The Lallantop
Advertisement

मूवी रिव्यू- दृश्यम 2

कैसा है 'दृश्यम' का सीक्वल, जिसने सात भाषाओं में तहलका मचाया था!

Advertisement
Img The Lallantop
2013 में आई 'दृश्यम' के छह भाषाओं में रीमेक बने थे. चार इंडियन और दो विदेशी.
pic
मुबारक
19 फ़रवरी 2021 (Updated: 19 फ़रवरी 2021, 12:54 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
2015 में एक थ्रिलर हिंदी फिल्म आई थी. 'दृश्यम'. अजय देवगन, तब्बू, श्रिया सरन वगैरह लीड रोल में थे. फिल्म बहुत पसंद की गई. मीम भी बने. जैसा कि सबको पता है वो ओरिजिनल फिल्म नहीं थी. इसी नाम से 2013 में आई मलयालम फिल्म का रीमेक थी. ओरिजिनल 'दृश्यम' ने इतनी सफलता हासिल की कि हिंदी समेत छह अन्य भाषाओं में रीमेक बने. अब इस फिल्म का सीक्वल आया है. 'दृश्यम 2' के नाम से. सेम कास्ट के साथ. आइए जानते हैं कैसी है 'दृश्यम-2'. # 'Drishyam 2': कहानी में दम है क्या? सीक्वल्स की एक बहुत बड़ी दिक्कत होती है. ये अमूमन पहली फिल्म की सफलता को कैश करने के लिए बनाए जाते हैं. ऐसे में इस बात की संभावना बनी रहती है कि कहानी से लेकर एग्जीक्यूशन तक किसी न किसी फ्रंट पर कोई कमी रह जाए. अमूमन ऐसा होता भी है. हमने कितने ही सीक्वल देखे हैं, जो पहले पार्ट से कमतर थे. कुछ तो बिलकुल कूड़ा थे. ऐसे में 'दृश्यम-2' के मेकर्स के सामने सबसे बड़ा चैलेंज यही था कि वो ओरिजिनल फिल्म जैसी ही कसी हुई स्क्रिप्ट फिर से लेकर आएं. क्या ये उनसे मुमकिन हो पाया है. बिल्कुल हो पाया है. बहुत कामयाबी से हो पाया है.
Father Daughters
'दृश्यम 2'की कहानी छह साल बाद की है. फिल्म भी लगभग इतने साल बाद ही आई है. इससे बेटियों की उम्र में बढ़ोतरी एकदम लॉजिकल लगती है.

पहले थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं. पर उससे पहले स्पॉइलर अलर्ट दे दें. अगर आपने किसी भी भाषा में 'दृश्यम' नहीं देखी है, तो ये रिव्यू पढ़ना बंद कर दीजिए. आपका फिल्म देखने का मज़ा ख़राब हो जाएगा. 'दृश्यम' लोकल केबल ऑपरेटर जॉर्जकुट्टी और उसके परिवार की कहानी थी. पत्नी रानी और अंजू-अनु नामक दो बेटियों के साथ एक आम ज़िंदगी जीने वाला आम आदमी. जिसके जीवन में भूचाल तब आता है, जब उसकी बेटी के हाथों ग़लती से एक क़त्ल हो जाता है. आईजी पुलिस के बेटे का. परिवार को बचाने के लिए जॉर्जकुट्टी किस हद तक जाता है, ये हम पहले पार्ट में देख चुके हैं.
कट टू सेकंड पार्ट. छह साल गुज़र चुके हैं. दुनिया आगे बढ़ चुकी है. जॉर्जकुट्टी ने कुछ तरक्की की है. एक सिनेमाहॉल खरीद लिया है. साथ ही फिल्म भी बनाना चाहता है. स्क्रिप्ट भी लिख रहा है. उसका परिवार भी ट्रॉमा से बाहर आने की कोशिश में है. सब आगे बढ़ चुके हैं. सिवाय पुलिस डिपार्टमेंट के. वो लोग आज भी चुपके से इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं. जॉर्जकुट्टी पर नज़र रखे हुए हैं. उनकी पूरी कोशिश है कि एक बार लाश बरामद हो जाए और जॉर्जकुट्टी को दबोच लें. क्या ऐसा मुमकिन हो पाता है? पुलिस से 'तू डाल-डाल मैं पात-पात' खेलने में माहिर हो चुका जॉर्जकुट्टी इस बार अपने तरकश में कौन से तीर रखे हुए है, ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी, # 'Drishyam 2': कितना थ्रिल है कहानी में? 'दृश्यम-2' एक थ्रिलर फिल्म है. लेकिन इसकी रफ़्तार जबरन तेज़ की हुई नहीं है. फिल्म धीरे-धीरे आपको जकड़ती है. पहले आधे घंटे में शायद आपको ये लगे कि ये भी महज़ ब्रांड भुनाने के लिए बनाया गया एक और सीक्वल है. ये आधा घंटा एक बड़ी ट्रेजेडी के बाद परिवार की जर्नी एस्टैब्लिश करने में ही निकल जाता है. कुछेक सीन गैरज़रूरी भी लगते हैं. लेकिन उसके बाद फिल्म का थ्रिल एलिमेंट आपको हिलने नहीं देगा. और क्लाइमैक्स आते-आते तमाम गैरज़रूरी सीन जस्टिफाई हो जाएंगे.
Mother Daughter
मीना इमोशनल दृश्यों में काफी सहज लगती हैं.

