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विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच करने वाले पैनल के तीन सदस्य कौन हैं?

योगी सरकार में एनकाउंटर की जांच को लेकर सवाल उठते रहे हैं.

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10 जुलाई को विकास दुबे को कानपुर के भौंती क्षेत्र में कथित पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था. वो बिकरू हत्याकांड का मुख्य आरोपी भी था, जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. फोटो: India Today
10 जुलाई को विकास दुबे को कानपुर के भौंती क्षेत्र में कथित पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था. वो बिकरू हत्याकांड का मुख्य आरोपी भी था, जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. फोटो: India Today
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निशांत
24 जुलाई 2020 (Updated: 24 जुलाई 2020, 11:39 AM IST) कॉमेंट्स
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विकास दुबे के कथित एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से जांच पैनल में दो नाम सुझाए गए, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखाई. इन दो लोगों में एक हैं सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएस चौहान और दूसरे यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता. इससे पहले यूपी सरकार ने एक सदस्यीय कमीशन बनाया था, जिसकी संख्या बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था. पहले पैनल में सिर्फ इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल थे. अब बीएस चौहान पैनल की अगुआई करेंगे.
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच में ये भी देखा जाए कि विकास दुबे को 64 आपराधिक मामलों के बावजूद बेल या परोल कैसे मिलती रही? चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि हम इसे सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर मानते हैं. साथ ही बेंच ने कहा कि अथॉरिटी के रोल को भी कवर किया जाना चाहिए. बेंच ने ये भी कहा, 'सिर्फ इसलिए कि मामले को काफी पब्लिसिटी मिली है, सुप्रीम कोर्ट जांच को मॉनिटर नहीं करता रहेगा.'
इस जांच पैनल के तीन सदस्य कौन हैं?
1. बीएस चौहान
पूरा नाम बलबीर सिंह चौहान. मई, 2009 से जुलाई, 2014 तक सुप्रीम कोर्ट में जज रहे हैं. इससे पहले वो ओडिशा हाईकोर्ट में जुलाई, 2008 से मई 2009 के बीच चीफ जस्टिस थे. फिलहाल वो कावेरी वॉटर डिस्प्यूट ट्राइब्यूनल के चेयरपर्सन और 21वें लॉ कमीशन ऑफ इंडियन के चेयरमैन हैं. अब वो विकास दुबे मामले में जांच पैनल को हेड करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएस चौहान. फोटो: barandbench
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएस चौहान. फोटो: barandbench

2. केएल गुप्ता
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी हैं. अप्रैल 1998 से दिसंबर, 1999 के बीच इस पद पर थे. इस दौरान ज्यादातर समय में बीजेपी की सरकार थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे. कुछ दिनों पहले एक टीवी डिबेट में उन्होंने विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर कहा था कि एनकाउंटर को लेकर पुलिस पर शक करना सही नहीं है. हालांकि पैनल में शामिल होने के बाद उनका सुर थोड़ा बदला. 'इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक, उन्होंने कहा कि जब हम किसी जांच का हिस्सा हों, तो हमें ज्यादा नहीं बोलना चाहिए. फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को भेजी जाएगी.
कल्याण सिंह सरकार के दौरान डीजीपी रहे केएल गुप्ता की फाइल फोटो. Twitter
कल्याण सिंह सरकार के दौरान डीजीपी रहे केएल गुप्ता की फाइल फोटो. Aaj Tak

3. शशिकांत अग्रवाल
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस हैं. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई करने वाले जस्टिस शशिकांत अग्रवाल 1999 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज बने. इसके अलावा 2005 में वो झारखंड हाईकोर्ट में जज रहे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत अग्र्वाल. फोटो: allahabadhigcourt.in
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत अग्र्वाल. फोटो: allahabadhigcourt.in

योगी सरकार में एनकाउंटर की जांच
योगी सरकार के दौरान पुलिस एनकाउंटर और उनकी जांच को लेकर कई सवाल भी उठे हैं. इंडियन एक्सप्रेस
  की एक रिपोर्ट के मुताबिक,  मार्च, 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद विकास दुबे 119वां आरोपी है, जो पुलिस की कथित क्रॉस फायरिंग में मारा गया है. इनमें 74 एनकाउंटर केस, जिनमें आरोपियों की मौत हुई, मैजिस्ट्रियल इन्क्वायरी बैठी. जांच पूरी हुई. सबमें पुलिस को क्लीन चिट मिल गई. 61 मामलों में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.
रिकॉर्ड के मुताबिक, 6,145 ऑपरेशन हुए जिनमें 119 आरोपियों की मौत हुई और 2,258 घायल हुए. इनमें 13 पुलिसवालों की जान गई, जिनमें वो आठ पुलिसवाले भी शामिल हैं, जो 2-3 जुलाई की दरमियानी रात कानपुर में शहीद हुए. इन सारे ऑपरेशन में कुल 885 पुलिसकर्मी घायल हुए. रिपोर्ट में कहा गया है कि तय कानूनी प्रक्रिया होने के बावजूद एनकाउंटर किलिंग में नियमों की अवहेलना जारी है.
विकास दुबे के कथित एनकाउंटर के बाद पुलिस की थ्योरी पर कई सवाल उठे थे. फाइल फोटो.
विकास दुबे के कथित एनकाउंटर के बाद पुलिस की थ्योरी पर कई सवाल उठे थे. फाइल फोटो.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी दखल दिया 
उत्तर प्रदेश में हुए एनकाउंटर्स में सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी दखल दिया है. जनवरी 2019 में इसे कोर्ट ने ”गंभीर मसला” करार दिया था. पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज सुप्रीम कोर्ट गया था. 1000 एनकाउंटर के मामलों के साथ, जिनमें 50 लोगों की मौत हुई थी. इस केस की जुलाई 2018 से फरवरी 2019 के बीच चार बार सुनवाई हुई. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी साल 2017 से यूपी सरकार को कम से कम तीन नोटिस दे चुका है. सरकार अपना बचाव करते हुए सबका कॉमन जवाब देती है. इन पर भी कोई बात आगे नहीं बढ़ी है. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एनकाउंटर के मामलों में FIR दर्ज करना अनिवार्य है और पुलिस ऐक्शन में हुई मौतों की मैजिस्टीरियल जांच ज़रूरी है.
10 जुलाई को हुआ था एनकाउंटर
कानपुर के बिकरू हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे को 10 जुलाई की सुबह कथित एनकाउंटर में पुलिस ने मारा था. 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर में मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर यूपी पुलिस के हवाले किया था. यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की टीम उसे सड़क से कानपुर ला रही थी. कानपुर पुलिस ने बयान जारी कर बताया कि कानपुर नगर के भौंती में वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गया और विकास दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की. पुलिस के मुताबिक, फायरिंग में वो घायल हुआ और अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया.


कानपुर: बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे की दो जुलाई की रात फोन पर किससे और क्या बात हुई थी?

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