The Lallantop
Advertisement

वो कॉमेडियन, जिनके सामने जॉनी लीवर भी हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं

इनका 'बाज़ीगर' वाला कॉमेडी सीन आप चाहकर भी नहीं भूल सकते.

Advertisement
Img The Lallantop
फिल्म 'बाज़ीगर' के सबसे चर्चित कॉमेडी सीन में जॉनी लीवर और दिनेश हिंगू.
font-size
Small
Medium
Large
29 जून 2021 (Updated: 29 जून 2021, 10:43 IST)
Updated: 29 जून 2021 10:43 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
एक एक्टर हैं दिनेश हिंगू. फुल नेम दिनेश हिंगोरानी. अगर शॉर्ट में इनका परिचय जानना चाहें, तो इतना समझिए कि इनका नाम सुनकर जॉनी लीवर भी हाथ जोड़ लेते हैं. एक दौर में हिंदी फिल्मों में कॉमेडी एक्टर्स की लंबी-चौड़ी जमात हुआ करती थी. महमूद से लेकर जॉनी वाकर, जगदीप और पेंटल वाली लिस्ट में एक सीट दिनेश हिंगू के नाम पर भी बुक थी. बाकियों की तरह दिनेश हिंगू भी अपनी फिल्मी जर्नी पूरी कर उस बस से उतर चुके हैं. आज अपन इन्हीं दिनेश हिंगू की कहानी जानेंगे.


# वो स्टैंड अप कॉमेडियन, जो हिंदी फिल्मों का दमदार कॉमेडी एक्टर बना
दिनेश हिंगू का जन्म 13 अप्रैल, 1940 को गुजरात के बड़ौदा में हुआ था. फिल्मों का चस्का इन्हें बचपन में ही लग गया था. जब स्कूल में पहुंचे, तो नाटक-ड्रामों में हिस्सा लेने लगे. कॉलेज लेवल पर जाकर लगा कि अब क्राफ्ट को लेकर थोड़ा सीरियस होना पड़ेगा. दिनेश ने कॉलेज में बड़ी गंभीरता से नाटक करने लगे. शुरू से क्लैरिटी थी कि फिल्मों में ही जाना, इस चीज़ ने कोर्स ऑफ एक्शन को हमेशा अमल में बनाए रखा. 1963-64 के अराउंड दिनेश प्रोफेशनल एक्टर बनने मुंबई पहुंचे. कई रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि वो घर से भागकर मुंबई गए थे, क्योंकि घरवाले फिल्म-सिनेमा जैसी चीज़ों को बहुत सपोर्ट नहीं करते थे. और अपने बच्चे का इस फील्ड में जाना उन्हें बिल्कुल ठीक नहीं लग रहा था. खैर, मुंबई पहुंचने के सीधे फिल्मों में काम बहुत कम लोगों को मिल पाता है. सबको अपने हिस्से की स्ट्रगल करनी ही पड़ती है. दिनेश ने स्ट्रगल के साथ अपनी कला को तराशने के लिए थिएटर करना शुरू कर दिया.
उन्होंने एक गुजराती नाटक कंपनी जॉइन की. इस नाटक कंपनी से मशहूर नाटककार चंद्रवर्धन भट्ट जुड़े हुए थे. दिनेश हिंगू के डेब्यू थिएटर प्ले को चंद्रवर्धन भट्ट ने ही डायरेक्ट किया था. इस प्ले में दिनेश के साथ संजीव कुमार भी नज़र आए थे. यहां से संजीव और दिनेश की दोस्ती की शुरुआत हुई, जो काफी लंबी चली. जब थिएटर से समय मिलता, तो स्टेज शोज़ में हिस्सा लिया करते. अपने दौर के तमाम सिंगर और संगीतकारों यानी मोहम्मद रफी से लेकर मन्ना डे और कल्याण जी आनंद जी के ग्रुप के साथ स्टेज शो किया करते थे. ऐसे में उन्होंने किशोर कुमार के साथ लगातार 12 साल काम किया. इन शोज़ में वो स्टैंड कॉमेडी किया करते थे, जो कि मिमिक्री तक ही महदूद रहा करती थी. बेसिकली दिनेश का काम शो शुरू होने से पहले समा बांधने का होता था.
अपने करियर के शुरुआती दिनों दिनेश हिंगू.
अपने करियर के शुरुआती दिनों दिनेश हिंगू.