फिल्म की सबसे बड़ी ख़ासियत है इसका सेम प्लॉट पर रची कहानी को दूसरी बार उतने ही एंगेजिंग ढंग से पेश करके दिखाना. अमूमन हर सीक्वल में भले ही किरदार सेम रहते हैं लेकिन कहानी का लैंडस्केप बदल जाता है. 'दृश्यम-2' में ऐसा नहीं है. इसके सेंटर में वही छह साल पुराना मर्डर है, जिसके इल्ज़ाम से जॉर्जकुट्टी और उसका परिवार कामयाबी से बच निकला था. दोबारा वही कारनामा कर दिखाने के लिए जॉर्जकुट्टी को साहस, सब्र और समझदारी का परफेक्ट संतुलन पेश करना होगा. जो कि वो करके दिखाता है. और ये करके दिखाना कहीं से भी इल-लॉजिकल नहीं लगता. जॉर्जकुट्टी की हर कैलक्युलेटेड मूव यकीन में आने लायक लगती है. और यही वो डिपार्टमेंट है, जहां फिल्म भरपूर नंबर बटोरती है. # 'Drishyam 2': दी मोहनलाल-जीतू जोसफ शो एक्टिंग स्कूल कहे जाने वाले मोहनलाल एक बार फिर फुल फॉर्म में हैं. एक सहमे हुए आम आदमी के किरदार में उन्होंने जान डाल दी है. जो अपने परिवार पर विपत्ति आने के बाद सिस्टम से भिड़ने का हौसला कर बैठा है. मोहनलाल पूरी फिल्म अपने कंधों पर सहजता से कैरी करते हैं. चाहे परिवार के साथ हल्के-फुल्के सीन हो या पुलिस इन्वेस्टीगेशन के इंटेंस दृश्य, मोहनलाल सबकुछ आसानी से कर जाते हैं. बहरहाल ये उनसे अपेक्षित भी था. यही बात उनकी पत्नी का रोल कर रही मीना के लिए भी कही जा सकती है. उनकी बेटियों के रोल में अंसीबा हसन और एस्थर अनिल भी अपना काम बाखूबी कर जाती हैं. बाकी के सहायक कलाकार भी अपने किरदार के साथ पूरा न्याय करते हैं. बेसिकली एक्टिंग के फ्रंट पर ऐसा कोई नहीं, जो आपको निराश करे.
सबसे ज़्यादा तारीफ़ आनी चाहिए राइटर-डायरेक्टर जीतू जोसफ के हिस्से. तमाम जादू उन्हीं का है. पहले तो उन्होंने सिमिलर प्लॉट पर एक बेहद चुस्त स्क्रिप्ट लिखने का करिश्मा किया. फिर उसे उतने ही करिश्मासाज़ ढंग से परदे पर उतारा भी. उनकी स्क्रिप्ट की ही तरह उनका डायरेक्शन भी कसा हुआ है. वो अपनी कहानी बेहद कन्विंसिंग ढंग से कहने में पूरी तरह कामयाब रहे हैं. ढाई घंटे की कदरन लंबी फिल्म होने के बावजूद आपका इंटरेस्ट बना रहता है.
Jeethu Joseph1
इन्हीं दो आदमियों का ग्रैंड शो है ये फिल्म. मोहनलाल और जीतू जोसेफ.

सतीश कुरूप की सिनेमेटोग्राफी बेहद सुंदर है. कुछेक शॉट्स तो ऐसे हैं, जिनके लिए अंग्रेज़ी से शब्द उधार लेकर 'ब्रेथटेकिंग' कहना ही पड़ेगा.
कुल मिलाकर 'दृश्यम-2' एक संतुष्ट करने वाला सिनेमा है. ये कहना भी शायद अतिशयोक्ति न हो कि ये भारतीय सीक्वल्स की दुनिया में बेस्ट सीक्वल है. एक नंबर पर भले ही न रखें, पर टॉप फाइव में तो है ही है. अमेज़न प्राइम पर उपलब्ध है. देख डालिए इस वीकेंड. निराश नहीं होंगे.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement