सीजन 1 में दिखाया गया था.
अब बात करते हैं सीज़न 2 की कहानी की. तो.. #कहानी ये फ्रेशर्स अब खुद सीनियर बन चुके हैं. जतिन तो था ही पहले से सीनियर. ये सारे मिलकर अब नए फ्रेशर्स की रैगिंग ले रहे हैं. वो भी एक स्टेप आगे जाकर. ऐसा सिर्फ बॉयज़ हॉस्टल में नहीं हो रहा. गर्ल्स हॉस्टल में तो इससे भी 10 कदम आगे की रैगिंग चल रही है. दूसरे एपिसोड तक जाट और जतिन को एक ही लड़की पसंद आ जाती है. जिस कारण दोनों भिड़ जाते हैं. दोस्तों की टोलियां बंट जाती हैं. इम्प्रेस करने के लिए दोस्तों की एडवाइज़ (जो खुद सिंगल हैं) से लेकर शाहरुख़ की स्टाइल तक सबका इस्तेमाल होता है. लेकिन प्रेम कहानी यहां सिर्फ एक की सफ़ल होती दिखती है. वो है अंकित की. जिसे उसके ही जैसी 'गंदी' लड़की मिल गई है. इन सबकी ज़िंदगियों और ढेर सारी शराब, सुट्टे और पॉर्न के साथ कहानी चलती है.
अहसास चन्ना.
अहसास चन्ना.

#कैसा है सीज़न 2 'हॉस्टल डेज़' के पहले सीज़न में सीन और किरदार बहुत वास्तविक लगे थे. TVF के शोज़ की यही ख़ास बात होती है. किरदार, कहानी और चित्रण बहुत रियल लगते हैं. सेम वे में 'हॉस्टल डेज़' के किरदारों की हरकतें भी बहुत असल लगी थीं 'सीज़न 1' में. लेकिन सीज़न 2 में इस बार कहानी वास्तविकता को पीछे छोड़ बहुत आगे निकल जाती है. रैगिंग के नाम पर गर्ल्स हॉस्टल में लड़कियां जो कुछ नए फ्रेशर्स लड़कों से करवाती हैं, वो कहीं से भी असल नहीं लगता. पिछले सीज़न में अंकित की प्रेम कहानी में जो सच्चाई दिख रही थी, वो इस सीज़न में गुम हो जाती है और इनकी लव स्टोरी बाकी रोमांटिक फिल्मों की कहानियों के ट्रैक पर ही चलती हुई दिखती है.
लेकिन किंतु, परंतु, बंधू... मनोरंजन बहुत सब्जेक्टिव चीज़ है. 'हॉस्टल डेज़' यूथ को ध्यान में रख कर लिखा गया शो है. ये शो ऑडियंस के सिर्फ एक वर्ग के लिए है. अगर आप कॉलेज में पढ़ रहे हैं या हाल ही के कुछ सालों में कॉलेज से निकले हैं, तो मुमकिन है ये शो आपको बहुत पसंद आएगा. काफ़ी चीज़ें रिलेटेबल लगेंगी. लेकिन अगर आपका कभी किसी हॉस्टल से कोई वास्ता नहीं रहा है, या एक दशक से भी लंबा अरसा हो चुका है कॉलेज छोड़े, तो कहानी में हर सेकंड सुनाई देने वालीं गालियां और मॉडर्न कल्चर रेफरेंस आपके बाउंसर जा सकते हैं. #एक्टिंग, राइटिंग एंड डायरेक्शन अंकित पांडे के रोल में 'द वाइट टाइगर' फ़ेम आदर्श गौरव स्थिर हैं. एक आम लड़का जिसे नई-नई हॉस्टल की अकड़ आई है, कुछ इस ज़ोन का रोल है. जिसका चित्रण आदर्श गौरव ने अच्छा किया है. चिराग बंसल के रोल में लव हैं. लव की डायलॉग डिलीवरी अच्छी है. मीठे स्वर में जिस अंदाज़ से लव बात करते हैं, वो बहुत फनी और क्यूट लगता है. रुपेश भाटी उर्फ़ जाट का किरदार शुभम गौर ने निभाया है. शुभम का दिमाग से कम दिल से ज़्यादा काम लेने वाले जाटलैंड से आए लड़के का पोट्रेयल काफ़ी बैलेंस्ड है. वो बाकी क्लीशे जाट स्टाइल की एक्टिंग नहीं करते ये सबसे अच्छी बात है.
गर्ल्स हॉस्टल की लीडर के रोल में हैं अहसास चन्ना. अहसास बहुत ही कमाल की एक्ट्रेस हैं. हालांकि 'हॉस्टल डेज़' में इनका रोल ज्यादा बड़ा नहीं है. लेकिन इनके जितने सीन हैं, सब में वो डीसेंट हैं. जतिन के रोल में निखिल विजय हैं. इस बार के स्टैंडआउट परफ़ॉर्मर हैं निखिल. पिछले सीज़न के मुकाबले इस सीज़न में उनका रोल ज़्यादा लेयर्स वाला है. खास कर अंतिम एपिसोड में जतिन के करैक्टर की कई परतें खुलती हैं. एक जगह निखिल शाहरुख़ स्टाइल में बात करते हैं. वो भी खूब लगता है.
निखिल विजय.
निखिल विजय.


हॉस्टल डेज़' सीज़न 2 को डायरेक्ट किया है आमिर मुसन्ना और संग्राम नाइक साटम ने. 'हॉस्टल डेज़' सीज़न 1 को लिखा था अभिषेक यादव और सौरभ खन्ना ने. इस बार सीज़न 2 को लिखा है हरीश पेड्डीनिति और सुप्रिथ कुंदर ने. हरीश इससे पहले 'कोटा फैक्ट्री' जैसे कई शोज़ लिख चुके हैं. वहीं सुप्रिथ का हाल ही में सोनी लिव पर 'अनकॉमनसेंस विथ सलोनी' शो आया था. राइटिंग के लिहाज़ से देखें तो सीज़न 1 के मुकाबले सीज़न 2 कमज़ोर बैठता है. लेकिन कुछ डायलॉग और सीन हैं, जो वाकई में फनी हैं और देख-सुन मज़ा आता है.
जैसे जब जाट, जतिन और अंकित को कॉलेज से निकाल दिया जाता है, तब वो टीचर के पैरों से लिपट जाते हैं और एक तरीके से प्रतियोगिता करने लगते हैं कि कौन ज्यादा गरीब है. कहते हैं,
  • स्वदेश की बिजली वाली दादी मेरी दादी है.
  • सर, बाबा का ढाबा हमारे बाबा चलावे हैं. कोई पीसे ना मिले उन्हें. वो यूट्यूबर ने उनके साथ धोखा किया है.
  • सर सिगरेट के पैकेट वाला मुकेश मेरा भाई है.
एक डायलॉग है, जो निखिल का किरदार बोलता है. वो अच्छा और क्रिएटिव लगता है.

"मैं ज़ालिम लोशन हूं. मेरा प्रोडक्ट तो बहुत अच्छा है. बस मेरी पैकेजिंग ख़राब है."

#देखें या नहीं

सीजन 1 के मुकाबले सीज़न 2 उतना मनोरंजक नहीं है. लेकिन अगर आपने सीज़न 1 एन्जॉय किया था, तो सीजन 2 भी आपको बोर नहीं करेगा. एक बार देखा जा सकता है. अगर आप पल-पल कानों पर पड़ने वाली गालियों के लिए तैयार हों तो.

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