# विलन के तौर पर करियर शुरू करने वाले दिनेश हिंगू कॉमेडियन कैसे बन गए?
1967 में दिनेश हिंगू को उनकी पहली फिल्म मिली. उस फिल्म का नाम था राजश्री प्रोडक्शन में बनने वाली इस फिल्म का नाम था 'तक़दीर'. भारत भूषण स्टारर ये फिल्म सिर्फ दिनेश की ही नहीं, फरीदा जलाल और जलाल आग़ा जैसे एक्टर्स की भी पहली फिल्म थी. फिल्ममेकर सुभाष घई ने भी फिल्म लाइन में अपना करियर एक्टर के तौर पर शुरू किया था. उनकी भी बतौर एक्टर 'तक़दीर' पहली फिल्म थी. इस फिल्म में दिनेश हिंगू ने नेगेटिव रोल किया था. वो फिल्म के विलन बने कमल कपूर के हेंचमैन के किरदार में दिखे थे. मगर ये बहुत नोटिस किए जाने लायक किरदार नहीं था. 1973 में आई जया बच्चन स्टारर फिल्म 'कोरा कागज़' में दिनेश को अपना टैलेंट दिखाने का छोटा मगर अच्छा मौका मिला. उन्होंने इसका भरपूर फायदा उठाया. मगर 1978 में आई 'नसबंदी' वो पहली फिल्म, जिसे देखकर लोगों को लगा कि दिनेश हिंगू अच्छी कॉमेडी कर सकते हैं. इसके बाद 'नमक हलाल' आई जिसने दिनेश हिंगू को मेनस्ट्रीम हिंदी सिनेमा के चर्चित कॉमेडियंस में शुमार करवा दिया. इसके बाद कोई ऐसी हिंदी फिल्म नहीं बनती, जिसके तीन-चार सीन्स में दिनेश हिंगू नज़र नहीं आते. इन तीन-चार सीन्स के पीछे की कहानी हम आगे जानेंगे.
'नमक हलाल' वो पहली फिल्म थी, जिसने दिनेश को प्रॉपर मेनस्ट्रीम सिनेमा में लेकर आई.
'नमक हलाल' वो पहली फिल्म थी, जिसने दिनेश को प्रॉपर मेनस्ट्रीम सिनेमा में लेकर आई.


# कहां से आई वो हंसी, जिसने दिनेश हिंगू को 90 के दशक में दोबारा स्टार बना दिया?
अपने एक इंटरव्यू में दिनेश बताते हैं कि राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार्स फिल्मों में कॉमेडियंस की जगह खा गए. उनके कहने का मतलब ये था कि राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन अपनी फिल्मों में रोमैंस से लेकर एक्शन, ड्रामा और कॉमेडी सबकुछ खुद ही करते थे. ऐसे में उस दौर की हिंदी फिल्मों में कॉमेडियंस के लिए कुछ खास जगह बचती नहीं थी. मगर 90 के दशक में अमिताभ और राजेश खन्ना जैसे एक्टर्स का स्टारडम नहीं रह गया था. इंडस्ट्री में नए लड़के आ चुके थे. इस समय फिर से इंडस्ट्री को दिनेश हिंगू जैसे कॉमेडियंस की ज़रूरत महसूस होनी शुरू हुई. दिनेश ने नाइंटीज़ में 'दिल', 'नरसिम्हा', 'साजन' और 'बलवान' जैसी फिल्मों में काम कर चुके थे. मगर वही छोटे-मोटे रेगुलर रोल्स.
1993 में अब्बास-मुस्तन की जोड़ी शाहरुख खान नाम के एक नए लड़के को लेकर 'बाज़ीगर' फिल्म बना रही थी. इस फिल्म में उन्होंने शाहरुख, शिल्पा शेट्टी, काजोल और जॉनी के लीवर के साथ दिनेश हिंगू को भी कास्ट किया. इस फिल्म में एक सीन है, जहां बाजोड़िया सेठ बने दिनेश बिना चायपत्ती के चाय पीते हैं. क्योंकि बाबूलाल बने जॉनी लीवर चायपत्ती लाना भूल गए थे. इस सीन में बाबूलाल और बाजोड़िया सेठ एक-दूसरे को देखकर काफी समय तक फर्जी हंसी-हंसते रहते हैं. 'बाज़ीगर' फिल्म का ये सीन बहुत हिट रहा. इस सीन की सबसे खास बात थी दिनेश हिंगू की क्रेज़ी फर्जी हंसी. इस चीज़ ने एक तरह से दिनेश हिंगू को दोबारा कॉमेडी स्टार बना दिया. ये सीन आप नीचे देख सकते हैं-

जब उनसे पूछा गया कि वैसे हंसने का आइडिया उन्हें कैसे आया? दिनेश ने बताया उस पूरे सीन को कोरियोग्राफ तो डायरेक्टर जोड़ी ने की थी. यानी उस सीन में क्या और कैसे घटेगा, ये सबकुछ अब्बास-मुस्तन के निर्देश के हिसाब से हुआ था. मगर उस तरह से हंसने का आइडिया खुद दिनेश का था. वो नए-नए मुंबई आकर गुजराती नाटक कंपनी से जुड़े थे. तभी उनकी मुलाकात शो के राइटर से हुई. उस आदमी की खासियत ये थी कि वो एक किलो-मीटर दूर खड़े जानकार आदमी को देखकर जोर-जोर से हंसने लगते थे. कई बार उन्हें समझाया भी गया कि ऐसे ना हंसा करें, लोग डर जाते हैं. मगर उन्हें दुनिया की परवाह नहीं थी. दिनेश के दिमाग में तब से ही वो राइटर और उसकी हंसी अटकी हुई थी. वही हंसी उन्होंने 'बाज़ीगर' वाले अपने किरदार में इस्तेमाल कर ली.
# दिनेश हिंगू और जॉनी लीवर का क्या कनेक्शन?
दिनेश हिंगू फिल्मों और स्टेज शोज़ में कॉमेडी कर रहे थे. इस समय में जॉनी लीवर आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई छोड़ सड़क पर पेन बेचते थे. बाद में उन्होंने बाद में उन्होंने कई और तरह के छोटे-मोटे काम किए. मगर उनका सपना महमूद और जॉनी वाकर जैसे कॉमेडियन और नेरेला वेणुमाधव और दिनेश हिंगू जैसे मिमिक्री आर्टिस्ट बनने का था. रॉकस्टार एल्विल प्रेस्ली की मिमिक्री के बाद जॉन राव का नाम बदलकर जॉनी लीवर कर दिया. क्योंकि उन्होंने ये परफॉरमेंस हिंदुस्तान लीवर की फैक्ट्री में दी थी. अपने एक इंटरव्यू में जॉनी बताते हैं कि जब वो कॉमेडियन बनने मुंबई आए, तो उनके सफर की शुरुआत भी स्टेज शो में कॉमेडी करने से हुई. और उन्हें स्टेज पर कॉमेडी करने का पहला मौका दिनेश हिंगू ने दिया था. बाद में जॉनी और दिनेश ने एक साथ कई फिल्मों में काम किया. मगर जॉनी, दिनेश को अपना गुरु और सीनियर मानते हैं और बड़े प्रेम और सम्मान के साथ उनका ज़िक्र बातचीत में करते हैं.
दिनेश अपने इंटरव्यूज़ में बताते हैं कि जब भी कोई फिल्म शुरू होती, उन्हें बुलाया जाता. डायरेक्टर उन्हें कुछ सीन्स बताते और कहते कि बाकि तुम अपने हिसाब से देख लेना. उनके हिस्से के डायलॉग्स कभी उन्हें लिखकर नहीं मिले. बस उन्हें सीन का बैकड्रॉप बता दिया जाता था. इसलिए जितनी भी पुरानी फिल्मों में आप दिनेश की परफॉरमेंस देखते हैं, वो सब उन्होंने खुद से तैयार किए थे. यही चीज़ जॉनी लीवर के साथ भी होनी शुरू हुई. फिल्म 'कुली नंबर 1' के प्रमोशन के लिए कपिल शर्मा शो पर पहुंचे जॉनी ने ये बात बताई थी. उन्होंने बताया कि फिल्ममेकर्स उन्हें सिचुएशन बता देते और कहते कि सीन जमा देना. हालांकि उन्होंने ऐसे करने वाले किसी डायरेक्टर का नाम लेने से इन्कार कर दिया.
1999 में आई फिल्म  'लावारिस' के एक सीन में दिनेश हिंगू और जॉनी लीवर.
1999 में आई फिल्म 'लावारिस' के एक सीन में दिनेश हिंगू और जॉनी लीवर.


आज कल कहां हैं दिनेश हिंगू?
साल 1999 में दिनेश हिंगू 'बादशाह' और 'हम साथ साथ हैं' समेत कुल 4 फिल्में रिलीज़ हुई थीं. साल 2000 में ये संख्या गिरकर तीन फिल्मों तक पहुंच गई. तब से लेकर अब तक यानी पिछले 21 सालों में वो सिर्फ 7-8 फिल्मों में नज़र आए हैं. इसमें सनी देओल स्टारर 'इंडियन', मल्टी स्टारर 'नो एंट्री' और कल्ट फिल्म 'फिर हेरा फेरी' खास हैं. बाकी फिल्में या तो रिलीज़ नहीं हो पाईं, या रिलीज़ होकर पिट गईं. अपने चार दशक से ज़्यादा लंबे करियर में दिनेश हिंगू ने हिंदी, मराठी, गुजराती, भोजपुरी और बंगाली भाषा की कुल 300 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया. अब दिनेश की उम्र भी 80 बरस के पार हो चली है. अब वो फिल्मों से दूर अपनी भरी-पूरी फैमिली के साथ मुंबई में ही रहते हैं. हालांकि अपने होमटाउन बड़ौदा से उनका कनेक्शन अब भी बना हुआ है.
दिनेश हिंगू की उम्र अब 80 बरस के पार हो चुकी है. इसलिए वो फिल्मों से भी दूर हो चुके हैं.
दिनेश हिंगू की उम्र अब 80 बरस के पार हो चुकी है. इसलिए वो फिल्मों से भी दूर हो चुके हैं.


thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement